सूरज की तपिश ने बढ़ाई चुनावी चिंता

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सूरज की तपिश ने बढ़ाई चुनावी चिंता

दुर्ग। छत्तीसगढ़ के एकमात्र बस्तर सीट पर मतदान हो गया। कहा जाता है, मतदान भी दान है। खैरात नहीं।और सनातन में दान भी सुपात्र को दिया जाता है। अपात्र को दिया गया दान पाप है। राष्ट्रहित में मतदानअवश्य करना चाहिए। अब जनता अपने विवेक से तय कर रही कि कौन पात्र है कौन अपात्र। फिर भी बढ़ा हुआ तापमान वोटिंग प्रतिशत को प्रभावित कर रहा है। हालांकि चुनाव आयोग ने मतदाताओं को गर्मी और लू से बचने के लिए पोलिंग स्टेशनों पर टेंट व पीने के पानी की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं । अंतिम चरण का चुनाव 1 जून को होगा छत्तीसगढ़ में 7 मई को मतदान पूरा होगा । उसके पहले 26 अप्रैल को भी कुछ सीटो पर यहां मतदान होगा।

गर्मी का असर अब बढ़ रहा है। मई की तपिश वोट के पारे पर भारी पड़ सकता है। सूरज की तपिश पार्टी व नेताओं के लिए मुसीबत बनते जा रही है। गर्मी ने पार्टियों के सामने चुनौती बढ़ा दिया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों नेता अधिक से अधिक संख्या में वोट डालने की अपील कर रहे हैं । चुनाव रेलिया में भीड़ ज्यादा जुट नहीं रही है । बड़ी सभा में लोग आना नहीं चाह रहे हैं। वर्ष 2014 में भी मई में ही चुनाव हुआ था । उस समय 60.4% वोट पड़े थे। जबकि पिछली बार 2019 में यह आंकड़ा 67.4 फीसद था। इन दोनों ही चुनाव में भाजपा की आंधी चली थी, और प्रचंड बहुमत के साथ मोदी की सरकार बनी थी।
बताते चलें कि छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में हर बार मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। 2019 के चुनाव में मतदान प्रतिशत 2.5% बढ़ा था।
 राज्य में 2.05 करोड़ मतदाता है। विधानसभा के बजाय लोकसभा चुनाव में वोटिंग थोड़ा कम होता है। पूरे प्रदेश में रायगढ़ संसदीय क्षेत्र के मतदाता मतदान के प्रति ज्यादा जागरूक रहते हैं उसके बाद सरगुजा का नंबर आता है।
बहरहाल, छत्तीसगढ़ में बस्तर लोकसभा क्षेत्र का मतदान हो चुका है। कांग्रेस व भाजपा के नेता अपने-अपने दावे कर रहे हैं। कैबिनेट मंत्री ओपी चौधरी ने बस्तर के मतदान प्रतिशत को देखकर कहा कि कांग्रेस का सफाया होने वाला है। वहीं पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि देश में बदलाव की हवा का संकेत इस मतदान में दिया है । 
दुर्ग लोकसभा का चुनाव 7 मई को है। जिन लोगो का चुनाव में ड्यूटी लगी है, वे गर्मी देखकर चिंतित हैं। 
बस्तर लोकसभा में 66% लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया पिछले चुनाव के बनिस्बत मतदान कम हुआ है। बस्तर जिले के अंदरूनी गांव में नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार को ना करते हुए ग्रामीण वोट डालने के लिए कतार में खड़े  रहे।