'दो जून की रोटी' की महत्ता प्रतिपादित करने के लिए आयोजित लेख लेखन प्रतियोगिता में सुमन देवांगन विजेता रही
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बहुत से गरीबों को 'दो जून की रोटी' भी नसीब नहीं होती, अतः अन्न की बर्बादी रोकें और दाने दाने को सहेजें
भिलाई। देवांगन समाज की महिलाओं को "दो जून" की महत्ता प्रतिपादित करने हेतु लेखन प्रतियोगिता का अभिनव आयोजन किया गया। अपने तरह की अलग इस रोचक प्रतियोगिता के तहत लेखन में सुमन देवांगन विजेता घोषित की गई, वहीं विनीता देवांगन द्वितीय एवं सरिता देवांगन तृतीय स्थान पर रही। देवांगन जन कल्याण समिति भिलाई द्वारा आयोजित इस आनलाईन प्रतियोगिता में समाज की महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिता की विजेता सुमन देवांगन ने अपने लेख के माध्यम से अपने परिवार के सदस्यों के लिए 'दो जून की रोटी' उपलब्ध कराने के लिए किए जाने वाले जद्दोजहद को बड़े ही आकर्षक ढंग से वर्णन किया है। प्रतियोगिता का उद्देश्य देवांगन समाज की महिलाओं में लेखन शैली विकसित करने के साथ ही परिवार को चलाने में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करना था। गृह लक्ष्मी होने के नाते महिलाओं की बड़ी जिम्मेदारी होती है कि परिवार के सभी सदस्य को 'दो जून की रोटी' उपलब्ध कराए। घर में भोजन सामग्री है या नहीं, यह देखना और उसके लिए आवश्यक व्यवस्था करना महिलाओं के ऊपर ही निर्भर करता है। वैसे भी 'जून' भीषण गर्मी का महीना होता है, उसके बावजूद भी महिलाएं अपने तकलीफ की परवाह ना कर परिवार के लिए 'दो जून की रोटी' उपलब्ध कराने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं और हर हालत में अपनी जिम्मेदारी निभाती हैं। अनेक घरों में तो महिलाएं ही जीवकोपार्जन का मुख्य दायित्व निभाती हैं। अन्य महिला प्रतिभागियों ने भी अपने लेखों में 'दो जून की रोटी' के महत्व को बताते हुए उसमें महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण बताते हुए उसका सुंदर चित्रण किया है। बहुत से गरीबों को दो जून की रोटी भी ठीक से नसीब नहीं होती। इसलिए भोजन की बर्बादी को रोकने और हर व्यक्ति को भोजन मिले इसके लिए अन्न के दाने-दाने को सहेजने की जरूरत है।
प्रतियोगिता की निर्णायक पूर्व प्राचार्य प्रभा देवांगन एवं समिति की उपाध्यक्ष कल्पना भानु देवांगन थी। विजेताओं एवं प्रतिभागियों को देवांगन जन कल्याण समाज द्वारा आयोजित आगामी समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा।