आना है तो आ राह में कुछ फेर नही है भगवान के घर देर है अंधेर नही है: संत श्री महाराज

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आना है तो आ राह में कुछ फेर नही है भगवान के घर देर है अंधेर नही है: संत श्री महाराज

दुर्ग।  पंचम दिवस के अवसर पर स्वामी जी राजा दशरथ व भरत भैया सहित अयोध्यावासियों कि विरह वेदना कि कथा बताते हुए कहते है कि 
 दशरथ जी चक्रवर्ती राजा होने के बाद भी उन्हें कर्मफल पुत्र वियोग के रूप में भोगना पड़ा। यह श्राप उन्हें श्रवण कुमार के माता पिता से मिला था l पुरी कथा कर्मफल पर आधारित रहा l स्वामी जी ने कहा हमें सदैव सत्कर्म करते रहना चाहिए l
सभी धर्मो में कर्मों का अलग अलग संविधान है l
और बावजूद यदि इससे बच गये तो भगवान से नही बच सकते l स्वामी जी ने एक सुंदर गीत कि पंक्तियों को गुनगुनाए 
*आना है तो आ राह में कुछ फेर नही है भगवान के घर देर है अंधेर नही है...*
ऊपर वाला केवल कर्म देखकर फल नही देते क्रिया के प्रति आपके भाव को भी देखते है उसके बाद फल देते है इसलिए भाव शुद्धि बहुत जरूरी है l
स्वामी नारायण भगवान जी ने सभी शास्त्रों के सार  स्वरूप 212 बाते लिखी है जिसमें पूरे जीवन का सार है। यदि उसको अपने अंतःकरण में उतार ले तो जीवन सफल हो जायेगा l
       राजा दशरथ के मृत्यु काल जब समीप था तब उनके पास चारों सुपुत्र नही थे क्योंकि वे जैसे अनजाने बोयें थे उसी का प्रतिफल पाये l
भरत जी को गुरू वशिष्ट जी ने जब राज पाट संभालने कहा तो भरत जी ने कहा पिता और पिता के समान भाई के बिना मैं इस राज पाट का क्या करूंगा l क्योंकि नीति से बढ़कर मानवता होती है यह राष्ट्र राम जी बिना अधूरी है भला मैं कैसे अवध कि बागडोर संभाल सकता हूँ l उसके बाद भरत जी चित्रकूट कि निकल पड़े जहाँ श्रीराम जी को देख भरत जी बिलख पड़े और भातृ भाव का सजीव चित्रण झांकी देख हजार भक्तों कि आँखे तरुणाई से भर आई और सभी आत्मा विभोर हो गए l
       भरत जी प्रभु श्रीराम को वन से वापस ले जाने आये थे परन्तु राम जी मना कर दिये l भरत जी ने राज्य अभिषेक के लिए जल भी लेकर आये थे l जो आज भी चित्रकूट में भरत कूप के रूप में है जहाँ लोग स्नान करते है l

बहुत मनाने पर भी राम जी नही माने तो भरत जी ने प्रभु श्रीराम जी से उनके चरण पादुका लेकर अयोध्या के लिए लौट गये l
    सुदामा कृष्ण चरित्र कि कथा का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रों में हमें मित्र नही अपितु सारा संसार देखना चाहिए मित्र यदि गरीब है या किसी समस्या में है तो उसकी सहायता करना चाहिए l
     सबरी कि प्रतिक्षा
पूर्ण हुई l सबरी ने श्रीराम जी को आमंत्रण नही दिये थे श्रीराम जी स्वयं उनकी कुटिया तक आये थे l भक्ति यानी परमात्मा के प्रति प्रीति होनी चाहिए l भगवान से जिस दिन प्रीति हो जायेगी उस दिन इंसान भक्त बन जायेगा और उनकी समस्त समस्याओं का निदान हो जायेगा l और यदि माया को चाहेंगे तो बिखर जाएंगे है और प्रभु को चाहेंगे तो निखर जाएंगे l
कथा श्रवण का लाभ लेने चतुर्भुज राठी, दीपक चोपड़ा विश्व हिन्दू परिषद् के सुनील वैष्णव, दिलीप साहू  जिला उपाध्यक्ष भाजपा, अरुण वोरा, श्रीकांत समर्थ, अजय तिवारी, रामलोचन तिवारी, राकेश ज्ञानचंद कोठारी  अरुण सिंह पार्षद, हेमा शर्मा पार्षद, अशोक राठी आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे । आप सभी ने स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त किया और स्वामी जी ने पत्र भेट कर स्वागत किया। आज कथा का 5 वा दिन कल शुक्रवार को को कथा का विराम दिवस है।  कथा 7.00 बजे शाम से शुरू होगी आप सभी राम  भक्त समय का ध्यान रखें।