चांवल के छोटे से दाने पर पेन्टिंग बनाकर वोट देने की अपील

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चांवल के छोटे से दाने पर पेन्टिंग बनाकर वोट देने की अपील

भिलाई । दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लोकसभा चुनाव का खुमार पूरे चरम पर है और हर पार्टी के प्रत्याशी लोगो को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चुनाव आयोग भी चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा मतदान हो जिसके लिए वह अनेक प्रकार के जतन करता है। इसी कड़ी में धान का कटोरा कहलाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार अंकुश देवांगन ने भी लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने का अनूठा तरीका अख्तियार किया है। उन्होंने राज्य की पहचान अनुरूप चांवल के छोटे से दाने में वोट दें लिखकर इसके उपर व नीचे शान से लहराते तिरंगे का चित्रण किया है और दर्शाया है कि इसी से ही भारत आगे बढ़ेगा। फोटो में एक महिला मतदाता अपने उंगली के नाखून में चांवल पर बने इस पेन्टिंग को रखकर निहार रही है।
           छत्तीसगढ़ राज्य के भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत अंकुश देवांगन देश के इकलौते ऐसे कलाकार हैं जिन्हें दुनिया की सबसे छोटी मूर्ति तथा दुनिया के सबसे बड़े लौहरथ बनाने के लिए लिम्का एवं गोल्डन बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड का एवार्ड मिला है। उनके द्वारा बनाई गई सबसे छोटी भगवान् श्री गणेश की मूर्ति जहां चांवल के दाने से भी सौ गुनी छोटी है वहीं उनके द्वारा निर्मित लौहरथ छ: मंजिली इमारत जितना ऊंचा है। छत्तीसगढ़ के ही दल्ली राजहरा शहर में उन्होंने इस विशाल रथ को लौह स्क्रेप से वेल्डिंग करके बनाया है जिसमें कृष्ण अर्जुन, भीष्म पितामह के महाभारत का संदेश है। देश के अनेक शहरो में उनके द्वारा बनाई गई भव्य से भव्यतम प्रतिमाएं स्थापित है। उनके कलाकृतियों की विशेषता है कि या तो वे चांवल के दाने से भी कई गुनी छोटी होती है या पांच छ: मंजिली इमारत जितनी ऊंची। वे अपनी कला के माध्यम से सामाजिक सरोकारों के कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ राज्य देश में सबसे ज्यादा नक्सली हिंसा से जूझता रहा है। जिस पर हाल ही में बहुचर्चित फिल्म बस्तर का निर्माण किया गया था। फिल्म में इस हकीकत को दर्शाया गया है कि जितने सैनिक आज तक बार्डर में नहीं मारे गए हैं उससे ज्यादा देश के भीतर इस नक्सली हिंसा में मारे जा चुके हैं। अंकुश देवांगन का जन्म इन्ही नक्सल प्रभावित इलाकों से सटे कस्बे राजहरा में हुआ है। उन्होंने देखा है कि होश सम्हालने से पहले ही बच्चे कुसंगति में आकर हिंसा के रास्ते में चल पड़ते हैं। लेकिन जिन बच्चों में सृजनात्मक क्षमता आ जाती है वे हिंसक गतिविधियों से दूर हो जाते हैं। इसलिए उन्होंने बच्चों को कला प्रशिक्षण देना अपना जीवन लक्ष्य बना लिया है। वे यहां के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगभग पैंतीस साल से स्कूली छात्र-छात्राओ को निशुल्क कला प्रशिक्षण और कला प्रदर्शन करते आ रहे हैं। वे कहते हैं कि कला हमें इंसान बनाती है और मानसिक तनावों से दूर करती है। यही वजह है कि दुनिया भर के शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में विविध कलाओं को शामिल किया जाता रहा है। यह डिप्रेशन से जूझ रहे मानव को उससे बाहर निकालने के लिए मनोवैज्ञानिक थैरेपी भी है। अपने नौकरी के समस्त छुट्टियों का उपयोग वे इन सामाजिक कार्यों में लगा देते हैं और खतरनाक माने जाने वाले बीहड़ वादियों में निरंतर प्रशिक्षण देने जाते हैं। ये ऐसे सघन बीहड़ क्षेत्र हैं जहां जाने से बड़े-बड़े सरकारी नुमाइंदे भी डरते हैं। अंकुश देवांगन जानते हैं कि उनके द्वारा किए जा रहे इन छोटे कार्यों से कोई बड़ी क्रांति नही आ जाएगी, परन्तु इससे यदि एक भी बच्चा हिंसा के रास्ते में जाने से बच गया तो वह खुद और उसकी कला धन्य हो जाएगी। बहरहाल इस लोकसभा चुनाव में अंकुश देवांगन ने चांवल के छोटे से दाने पर पेन्टिंग बनाकर लोगो से वोट देने की अपील की है तथा कहा है कि प्रजातंत्र में यही वो ताकत है जिससे अपने पसंद की सरकार चुनी जा सकती है। इसी से ही देश के विकास की दशा और दिशा तय की जा सकती है इसलिए अपने बहुमूल्य वोट का इस्तेमाल अवश्य करें।