हाईकोर्ट से 168 सहायक प्राध्यापकों को राहत, 4 माह के भीतर नया वेतनमान देने का आदेश

छत्तीसगढ़ संवाददाता बिलासपुर, 7 जुलाई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सन् 2010 में नियुक्त कॉलेजों के 168 सहायक प्राध्यापकों को तीन माह के भीतर संशोधित वेतनमान का भुगतान करने का आदेश दिया है। छत्तीसगढ़ पीएससी ने सन् 2009 में सहायक प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। सन् 2010 में चयनित प्राध्यापकों की विभिन्न महाविद्यालयों में नियुक्ति दी गई। 30 मार्च 2010 को उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि सहायक प्राध्यापकों को ग्रेड के अनुसार वेतन भुगतान किया जाएगा। नियमित सेवा के 4 साल बाद पीएचडी धारक सहायक प्राध्यापकों को, 5 साल की अवधि पूरी होने पर एम फिल धारकों को तथा अन्य को 6 साल की अवधि पूरी होने पर 7000 रुपये के पे ग्रेड में रखा जाएगा। मगर इसके विपरीत आठ साल बाद भी किसी भी पात्र सहायक प्राध्यापक को वरिष्ठ एवं प्रवर श्रेणी का वेतनमान नहीं दिया गया। इसे लेकर 17 सहायक प्राध्यापकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थी। शासन, उच्च शिक्षा विभाग व याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच ने तीन माह के भीतर सहायक प्राध्यापकों को पिछली अवधि के वेतन सहित भुगतान किया जाए। यदि ग्रेड निर्धारण के लिए सूची तैयार नहीं है तो इसका निर्धारण एक माह के भीतर किया जाए और भुगतान 3 माह के भीतर कर दिया जाए।

हाईकोर्ट से 168 सहायक प्राध्यापकों को राहत, 4 माह के भीतर नया वेतनमान देने का आदेश
छत्तीसगढ़ संवाददाता बिलासपुर, 7 जुलाई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सन् 2010 में नियुक्त कॉलेजों के 168 सहायक प्राध्यापकों को तीन माह के भीतर संशोधित वेतनमान का भुगतान करने का आदेश दिया है। छत्तीसगढ़ पीएससी ने सन् 2009 में सहायक प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। सन् 2010 में चयनित प्राध्यापकों की विभिन्न महाविद्यालयों में नियुक्ति दी गई। 30 मार्च 2010 को उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि सहायक प्राध्यापकों को ग्रेड के अनुसार वेतन भुगतान किया जाएगा। नियमित सेवा के 4 साल बाद पीएचडी धारक सहायक प्राध्यापकों को, 5 साल की अवधि पूरी होने पर एम फिल धारकों को तथा अन्य को 6 साल की अवधि पूरी होने पर 7000 रुपये के पे ग्रेड में रखा जाएगा। मगर इसके विपरीत आठ साल बाद भी किसी भी पात्र सहायक प्राध्यापक को वरिष्ठ एवं प्रवर श्रेणी का वेतनमान नहीं दिया गया। इसे लेकर 17 सहायक प्राध्यापकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थी। शासन, उच्च शिक्षा विभाग व याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच ने तीन माह के भीतर सहायक प्राध्यापकों को पिछली अवधि के वेतन सहित भुगतान किया जाए। यदि ग्रेड निर्धारण के लिए सूची तैयार नहीं है तो इसका निर्धारण एक माह के भीतर किया जाए और भुगतान 3 माह के भीतर कर दिया जाए।