रूस-यूक्रेन युद्ध: भारतीय नागरिकों की तस्करी के आरोपी को जमानत देने से अदालत का इनकार

नयी दिल्ली, 17 जून। दिल्ली की एक अदालत ने उस व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिस पर भारतीय नागरिकों की तस्करी रूस में करने का आरोप है, ताकि उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में मोर्चे पर उनकी इच्छा के विरुद्ध तैनात किया जा सके। अदालत ने कहा कि उसके खिलाफ आरोप गंभीर हैं और वह सबूत नष्ट करने की कोशिश कर सकता है। विशेष न्यायाधीश अतुल कृष्ण अग्रवाल ने मुंबई निवासी माइकल एलंगोवन एंथनी को राहत देने से इनकार कर दिया, जिसने स्वयं को निर्दोष बताया था। न्यायाधीश ने सात जून को सुनाए गए आदेश में कहा, आरोपी के खिलाफ आरोप गंभीर और संगीन प्रकृति के हैं। इस स्तर पर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने से मामले की आगे की जांच में बाधा आएगी। यह भी संभावना है कि वह उन सबूतों को नष्ट करने की कोशिश कर सकता है, जो अभी तक आईओ (जांच अधिकारी) द्वारा प्राप्त नहीं किए गए हैं। याचिकाकर्ता अन्य आरोपियों की कानून की प्रक्रिया से बचने में भी मदद कर सकता है। आरोपी ने यह दावा करते हुए जमानत का अनुरोध किया था कि वह स्वयं इस गिरोह का शिकार है और उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है। एंथनी को 26 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में है। सीबीआई के अनुसार, आरोपी और उसके कथित साथियों ने पैसे के बदले भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में सुरक्षा गार्ड, सहायक और इसी तरह की नौकरी दिलाने के बहाने उनकी रूस में तस्करी की। सीबीआई ने आरोप लगाया कि पीड़ितों से धोखे से रूसी सेना में शामिल होने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाए गए। उन्हें लड़ाकू भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया गया और रूसी सेना की वर्दी और बैज प्रदान किए गए। सीबीआई ने आरोप लगाया कि इन भारतीय नागरिकों को फिर उनकी इच्छा के विरुद्ध युद्ध क्षेत्रों में तैनात किया गया और उनकी जान को खतरे में डाला गया, जिसमें से कुछ गंभीर रूप से घायल भी हुए। सीबीआई ने आरोप लगाया कथित रैकेट संचालकों ने भारतीय छात्रों को भी रूस में संदिग्ध निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश दिलाने का वादा करके ठगा था। सीबीआई ने आरोप लगाया कि उन्होंने उन्हें मुफ्त में छूट वाले वीजा विस्तार, फीस ढांचा आदि की पेशकश की और वीजा एजेंट और कॉलेज अधिकारियों की दया पर छोड़ दिया। सीबीआई ने दावा किया कि कथित घोटाले के पीड़ितों के पासपोर्ट रूस पहुंचने पर एजेंट द्वारा जब्त कर लिए गए थे।(भाषा)

रूस-यूक्रेन युद्ध: भारतीय नागरिकों की तस्करी के आरोपी को जमानत देने से अदालत का इनकार
नयी दिल्ली, 17 जून। दिल्ली की एक अदालत ने उस व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिस पर भारतीय नागरिकों की तस्करी रूस में करने का आरोप है, ताकि उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में मोर्चे पर उनकी इच्छा के विरुद्ध तैनात किया जा सके। अदालत ने कहा कि उसके खिलाफ आरोप गंभीर हैं और वह सबूत नष्ट करने की कोशिश कर सकता है। विशेष न्यायाधीश अतुल कृष्ण अग्रवाल ने मुंबई निवासी माइकल एलंगोवन एंथनी को राहत देने से इनकार कर दिया, जिसने स्वयं को निर्दोष बताया था। न्यायाधीश ने सात जून को सुनाए गए आदेश में कहा, आरोपी के खिलाफ आरोप गंभीर और संगीन प्रकृति के हैं। इस स्तर पर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने से मामले की आगे की जांच में बाधा आएगी। यह भी संभावना है कि वह उन सबूतों को नष्ट करने की कोशिश कर सकता है, जो अभी तक आईओ (जांच अधिकारी) द्वारा प्राप्त नहीं किए गए हैं। याचिकाकर्ता अन्य आरोपियों की कानून की प्रक्रिया से बचने में भी मदद कर सकता है। आरोपी ने यह दावा करते हुए जमानत का अनुरोध किया था कि वह स्वयं इस गिरोह का शिकार है और उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है। एंथनी को 26 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में है। सीबीआई के अनुसार, आरोपी और उसके कथित साथियों ने पैसे के बदले भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में सुरक्षा गार्ड, सहायक और इसी तरह की नौकरी दिलाने के बहाने उनकी रूस में तस्करी की। सीबीआई ने आरोप लगाया कि पीड़ितों से धोखे से रूसी सेना में शामिल होने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाए गए। उन्हें लड़ाकू भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया गया और रूसी सेना की वर्दी और बैज प्रदान किए गए। सीबीआई ने आरोप लगाया कि इन भारतीय नागरिकों को फिर उनकी इच्छा के विरुद्ध युद्ध क्षेत्रों में तैनात किया गया और उनकी जान को खतरे में डाला गया, जिसमें से कुछ गंभीर रूप से घायल भी हुए। सीबीआई ने आरोप लगाया कथित रैकेट संचालकों ने भारतीय छात्रों को भी रूस में संदिग्ध निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश दिलाने का वादा करके ठगा था। सीबीआई ने आरोप लगाया कि उन्होंने उन्हें मुफ्त में छूट वाले वीजा विस्तार, फीस ढांचा आदि की पेशकश की और वीजा एजेंट और कॉलेज अधिकारियों की दया पर छोड़ दिया। सीबीआई ने दावा किया कि कथित घोटाले के पीड़ितों के पासपोर्ट रूस पहुंचने पर एजेंट द्वारा जब्त कर लिए गए थे।(भाषा)