नियोक्ता विविधता, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं: रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 28 मई । भारत में नियोक्ताओं का बड़ा वर्ग प्रगतिशील नीतियों, कौशल उन्नयन और लचीलेपन के जरिए विविधता तथा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। मैनपावरग्रुप इंडिया द्वारा किए गए नए सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 54 प्रतिशत नियोक्ताओं ने उनकी कंपनी की विविधता, समानता, समावेशन तथा संबद्धता (डीईआईबी) पहल पर विश्वास जाहिर किया कि और कहा कि वे विभिन्न स्तरों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के रास्ते पर हैं। यह वैश्विक औसत 46 प्रतिशत से कहीं अधिक है। यह सर्वेक्षण 3,150 भारतीय नियोक्ताओं के बीच किया गया। इसमें पाया गया कि विविध प्रतिभा को बनाए रखने में मदद करने के लिए आंतरिक नेतृत्व विकास कार्यक्रम सबसे प्रभावी हैं। क्षेत्र-वार बात करें तो, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र अपने विविधता अनुपात को मजबूत करने में अग्रणी है। इसके बाद स्वास्थ्य देखभाल और जीवन विज्ञान क्षेत्र तथा वित्तीय व रियल एस्टेट क्षेत्र हैं। हालांकि उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं के क्षेत्र को अभी लंबा रास्ता तय करना है। मैनपावरग्रुप के प्रबंध निदेशक (भारत और पश्चिम एशिया) संदीप गुलाटी ने कहा, भारत की लैंगिक विविधता दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ में से एक है। कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को तेज गति से बढ़ते देखना उत्साहजनक है। संगठनों ने सभी क्षेत्रों में हर स्तर पर महिलाओं को नियुक्त करना अनिवार्य करके अपनी नियुक्ति रणनीतियों में बदलाव किया है। सर्वेक्षण में 80 प्रतिशत नियोक्ताओं ने कहा कि प्रौद्योगिकी लचीलापन बढ़ाती है और लैंगिक समानता को बढ़ावा देती है। 77 प्रतिशत ने कहा कि प्रौद्योगिकी प्रगति ने इस उद्देश्य का समर्थन किया है। गुलाटी ने विश्वास व्यक्त किया, यदि अधिक से अधिक महिलाओं को श्रम बल में जोड़ा जाए तो भारत बेहद तेज वृद्धि दर से आगे बढ़ने की क्षमता रखता है। मैनपावरग्रुप एम्प्लॉयमेंट आउटलुक सर्वे के नवीनतम संस्करण में, भारत के 3,150 नियोक्ताओं से उनकी विविधता योजनाओं, प्रगति व इरादों, विविध प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और लैंगिक अंतर को पाटने के बारे में पूछा गया था।(भाषा)

नियोक्ता विविधता, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं: रिपोर्ट
नयी दिल्ली, 28 मई । भारत में नियोक्ताओं का बड़ा वर्ग प्रगतिशील नीतियों, कौशल उन्नयन और लचीलेपन के जरिए विविधता तथा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। मैनपावरग्रुप इंडिया द्वारा किए गए नए सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 54 प्रतिशत नियोक्ताओं ने उनकी कंपनी की विविधता, समानता, समावेशन तथा संबद्धता (डीईआईबी) पहल पर विश्वास जाहिर किया कि और कहा कि वे विभिन्न स्तरों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के रास्ते पर हैं। यह वैश्विक औसत 46 प्रतिशत से कहीं अधिक है। यह सर्वेक्षण 3,150 भारतीय नियोक्ताओं के बीच किया गया। इसमें पाया गया कि विविध प्रतिभा को बनाए रखने में मदद करने के लिए आंतरिक नेतृत्व विकास कार्यक्रम सबसे प्रभावी हैं। क्षेत्र-वार बात करें तो, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र अपने विविधता अनुपात को मजबूत करने में अग्रणी है। इसके बाद स्वास्थ्य देखभाल और जीवन विज्ञान क्षेत्र तथा वित्तीय व रियल एस्टेट क्षेत्र हैं। हालांकि उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं के क्षेत्र को अभी लंबा रास्ता तय करना है। मैनपावरग्रुप के प्रबंध निदेशक (भारत और पश्चिम एशिया) संदीप गुलाटी ने कहा, भारत की लैंगिक विविधता दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ में से एक है। कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को तेज गति से बढ़ते देखना उत्साहजनक है। संगठनों ने सभी क्षेत्रों में हर स्तर पर महिलाओं को नियुक्त करना अनिवार्य करके अपनी नियुक्ति रणनीतियों में बदलाव किया है। सर्वेक्षण में 80 प्रतिशत नियोक्ताओं ने कहा कि प्रौद्योगिकी लचीलापन बढ़ाती है और लैंगिक समानता को बढ़ावा देती है। 77 प्रतिशत ने कहा कि प्रौद्योगिकी प्रगति ने इस उद्देश्य का समर्थन किया है। गुलाटी ने विश्वास व्यक्त किया, यदि अधिक से अधिक महिलाओं को श्रम बल में जोड़ा जाए तो भारत बेहद तेज वृद्धि दर से आगे बढ़ने की क्षमता रखता है। मैनपावरग्रुप एम्प्लॉयमेंट आउटलुक सर्वे के नवीनतम संस्करण में, भारत के 3,150 नियोक्ताओं से उनकी विविधता योजनाओं, प्रगति व इरादों, विविध प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और लैंगिक अंतर को पाटने के बारे में पूछा गया था।(भाषा)