एग्जिट पोल देखकर क्यों मुस्कुरा रहे लोग, निर्णय की घड़ी आखिर आ पहुंचीं 

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एग्जिट पोल देखकर क्यों मुस्कुरा रहे लोग, निर्णय की घड़ी आखिर आ पहुंचीं 

दुर्ग। आखिरकार परिणाम का दिन आ गया। टीवी न्यूज में रंग रंग के एग्जिट पोल दिखा रहे है। लोग मुस्कुरा कर उन्हे देख भी रहे हैं। अब जब कल परिणाम आ ही जाना है तो पोल पर लोग बहस करना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा, पहले की तरह दावे प्रतिदावे भी आमजन नही कर रहे है। सोशल मीडिया के इस नए युग में हर व्यक्ति जर्नलिस्ट है। सबके अपने अपने अनुभव हैं, समाज को पढ़ने के ढंग है। 
राष्ट्रीय धारा पर सबकी अपनी निगाहे है, लिहाजा लोग अब दूसरे की बातों पर ज्यादा नही आते, और न अपनी बात दूसरो पर थोपने की इच्छा रखते है। 
छत्तीसगढ़ की 11 सीटो पर भाजपा का पलड़ा भारी है। कुछ यही हाल दुर्ग लोकसभा सीट पर भी है। पिछले चुनाव के बनिस्बत इस चुनाव में 2% ज्यादा मतदाताओं ने वोट डाला है। इसके बावजूद यहां भाजपा का मत प्रतिशत घटने का अनुमान है। विजय बघेल की 2019 की जीत भाजपा के टॉप 10 जीतों में एक थी। इस बार चुनावी प्रेक्षकों की नजर बृजमोहन के वोटो पर टिकी है। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कोरबा की भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडे की किस्मत की गिनती कल ईवीएम कर देगी। मोदी के 4 सौ पार और राहुल गांधी के मोदी की विदाई जैसे दावों पर भी फैसला 4 जून की सुबह से होने लगेगा। 
चुनाव आयोग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। जिस तरह चुनाव आयोग अपने अधिकारी कर्मचारियों को चुनाव की ट्रेनिंग देता है, कुछ उसी तरह की ट्रेनिंग राजनैतिक दलों ने अपने कार्यकर्ताओं को भी दिया है। खासकर कांग्रेस को आशंका है कि ईवीएम के जरिए गड़बड़ी की जा सकती है, लिहाजा कांग्रेस ने अपने गिनती एजेंटो को ईवीएम की बारीकियां समझाई है। गड़बड़ लगने पर तत्काल बड़े लीडरशिप को सूचना भेजने कहा गया है। 
नतीजे चाहे जैसे भी रहे, ईवीएम पर भी ठीकरा फूटना तय है। जो भी पराजित होगा, वह ईवीएम को कटघरे में खड़ा करेगा। 
बहरहाल, इस चुनाव में 37% थर्ड जेंडर  मतदाताओं ने वोट किया, जो पिछली बार मात्र 18% था। अन्य लिंग वर्ग के मतदाता अभी भी ज्यादा वोटिंग नही करते। पर पिछले समय से इन्होंने दोगुना वोट डाला है। 
दुर्ग जैसे जिले में वोटिंग प्रतिशत आज भी 75% को टच नही करता। जबकि साक्षरता बढ़ने के साथ इसे 80% से ज्यादा जाना चाहिए था।