जाति पर आरएसएस का यूटर्न, अब कास्ट सिस्टम को माना समाज को एक करने की वजह, पूछ ली कांग्रेस से उसकी जाति RSS On Caste

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने जाति व्यवस्था को भारत की एकता का कारक बताया और जाति व्यवस्था को उचित ठहराने की कोशिश की है। आरएसएस की पत्रिका पांचजन्य मैगजीन (Panchjanya) के संपादकीय में जाति व्यवस्था को भारतीय समाज (Indian society) को एक करने वाली वजह बताते हुए कहा गया है कि मुगल इसे समझ नहीं सके और अंग्रेज इसे देश पर अपने आक्रमण के लिए एक बाधा के रूप में देखते थे। जाति पर यूटर्न लेते हुए आरएसएस ने कांग्रेस (Congress) से भी उसकी जाति पूछ ली। बता दें कि हाल ही में संसद में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जाति पर बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने टिपण्णी की थी। जहां एक तरफ आरएसएस से जुड़ी पत्रिका में जाति व्यवस्था के पक्ष में तर्क दिया गया है। वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बार-बार कहते रहे हैं कि जातिगत भेदभाव भारतीय समाज के लिए अभिशाप है और इसे खत्म किया जाना चाहिए। मैगजीन के संपादक हितेश शंकर ने संपादकीय में लिखा है किमिशनरियों ने भारत के इस एकीकरण के समीकरण को मुगलों से बेहतर समझा कि यदि भारत और उसके स्वाभिमान को तोड़ना है तो सबसे पहले जाति व्यवस्था के रूप में या इस एकीकृत करने वाले कारक को एक बाधा या जंजीर कहकर तोड़ दें। जाति व्यवस्था की इस समझ को अंग्रेजों ने अपनी फूट डालो और राज करो की नीति के लिए अपनाया था। हितेश शंकर ने लिखा है कि जाति व्यवस्था एक कड़ी थी जो भारत के अलग-अलग वर्गों को उनके पेशे और परंपरा के मुताबिक एक साथ रखती थी। औद्योगिक क्रांति के बाद, पूंजीपतियों ने जाति व्यवस्था को भारत के पहरेदार के रूप में देखा था। सेवा और सुधार की आड़ में बनाया निशाना संपादकीय में दिए गए तर्क के मुताबिक जाति व्यवस्था हमेशा आक्रमणकारियों के निशाने पर थी। जहां मुगलों ने तलवार के बल पर तो वहीं मिशनरियों ने सेवा और सुधार की आड़ में इसे निशाना बनाया। जाति के रूप में भारत के समाज ने एक जो बात समझी थी वो ये कि अपनी जाति से दगा करना राष्ट्र से दगा करना है। मिशनरियों ने भारत के इस एकीकरण के समीकरण को मुगलों से बेहतर समझा कि यदि भारत और उसके स्वाभिमान को तोड़ना है तो सबसे पहले जाति व्यवस्था के रूप में या इस एकीकृत करने वाले कारक को एक बाधा या जंजीर कहकर तोड़ दें। कांग्रेस की जाति- ईस्ट इंडिया कंपनी और ए ओ ह्यूम राहुल गांधी पर लोकसभा में जाति के मुद्दे पर बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के तज पर संपादकीय में कहा गया है कि भारत की जाति क्या है? समाज और इतिहास का उत्तर है हिंदू। वहीं जब कांग्रेस पार्टी से उसकी जाति पूछी जाएगी तो जवाब होगा ईस्ट इंडिया कंपनी और ए ओ ह्यूम। देश में बंटवारा बढ़ाना चाहती है कांग्रेस मिशनरियों ने जाति को अपने धर्मांतरण के कार्यक्रम में एक बाधा के तौर पर देखा, तो वहीं कांग्रेस ने इसे हिंदू एकता में एक कांटे के रूप में देखा. कांग्रेस जाति जनगणना कराना चाहती है क्योकि वह अंग्रेजों की तर्ज पर लोकसभा सीटों को जाति के आधार पर बांटकर देश में बंटवारा बढ़ाना चाहती है।

जाति पर आरएसएस का यूटर्न, अब कास्ट सिस्टम को माना समाज को एक करने की वजह, पूछ ली कांग्रेस से उसकी जाति  RSS On Caste
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने जाति व्यवस्था को भारत की एकता का कारक बताया और जाति व्यवस्था को उचित ठहराने की कोशिश की है। आरएसएस की पत्रिका पांचजन्य मैगजीन (Panchjanya) के संपादकीय में जाति व्यवस्था को भारतीय समाज (Indian society) को एक करने वाली वजह बताते हुए कहा गया है कि मुगल इसे समझ नहीं सके और अंग्रेज इसे देश पर अपने आक्रमण के लिए एक बाधा के रूप में देखते थे। जाति पर यूटर्न लेते हुए आरएसएस ने कांग्रेस (Congress) से भी उसकी जाति पूछ ली। बता दें कि हाल ही में संसद में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जाति पर बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने टिपण्णी की थी। जहां एक तरफ आरएसएस से जुड़ी पत्रिका में जाति व्यवस्था के पक्ष में तर्क दिया गया है। वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बार-बार कहते रहे हैं कि जातिगत भेदभाव भारतीय समाज के लिए अभिशाप है और इसे खत्म किया जाना चाहिए। मैगजीन के संपादक हितेश शंकर ने संपादकीय में लिखा है किमिशनरियों ने भारत के इस एकीकरण के समीकरण को मुगलों से बेहतर समझा कि यदि भारत और उसके स्वाभिमान को तोड़ना है तो सबसे पहले जाति व्यवस्था के रूप में या इस एकीकृत करने वाले कारक को एक बाधा या जंजीर कहकर तोड़ दें। जाति व्यवस्था की इस समझ को अंग्रेजों ने अपनी फूट डालो और राज करो की नीति के लिए अपनाया था। हितेश शंकर ने लिखा है कि जाति व्यवस्था एक कड़ी थी जो भारत के अलग-अलग वर्गों को उनके पेशे और परंपरा के मुताबिक एक साथ रखती थी। औद्योगिक क्रांति के बाद, पूंजीपतियों ने जाति व्यवस्था को भारत के पहरेदार के रूप में देखा था। सेवा और सुधार की आड़ में बनाया निशाना संपादकीय में दिए गए तर्क के मुताबिक जाति व्यवस्था हमेशा आक्रमणकारियों के निशाने पर थी। जहां मुगलों ने तलवार के बल पर तो वहीं मिशनरियों ने सेवा और सुधार की आड़ में इसे निशाना बनाया। जाति के रूप में भारत के समाज ने एक जो बात समझी थी वो ये कि अपनी जाति से दगा करना राष्ट्र से दगा करना है। मिशनरियों ने भारत के इस एकीकरण के समीकरण को मुगलों से बेहतर समझा कि यदि भारत और उसके स्वाभिमान को तोड़ना है तो सबसे पहले जाति व्यवस्था के रूप में या इस एकीकृत करने वाले कारक को एक बाधा या जंजीर कहकर तोड़ दें। कांग्रेस की जाति- ईस्ट इंडिया कंपनी और ए ओ ह्यूम राहुल गांधी पर लोकसभा में जाति के मुद्दे पर बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के तज पर संपादकीय में कहा गया है कि भारत की जाति क्या है? समाज और इतिहास का उत्तर है हिंदू। वहीं जब कांग्रेस पार्टी से उसकी जाति पूछी जाएगी तो जवाब होगा ईस्ट इंडिया कंपनी और ए ओ ह्यूम। देश में बंटवारा बढ़ाना चाहती है कांग्रेस मिशनरियों ने जाति को अपने धर्मांतरण के कार्यक्रम में एक बाधा के तौर पर देखा, तो वहीं कांग्रेस ने इसे हिंदू एकता में एक कांटे के रूप में देखा. कांग्रेस जाति जनगणना कराना चाहती है क्योकि वह अंग्रेजों की तर्ज पर लोकसभा सीटों को जाति के आधार पर बांटकर देश में बंटवारा बढ़ाना चाहती है।