चीन के पास होगी दुनिया की सबसे बड़ी वायुसेना

बीजिंग  चीन अब दुनिया की सबसे बड़ी वायुसेना ताकत बनने जा रहा है। यूएस इंडो-पैसिफिक...

चीन के पास होगी दुनिया की सबसे बड़ी वायुसेना

बीजिंग
 चीन अब दुनिया की सबसे बड़ी वायुसेना ताकत बनने जा रहा है। यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के प्रमुख नेवी एडमिरल जॉन सी. एक्विलिनो ने कैपिटल हिल पर एक हालिया गवाही में इस जानकारी का खुलासा किया है। उन्होंने चीन के महत्वाकांक्षी सैन्य आधुनिकीकरण प्रयासों और वैश्विक शक्ति गतिशीलता को नया आकार देने की उनकी क्षमता को उजागर किया है। 21 मार्च को सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष एक्विलिनो ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के संबंध में दावा किया कि दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन चुके चीन के पास जल्द ही दुनिया की सबसे बड़ी वायु सेना भी होगी। चीन इस मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ सकता है।
 

यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि एक्विलिनो ने कहा है कि इस सुरक्षा चुनौती के परिमाण, दायरे और पैमाने को कम करके नहीं आंका जा सकता। एक्विलिनो ने खासतौर से चीनी सैन्य बलों के पास मौजूद युद्धक विमानों की भारी संख्या की ओर इशारा किया। चीन की सैन्य शक्ति पर अपनी 2023 की रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा था कि पीएलए वायु सेना और नौसेना के पास कुल मिलाकर 3,150 से अधिक विमान हैं। वहीं अमेरिकी वायु सेना लगभग 4,000 गैर-प्रशिक्षक, गैर-ड्रोन विमानों का दावा करती है। इसके अतिरिक्त, संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी नौसेना, मरीन कोर और सेना शाखाओं में कई हजार से अधिक विमान रखता है।

अमेरिका की बढ़ रही है चिंता
अमेरिकी एयरफोर्स ने अपना दायरा पूरी दुनिया में फैला रखा है और उस दायरे में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए उसे लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी सेना की स्ट्रैटजी लड़ाकू विमानों की संख्या कमके एडवांस मिसाइल डिफेंस सिस्टम में निवेश की है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फाइटर जेट्स की संख्या में कमी आने से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है, क्योंकि अमेरिका का दायरा बहुत बड़ा है। इसके बावजूद अमेरिका आर्थिक दिक्कतों की वजह से हथियारों पर बड़ा निवेश नहीं कर सकता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन की कोशिश अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के साथ साथ अपनी मिसाइल क्षमता से उन्हें बेअसर करने की योजना पर काम कर रहा है। चीन की रणनीति अमेरिका के महत्वपूर्ण हवाई अड्डों को निष्क्रीय बनाकर उसके पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट्स को उड़ने ही नहीं देने पर है। इससे शक्ति संतुलन उसके पक्ष में आ सकता है। खासतौर से ताइवान में किसी संभावित टकराव पर भी चीन की नजर है। वह लगातार समुद्र, आसमान और जमीन पर अपनी फौजी ताकत बढ़ा रहा है।