सिरपुर का विश्व धरोहर सूची में शामिल न होना दुर्भाग्यजनक-डॉ. पाणिग्राही

महासमुंद, 29 जुलाई। जानकारी मिली है कि विश्व धरोहर में सिरपुर को इस बार भी शामिल नहीं किया गया है। हालांकि भारत का एक मात्र नामांकन विश्व धरोहर 2024 के लिए असम के चराइदेव के मोईदा का नामांकन विश्व धरोहर सूची में शामिल हुआ है। ग्रीन केयर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि छत्तीसगढ़ के विश्व विख्यात पुरा नगरी सिरपुर का विश्व धरोहर सूची में शामिल न होना हर छत्तीसगढिय़ा के लिए अत्यंत ही निराशाजनक समाचार है। उन्होंनं कहा है कि ग्रीन केयर सोसायटी इंडिया बहुत समय से सिरपुर को विश्व धरोहर में शामिल करने की मांग करते आ रही है। गत 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस 2024 के अवसर पर इस मांग को पुन: दुहराते हुए प्रदेश के मुख्य मंत्री विष्णुदेव साय एवं तत्कालीन पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को पत्र लिखा है। यूनेस्को की टीम के समक्ष भी यह मजबूत दावेदारी थी और मांग की गई थी कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के महासमुंद जिले का विश्व विख्यात धार्मिक बौद्धिक एवम पुरातात्विक स्थल सिरपुर शीघ्र ही विश्व विरासत में शामिल हो। अपनी इस मांग की पुनरावृति करते हुए ग्रीन केयर सोसायटी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही एवं डायरेक्टर अमूजूरी बिस्वनाथ ने कहा कि हम सिरपुर को विश्व धरोहर में शामिल करने की मांग यूं ही नहीं कर रहे हैं। अपितु सिरपुर में विश्व धरोहर में शामिल होने की सभी अंतरराष्ट्रीय मान्यताएं एवम साक्ष्य मौजूद हैं। सिरपुर बौद्ध धर्म , शैव धर्म, वैष्णव धर्म, जैन धर्म के स्थापत्य कला को आज भी अपने में समेटे हुए हंै। यह भारत का सबसे बड़ा बौद्ध स्थल है। अनेक बौद्ध विहार,भिक्षुओं को पढ़ाने के प्रमाण सहित बौद्ध विद्वान नागार्जुन के आने के प्रमाण हैं। खुदाई में बौद्ध कालीन खंडहर भगवान बुद्ध की भव्य प्राचीन मूर्ति, बाजार, अस्पताल, बंदरगाह होने के साक्ष्य मिले हैं। लाल ईंटों से बना भारत का पहला मंदिर लक्ष्मण मंदिर जिसमें सीमेंट का उपयोग नहीं हुआ है तथा ताजमहल से भी 1100 पहले का निर्माण है। चीन के बौद्ध भिक्षु व्हेन सांग के ग्रंथों में भी सिरपुर का उल्लेख मिलता है। बौद्ध भिक्षु व्हेन सांग के सिरपुर आने तथा सिरपुर में कुछ वर्ष रहने के उल्लेख मिलते हैं। रामायण काल के भी अनेक उल्लेख मिलते हैं । डॉ. पाणिग्राही का कहना है कि इतनी सारी विशेषताओं एवम पात्रता के मापदंडों में खरा होने के बाद भी अब तक विश्व धरोहर में शामिल न हो पाना आश्चर्यजनक है। अभी हमारे देश में कुल 42 विश्व धरोहर हैं लेकिन छत्तीसगढ़ का एक भी साइट अब तक शामिल नहीं है। जुलाई में यूनेस्को की टीम सिरपुर आने के समाचार मिल रहे थे। लेकिन खबर मिल रहा है कि सिरपुर शामिल नहीं होगा 2024 यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में। हमारी संस्था ग्रीन केयर सोसाइटी इंडिया की पुरजोर मांग है कि क्या कमी रह गई है इस पर चिंतन मनन हो, तदानुसार अगला प्रतुतिकरण एवम दावा प्रस्तुत हो ताकि कम से कम अगली सूची में विश्व धरोहर के रूप मेंं देश का 44 वंा एवम छत्तीसगढ़ का पहला विश्व धरोहर सिरपुर शामिल हो। गौरतलब है कि पहली बार भारत में यूनेस्को विश्व धरोहर का सत्र 21से 31जुलाई तक आयोजित है। इस संबध में हमारी संस्था पुन: मुख्य मंत्री को पत्र लिख रही है।

सिरपुर का विश्व धरोहर सूची में शामिल न होना दुर्भाग्यजनक-डॉ. पाणिग्राही
महासमुंद, 29 जुलाई। जानकारी मिली है कि विश्व धरोहर में सिरपुर को इस बार भी शामिल नहीं किया गया है। हालांकि भारत का एक मात्र नामांकन विश्व धरोहर 2024 के लिए असम के चराइदेव के मोईदा का नामांकन विश्व धरोहर सूची में शामिल हुआ है। ग्रीन केयर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि छत्तीसगढ़ के विश्व विख्यात पुरा नगरी सिरपुर का विश्व धरोहर सूची में शामिल न होना हर छत्तीसगढिय़ा के लिए अत्यंत ही निराशाजनक समाचार है। उन्होंनं कहा है कि ग्रीन केयर सोसायटी इंडिया बहुत समय से सिरपुर को विश्व धरोहर में शामिल करने की मांग करते आ रही है। गत 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस 2024 के अवसर पर इस मांग को पुन: दुहराते हुए प्रदेश के मुख्य मंत्री विष्णुदेव साय एवं तत्कालीन पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को पत्र लिखा है। यूनेस्को की टीम के समक्ष भी यह मजबूत दावेदारी थी और मांग की गई थी कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के महासमुंद जिले का विश्व विख्यात धार्मिक बौद्धिक एवम पुरातात्विक स्थल सिरपुर शीघ्र ही विश्व विरासत में शामिल हो। अपनी इस मांग की पुनरावृति करते हुए ग्रीन केयर सोसायटी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही एवं डायरेक्टर अमूजूरी बिस्वनाथ ने कहा कि हम सिरपुर को विश्व धरोहर में शामिल करने की मांग यूं ही नहीं कर रहे हैं। अपितु सिरपुर में विश्व धरोहर में शामिल होने की सभी अंतरराष्ट्रीय मान्यताएं एवम साक्ष्य मौजूद हैं। सिरपुर बौद्ध धर्म , शैव धर्म, वैष्णव धर्म, जैन धर्म के स्थापत्य कला को आज भी अपने में समेटे हुए हंै। यह भारत का सबसे बड़ा बौद्ध स्थल है। अनेक बौद्ध विहार,भिक्षुओं को पढ़ाने के प्रमाण सहित बौद्ध विद्वान नागार्जुन के आने के प्रमाण हैं। खुदाई में बौद्ध कालीन खंडहर भगवान बुद्ध की भव्य प्राचीन मूर्ति, बाजार, अस्पताल, बंदरगाह होने के साक्ष्य मिले हैं। लाल ईंटों से बना भारत का पहला मंदिर लक्ष्मण मंदिर जिसमें सीमेंट का उपयोग नहीं हुआ है तथा ताजमहल से भी 1100 पहले का निर्माण है। चीन के बौद्ध भिक्षु व्हेन सांग के ग्रंथों में भी सिरपुर का उल्लेख मिलता है। बौद्ध भिक्षु व्हेन सांग के सिरपुर आने तथा सिरपुर में कुछ वर्ष रहने के उल्लेख मिलते हैं। रामायण काल के भी अनेक उल्लेख मिलते हैं । डॉ. पाणिग्राही का कहना है कि इतनी सारी विशेषताओं एवम पात्रता के मापदंडों में खरा होने के बाद भी अब तक विश्व धरोहर में शामिल न हो पाना आश्चर्यजनक है। अभी हमारे देश में कुल 42 विश्व धरोहर हैं लेकिन छत्तीसगढ़ का एक भी साइट अब तक शामिल नहीं है। जुलाई में यूनेस्को की टीम सिरपुर आने के समाचार मिल रहे थे। लेकिन खबर मिल रहा है कि सिरपुर शामिल नहीं होगा 2024 यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में। हमारी संस्था ग्रीन केयर सोसाइटी इंडिया की पुरजोर मांग है कि क्या कमी रह गई है इस पर चिंतन मनन हो, तदानुसार अगला प्रतुतिकरण एवम दावा प्रस्तुत हो ताकि कम से कम अगली सूची में विश्व धरोहर के रूप मेंं देश का 44 वंा एवम छत्तीसगढ़ का पहला विश्व धरोहर सिरपुर शामिल हो। गौरतलब है कि पहली बार भारत में यूनेस्को विश्व धरोहर का सत्र 21से 31जुलाई तक आयोजित है। इस संबध में हमारी संस्था पुन: मुख्य मंत्री को पत्र लिख रही है।