थैलेसीमियामरीज को रक्त देकर हेडमास्टर ने बचाई जान

छत्तीसगढ़ संवाददाता बलरामपुर, 16 जुलाई। रक्तदान को महादान यूं ही नहीं कहा जाता है। जरूरत के समय किसी को रक्त देकर उसकी जान बचाना बहुत बड़ा कार्य है। स्वामी आत्मानंद मिडिल स्कूल की हेडमास्टर रोमी कुलदीप सिंह ने थैलीसीमिया पीडि़त मरीज को रक्तदान कर जान बचाई। दरअसल सोमवार को रक्तदाता सेवा समिति के द्वारा सूचना मिलने पर बलरामपुर जिला अस्पताल पहुंची स्वामी आत्मानंद मिडिल स्कूल की हेडमास्टर रोमी कुलदीप सिंह ने 12 वर्षीय थैलीसीमिया पीडि़त बच्चे की रक्तदान कर जान बचाई। उन्होंने मीडिया को बताया कि यह मेरा तीसरा रक्तदान है। रक्तदान कर मुझे अच्छा लगता है। हमें रक्तदान जरूर करना चाहिए। इस बार पति के जन्मदिन के अवसर पर यह रक्तदान की हूं। बलरामपुर निवासी 12 वर्षीय हिमांशु एक्का थैलीसीमिया से पीडि़त है। हिमांशु लगभग 11 वर्षों से इस गंभीर बीमारी से पीडि़त है। बीमारी के कारण हर माह एक यूनिट ब्लड की जरूरत होती है। रक्तदाता सेवा समिति के द्वारा ब्लड उपलब्ध करवाया जाता है। संस्था के अध्यक्ष आनंद गुप्ता ने बताया कि पूरे जिले में लगभग 35 थैलेसीमिया पीडि़त मरीज है। हमारी संस्था के द्वारा रक्त संबंधित सभी पीडि़त मरीजों को हर संभव मदद मुहैया करवाया जाता है। क्या है थैलेसीमिया थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला ब्लड डिसऑर्डर है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया बाधित होती है, जिसके कारण एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं। इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है। इसमें रोगी बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहर से खून की आवश्यकता पड़ती है।

थैलेसीमियामरीज को रक्त देकर हेडमास्टर ने बचाई जान
छत्तीसगढ़ संवाददाता बलरामपुर, 16 जुलाई। रक्तदान को महादान यूं ही नहीं कहा जाता है। जरूरत के समय किसी को रक्त देकर उसकी जान बचाना बहुत बड़ा कार्य है। स्वामी आत्मानंद मिडिल स्कूल की हेडमास्टर रोमी कुलदीप सिंह ने थैलीसीमिया पीडि़त मरीज को रक्तदान कर जान बचाई। दरअसल सोमवार को रक्तदाता सेवा समिति के द्वारा सूचना मिलने पर बलरामपुर जिला अस्पताल पहुंची स्वामी आत्मानंद मिडिल स्कूल की हेडमास्टर रोमी कुलदीप सिंह ने 12 वर्षीय थैलीसीमिया पीडि़त बच्चे की रक्तदान कर जान बचाई। उन्होंने मीडिया को बताया कि यह मेरा तीसरा रक्तदान है। रक्तदान कर मुझे अच्छा लगता है। हमें रक्तदान जरूर करना चाहिए। इस बार पति के जन्मदिन के अवसर पर यह रक्तदान की हूं। बलरामपुर निवासी 12 वर्षीय हिमांशु एक्का थैलीसीमिया से पीडि़त है। हिमांशु लगभग 11 वर्षों से इस गंभीर बीमारी से पीडि़त है। बीमारी के कारण हर माह एक यूनिट ब्लड की जरूरत होती है। रक्तदाता सेवा समिति के द्वारा ब्लड उपलब्ध करवाया जाता है। संस्था के अध्यक्ष आनंद गुप्ता ने बताया कि पूरे जिले में लगभग 35 थैलेसीमिया पीडि़त मरीज है। हमारी संस्था के द्वारा रक्त संबंधित सभी पीडि़त मरीजों को हर संभव मदद मुहैया करवाया जाता है। क्या है थैलेसीमिया थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला ब्लड डिसऑर्डर है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया बाधित होती है, जिसके कारण एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं। इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है। इसमें रोगी बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहर से खून की आवश्यकता पड़ती है।