ओली और नेपाली कांग्रेस ने मिलाया हाथ, ख़तरे में प्रचंड की कुर्सी

नेपाल के दो राजनीतिक दल नेपाली कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीएन-यूएमएल, जो एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हुआ करते थे, उन्होंने आपस में गठबंधन बना लिया है. इसका मतलब यह है कि नेपाल के मौजूदा प्रधानमंत्री प्रचंड की कुर्सी ख़तरे में पड़ गई है. इससे पहले प्रचंड का साथ नेपाली कांग्रेस का मिला था लेकिन प्रचंड ने ओली से हाथ मिला लिया था और नेपाली कांग्रेस अलग हो गई थी. अब नेपाली कांग्रेस और केपी शर्मा ओली साथ आ गए हैं और प्रचंड की सरकार अल्पमत में आ गई है. हालांकि प्रचंड ने प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ने से इनकार कर दिया है. प्रधानमंत्री प्रचंड ने पद पर बने रहने और सदन में विश्वास मत हासिल करने की बात की है. प्रचंड के इस रुख़ से नई सरकार के गठन की प्रक्रिया में देरी हो सकती है. नए गठबंधन का शुरुआती नेतृत्व समझौते के अनुसार, यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली करेंगे फिर कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा सरकार का नेतृत्व करेंगे. नए नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के गठबंधन को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ये नई सरकार और अधिक मनमानी कर सकती है. जानकारों की राय है कि इस गठबंधन को दोनों दलों ने अपने फ़ायदे के लिए बनाया है, साथ ही ये भी संदेह जताया है कि संभवतः दोनों पार्टियां आपस में हुए सत्ता के हस्तांतरण के समझौते का भी पालन नहीं करेंगी. दोनों पार्टियों का कहना था कि ये फ़ैसला देश मेंं राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए किया गया है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इसे राजनीति में अत्यंत अवसरवादिता का नाम दे रहे हैं. प्रतिनिधि सभा में नेपाली कांग्रेस के 88 सांसद हैं जबकि सीपीएन-यूएमएल के 79 सांसद है और किसी एक दल को सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत नहीं है. दोनों दलों के नेताओं की राय है कि वो अन्य दलों को भी शामिल करके देश में सर्वसम्मति की सरकार बनाने की कोशिश में हैं और आने वाले समय में चुनाव प्रणाली में सुधार को लेकर संवैधानिक संशोधन जारी रखेंगे.(bbc.com/hindi)

ओली और नेपाली कांग्रेस ने मिलाया हाथ, ख़तरे में प्रचंड की कुर्सी
नेपाल के दो राजनीतिक दल नेपाली कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीएन-यूएमएल, जो एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हुआ करते थे, उन्होंने आपस में गठबंधन बना लिया है. इसका मतलब यह है कि नेपाल के मौजूदा प्रधानमंत्री प्रचंड की कुर्सी ख़तरे में पड़ गई है. इससे पहले प्रचंड का साथ नेपाली कांग्रेस का मिला था लेकिन प्रचंड ने ओली से हाथ मिला लिया था और नेपाली कांग्रेस अलग हो गई थी. अब नेपाली कांग्रेस और केपी शर्मा ओली साथ आ गए हैं और प्रचंड की सरकार अल्पमत में आ गई है. हालांकि प्रचंड ने प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ने से इनकार कर दिया है. प्रधानमंत्री प्रचंड ने पद पर बने रहने और सदन में विश्वास मत हासिल करने की बात की है. प्रचंड के इस रुख़ से नई सरकार के गठन की प्रक्रिया में देरी हो सकती है. नए गठबंधन का शुरुआती नेतृत्व समझौते के अनुसार, यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली करेंगे फिर कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा सरकार का नेतृत्व करेंगे. नए नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के गठबंधन को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ये नई सरकार और अधिक मनमानी कर सकती है. जानकारों की राय है कि इस गठबंधन को दोनों दलों ने अपने फ़ायदे के लिए बनाया है, साथ ही ये भी संदेह जताया है कि संभवतः दोनों पार्टियां आपस में हुए सत्ता के हस्तांतरण के समझौते का भी पालन नहीं करेंगी. दोनों पार्टियों का कहना था कि ये फ़ैसला देश मेंं राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए किया गया है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इसे राजनीति में अत्यंत अवसरवादिता का नाम दे रहे हैं. प्रतिनिधि सभा में नेपाली कांग्रेस के 88 सांसद हैं जबकि सीपीएन-यूएमएल के 79 सांसद है और किसी एक दल को सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत नहीं है. दोनों दलों के नेताओं की राय है कि वो अन्य दलों को भी शामिल करके देश में सर्वसम्मति की सरकार बनाने की कोशिश में हैं और आने वाले समय में चुनाव प्रणाली में सुधार को लेकर संवैधानिक संशोधन जारी रखेंगे.(bbc.com/hindi)