हत्या जैसी हिंसक वारदातो से सहमा दुर्ग जिला, कप्तान जितेंद्र शुक्ल की पुलिसिंग फेल!

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हत्या जैसी हिंसक वारदातो से सहमा दुर्ग जिला, कप्तान जितेंद्र शुक्ल की पुलिसिंग फेल!

दुर्ग। दुर्ग जिले में पुलिसिंग फेल खाते दिख रहा है। ऐसा कोई दिन नही जा रहा है जिस दिन हत्या, बलात्कार, लूटपाट जैसे संगीन वारदात नही हो रहे हो। जानकार यह भी कहने लगे है कि आईपीएस जितेंद्र शुक्ला दुर्ग में अब तक के सबसे कमजोर पुलिस कप्तान साबित हो रहे हैं। जिले के अंदरूनी व बाहरी हिस्सों में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद है कि उन्हें पुलिस का भी खौफ नहीं रह गया है। जब से राज्य में नई सरकार आई है और यहां वीआईपी मूवमेंट कम हुआ है, तब से अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। 
उधर साय सरकार नक्सली मोर्चे पर भले ही सफलता के झंडे गाड़ रही हो, मगर गृहमंत्री विजय शर्मा को दुर्ग जिले में लॉ एंड ऑर्डर कायम रखने में माकूल सफलता नही मिल रही। जबकि वे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं।
बीते दिन नंदनी अहिवारा में डीजे में डांस करने के विवाद के दौरान यादव परिवार के तीन भाईयो की कत्लेआम से लोग सन्न रह गए हैं। गणेश पक्ष में डीजे की तेज ध्वनि में नशा करके नाचने वाले युवकों का दिमाग आउट आफ कंट्रोल रहता है। ऐसे में छोटी छोटी बात पर जान लेने में उतारू हो जाते है। 
नंदनी हत्याकांड की पटकथा दो दिन से तैयार हो रही थी। पुलिस को इसकी हल्की भनक तक लग चुकी थी। पर डॉ जितेंद्र शुक्ल की पुलिस ने वारदात की गंभीरता को हल्के में लिया, नतीजतन यादव परिवार के तीन भाइयों को विरोधी पक्ष ने लाठी डंडे से पिट पीटकर मौत के घाट उतार दिया।अब डीजे पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है।

दुर्ग भिलाई के शहरी बेल्ट में आए दिन हिंसक वारदात सामने आता है। कोष्टा तालाब, पोटिया, बोरसी सहित अन्य कई स्लम इलाको मे गांजा, शराब के नशेड़ियों का जमघट रहता है, रोज अपराध हो रहे हैं। इसके अलावा खराब ट्रेफिक के चलते कई बच्चे भी काल कवलित हो रहे हैं। शराब दुकानों के आसपास रोज सड़क हादसे होते है। मगर दुर्ग पुलिस का ध्यान कहीं और लगा है। 
जुआ, सट्टा, अवैध शराब गांव और शहर की आम कहानी हो गई है। शराब कोचियाओ से पुलिस की मिलीभगत से आमजन त्रस्त हैं। धमधा के रौंदा बाड़ी में जाने कब से नकली शराब की फैक्ट्री चल रही थी। जो अभी अभी पकड़ा गया।
ट्विन सिटी के लगभग सभी स्लम इलाको में नशे का सामान सहित अवैध शराब किसी भी टाइम मिल जाती है।
छत्तीसगढ़ को अपराधगढ़ बनने से रोकने के लिए पुलिसिंग की खामी दूर करना सबसे जरूरी है। वर्तमान पुलिस कप्तान से जिले की पुलिसिंग संभल नहीं रही है। नागरिक आक्रोशित है। आए दिन लोग विभिन्न थानों का घेराव कर रहे है। राज्य सरकार को इस ओर गंभीर होने की आवश्यकता है।