एप्पल ने पेगासस जैसे स्पाइवेयर हमलों को लेकर उपयोगकर्ताओं को आगाह किया
एप्पल ने पेगासस जैसे स्पाइवेयर हमलों को लेकर उपयोगकर्ताओं को आगाह किया
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल। आईफोन विनिर्माता एप्पल ने अपने उपयोगकर्ताओं को पेगासस जैसे परिष्कृत स्पाइवेयर हमलों को लेकर आगाह करते हुए कहा है कि सीमित संख्या में लोगों को इनका निशाना बनाया जा रहा है।
स्पाइवेयर हमलों की जद में आने वाले लोगों में पत्रकार, कार्यकर्ता, राजनेता और राजनयिक शामिल हैं।
हालांकि, एप्पल ने इन हमलों को लेकर जारी एक सूचना में कहा कि अक्सर ऊंची लागत आने की वजह से कम संख्या में ही स्पाइवेयर को तैनात किया जाता है लेकिन भाड़े के स्पाइवेयर से हमले जारी हैं और वैश्विक स्तर पर किए जा रहे हैं।
एप्पल ने 10 अप्रैल को जारी इस खतरे की अधिसूचना में पिछले शोध और रिपोर्टों के आधार पर यह संकेत दिया है कि ऐसे हमलों का ताल्लुक ऐतिहासिक रूप से सरकार से जुड़े पक्षों से रहा है।
यह अधिसूचना ऐसे समय आई है जब भारत समेत करीब 60 देशों में इस साल चुनाव होने जा रहे हैं।
दिग्गज फोन विनिर्माता ने कहा, खतरे की सूचनाएं उन उपयोगकर्ताओं को सूचित करने और मदद करने के लिए तैयार की गई हैं, जिन्हें व्यक्तिगत रूप से भाड़े के स्पाइवेयर हमलों से निशाना बनाया गया हो। संभवतः ऐसा इसलिए हो कि वे कौन हैं या क्या करते हैं। ऐसे हमले नियमित साइबर आपराधिक गतिविधियों एवं उपभोक्ता मालवेयर की तुलना में बहुत अधिक जटिल होते हैं क्योंकि भाड़े के स्पाइवेयर से हमला करने वाले बहुत कम संख्या में विशिष्ट व्यक्तियों और उनके फोन को लक्षित करने के लिए असाधारण संसाधनों का उपयोग करते हैं।
एप्पल ने कहा कि भाड़े के स्पाइवेयर हमलों की कीमत लाखों डॉलर होती है। इसके अलावा हमले की अवधि कम होने से उनका पता लगा पाना और उन्हें रोक पाना खासा मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा अधिकांश उपयोगकर्ताओं पर ऐसे हमले कभी भी नहीं किए जाते हैं।
कंपनी ने कहा, नागरिक समाज संगठनों, प्रौद्योगिकी फर्मों और पत्रकारों से मिली सूचनाओं और शोध से पता चलता है कि इसपर आने वाली ऊंची लागत और जटिलता को देखते हुए ये हमले ऐतिहासिक रूप से सरकारी पक्षों से जुड़े रहे हैं। इनमें सरकारी की तरफ से भाड़े के स्पाइवेयर विकसित करने वाली निजी कंपनियां भी शामिल हैं जिनमें एनएसओ ग्रुप का स्पाइवेयर पेगासस भी है।
पेगासस स्पाइवेयर ने उपयोगकर्ता के व्हाट्सएप पर सिर्फ एक मिस कॉल देकर उसके मोबाइल फोन को अपने नियंत्रण में ले लिया था।
एप्पल ने कहा कि स्पाइवेयर हमलों की अत्यधिक लागत और विश्वव्यापी प्रकृति उन्हें आज सबसे उन्नत डिजिटल खतरों में शामिल करती है।
ऐसी स्थिति में स्पाइवेयर हमलों से बचने के लिए एप्पल ने उपयोगकर्ताओं को लॉकडाउन मोड को सक्रिय करने का सुझाव दिया है।
कंपनी ने कहा, एप्पल ऐसे हमलों का पता लगाने के लिए पूरी तरह से आंतरिक खतरे-खुफिया जानकारी और जांच पर निर्भर करती है। हालांकि, हमारी जांच कभी भी पूरी तरह निश्चित नहीं हो सकती है लेकिन खतरे की ये सूचनाएं अत्यधिक भरोसे वाले अलर्ट हैं। इसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
पिछले वर्ष एक सर्वेक्षण से पता चला था कि दुनियाभर में लगभग 49 प्रतिशत संगठन कर्मचारियों के उपकरणों पर हमले या सुरक्षा उल्लंघन का पता लगाने में असमर्थ हैं।
साइबर सुरक्षा फर्म चेक पॉइंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पिछले छह महीनों में मोबाइल मालवेयर से प्रभावित संगठनों का साप्ताहिक औसत 4.3 प्रतिशत था, जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र का औसत 2.6 प्रतिशत था।(भाषा)
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल। आईफोन विनिर्माता एप्पल ने अपने उपयोगकर्ताओं को पेगासस जैसे परिष्कृत स्पाइवेयर हमलों को लेकर आगाह करते हुए कहा है कि सीमित संख्या में लोगों को इनका निशाना बनाया जा रहा है।
स्पाइवेयर हमलों की जद में आने वाले लोगों में पत्रकार, कार्यकर्ता, राजनेता और राजनयिक शामिल हैं।
हालांकि, एप्पल ने इन हमलों को लेकर जारी एक सूचना में कहा कि अक्सर ऊंची लागत आने की वजह से कम संख्या में ही स्पाइवेयर को तैनात किया जाता है लेकिन भाड़े के स्पाइवेयर से हमले जारी हैं और वैश्विक स्तर पर किए जा रहे हैं।
एप्पल ने 10 अप्रैल को जारी इस खतरे की अधिसूचना में पिछले शोध और रिपोर्टों के आधार पर यह संकेत दिया है कि ऐसे हमलों का ताल्लुक ऐतिहासिक रूप से सरकार से जुड़े पक्षों से रहा है।
यह अधिसूचना ऐसे समय आई है जब भारत समेत करीब 60 देशों में इस साल चुनाव होने जा रहे हैं।
दिग्गज फोन विनिर्माता ने कहा, खतरे की सूचनाएं उन उपयोगकर्ताओं को सूचित करने और मदद करने के लिए तैयार की गई हैं, जिन्हें व्यक्तिगत रूप से भाड़े के स्पाइवेयर हमलों से निशाना बनाया गया हो। संभवतः ऐसा इसलिए हो कि वे कौन हैं या क्या करते हैं। ऐसे हमले नियमित साइबर आपराधिक गतिविधियों एवं उपभोक्ता मालवेयर की तुलना में बहुत अधिक जटिल होते हैं क्योंकि भाड़े के स्पाइवेयर से हमला करने वाले बहुत कम संख्या में विशिष्ट व्यक्तियों और उनके फोन को लक्षित करने के लिए असाधारण संसाधनों का उपयोग करते हैं।
एप्पल ने कहा कि भाड़े के स्पाइवेयर हमलों की कीमत लाखों डॉलर होती है। इसके अलावा हमले की अवधि कम होने से उनका पता लगा पाना और उन्हें रोक पाना खासा मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा अधिकांश उपयोगकर्ताओं पर ऐसे हमले कभी भी नहीं किए जाते हैं।
कंपनी ने कहा, नागरिक समाज संगठनों, प्रौद्योगिकी फर्मों और पत्रकारों से मिली सूचनाओं और शोध से पता चलता है कि इसपर आने वाली ऊंची लागत और जटिलता को देखते हुए ये हमले ऐतिहासिक रूप से सरकारी पक्षों से जुड़े रहे हैं। इनमें सरकारी की तरफ से भाड़े के स्पाइवेयर विकसित करने वाली निजी कंपनियां भी शामिल हैं जिनमें एनएसओ ग्रुप का स्पाइवेयर पेगासस भी है।
पेगासस स्पाइवेयर ने उपयोगकर्ता के व्हाट्सएप पर सिर्फ एक मिस कॉल देकर उसके मोबाइल फोन को अपने नियंत्रण में ले लिया था।
एप्पल ने कहा कि स्पाइवेयर हमलों की अत्यधिक लागत और विश्वव्यापी प्रकृति उन्हें आज सबसे उन्नत डिजिटल खतरों में शामिल करती है।
ऐसी स्थिति में स्पाइवेयर हमलों से बचने के लिए एप्पल ने उपयोगकर्ताओं को लॉकडाउन मोड को सक्रिय करने का सुझाव दिया है।
कंपनी ने कहा, एप्पल ऐसे हमलों का पता लगाने के लिए पूरी तरह से आंतरिक खतरे-खुफिया जानकारी और जांच पर निर्भर करती है। हालांकि, हमारी जांच कभी भी पूरी तरह निश्चित नहीं हो सकती है लेकिन खतरे की ये सूचनाएं अत्यधिक भरोसे वाले अलर्ट हैं। इसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
पिछले वर्ष एक सर्वेक्षण से पता चला था कि दुनियाभर में लगभग 49 प्रतिशत संगठन कर्मचारियों के उपकरणों पर हमले या सुरक्षा उल्लंघन का पता लगाने में असमर्थ हैं।
साइबर सुरक्षा फर्म चेक पॉइंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पिछले छह महीनों में मोबाइल मालवेयर से प्रभावित संगठनों का साप्ताहिक औसत 4.3 प्रतिशत था, जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र का औसत 2.6 प्रतिशत था।(भाषा)