मुरैना में तिरपाल के नीचे अंतिम संस्कार:यहां मुर्दों को जलाना बड़ी समस्या, बारिश में  तिरपाल के नीचे अंतिम संस्कार कर रहे ग्रामीण

मुरैना की सुमावली विधानसभा में शमशानों में पानी भरा है। बारिश के सीजन में मुर्दों को जलाना बड़ी समस्या बन गया है। लोग घुटने भरे पानी में अर्थी को ले जा रहे हैं और तिरपाल से उसकी अर्थी को तब तक ढक कर रखते हैं जब तक बारिश बंद न हो जाए। जब बारिश बंद हो जाती है तब उसका अंतिम संस्कार करते हैं। अगर इस बीच बारिश शुरु हो जाती है शव जल नहीं पाता है तथा अधजला रह जाता है। बता दें कि, बीते दिन की बात है। सुमावली गांव निवासी प्रताप बाथम का लंबी बीमारी के चलते ग्वालियर में निधन हो गया। उनकी उम्र लगभग पचास वर्ष की थी। वह मजदूरी किया करते थे। उनके मृत्यु के बाद उनके परिजन उनके शव को लेकर सुमावली विधानसभा के उस शमशान में पहुंचे जहां सबसे अधिक अर्थियों को जलाया जाता है। शमशान में घुटनों तक पानी भरा हुआ था। बड़ी मुश्किल में अर्थी को पानी में से होकर वहां ले जाया गया। उसके बाद समस्या यह आई कि शमशान में टीन शेड नहीं था। टीन शेड न होने के कारण अर्थी के भींग जाने का खतरा उत्पन्न हो गया था। उन लोगों ने पहले तिरपाल तानी तथा उसके नीचे अर्थी को सजाया। लेकिन बारिश लगातार हो रही थी। तीन घंटे तक इंतजार करते रहे ग्रामीण जब ग्रामीण शव को लेकर शमशान में पहुंचे तो उस समय बारिश हो रही थी। ग्रामीण तीन घंटे तक लगातार बारिश में भींगते रहे। जब बारिश खत्म हुई तो अर्थी को सजाया गया तथा उसमें आग लगाई गई। मृतक के साढ़ू के लड़के नीटू बाथम का कहना है कि अगर अर्थी में आग लगने के बाद बारिश दोबारा शुरु हो जाती तो आग बुझ जाती तथा अर्थी की लकडि़यां भींग जाती तथा गीली हो जाने पर दोबारा उनमें आग नहीं लग पाती और अर्थी की बेकदरी हो जाती। लेकिन गनीमत यह रही कि आग लगने के बाद बारिश नहीं हुई जिससे अर्थी पूरी तरह जल गई। तिरपाल के नीचे ढांकी गई अर्थी मृतक के साढ़ू के लड़के नीतू बाथम ने बताया कि उसके मौसाजी की अर्थी जलाने के लिए जहां वह लोग तीन घंटे तक लगातार बारिश में भींगते रहे वहीं दूसरी तरफ इस बात का डर सता रहा था कि अगर आग लगने के बाद बारिश हो जाती तो अर्थी का दोबारा जल पाना पहुत मुश्किल हो पाता। नीतू बाथम ने बताया कि यह स्थिति अकेले उनके साथ नहीं घटी है बल्कि पूरी सुमावली विधानसभा में यही स्थिति है तथा एक भी शमशान में टीन शेड नहीं है जिससे कि मुर्दों को जलाया जा सके। यहां यह हाल है कि आदमी चैन से मर भी नहीं सकता है। मजदूरी करके पांच लड़कियों की शादी कर चुके प्रताप प्रताप बाथम पहले साइकिल पंचर की दुकान चलाया करते थे। उसके बाद जब दुकान नहीं चली तो उन्होंने मजदूरी करना शुरु कर दिया। उनके पांच लड़कियां हैं जिनकी शादी उन्होंने मजदूरी करके ही कर दी थी। उनके एक आठ साल का बेटा है जो मानसिक रुप से विक्षिप्त है। घर में उनकी पत्नी व बेटा रह गया है।

मुरैना में तिरपाल के नीचे अंतिम संस्कार:यहां मुर्दों को जलाना बड़ी समस्या, बारिश में  तिरपाल के नीचे अंतिम संस्कार कर रहे ग्रामीण
मुरैना की सुमावली विधानसभा में शमशानों में पानी भरा है। बारिश के सीजन में मुर्दों को जलाना बड़ी समस्या बन गया है। लोग घुटने भरे पानी में अर्थी को ले जा रहे हैं और तिरपाल से उसकी अर्थी को तब तक ढक कर रखते हैं जब तक बारिश बंद न हो जाए। जब बारिश बंद हो जाती है तब उसका अंतिम संस्कार करते हैं। अगर इस बीच बारिश शुरु हो जाती है शव जल नहीं पाता है तथा अधजला रह जाता है। बता दें कि, बीते दिन की बात है। सुमावली गांव निवासी प्रताप बाथम का लंबी बीमारी के चलते ग्वालियर में निधन हो गया। उनकी उम्र लगभग पचास वर्ष की थी। वह मजदूरी किया करते थे। उनके मृत्यु के बाद उनके परिजन उनके शव को लेकर सुमावली विधानसभा के उस शमशान में पहुंचे जहां सबसे अधिक अर्थियों को जलाया जाता है। शमशान में घुटनों तक पानी भरा हुआ था। बड़ी मुश्किल में अर्थी को पानी में से होकर वहां ले जाया गया। उसके बाद समस्या यह आई कि शमशान में टीन शेड नहीं था। टीन शेड न होने के कारण अर्थी के भींग जाने का खतरा उत्पन्न हो गया था। उन लोगों ने पहले तिरपाल तानी तथा उसके नीचे अर्थी को सजाया। लेकिन बारिश लगातार हो रही थी। तीन घंटे तक इंतजार करते रहे ग्रामीण जब ग्रामीण शव को लेकर शमशान में पहुंचे तो उस समय बारिश हो रही थी। ग्रामीण तीन घंटे तक लगातार बारिश में भींगते रहे। जब बारिश खत्म हुई तो अर्थी को सजाया गया तथा उसमें आग लगाई गई। मृतक के साढ़ू के लड़के नीटू बाथम का कहना है कि अगर अर्थी में आग लगने के बाद बारिश दोबारा शुरु हो जाती तो आग बुझ जाती तथा अर्थी की लकडि़यां भींग जाती तथा गीली हो जाने पर दोबारा उनमें आग नहीं लग पाती और अर्थी की बेकदरी हो जाती। लेकिन गनीमत यह रही कि आग लगने के बाद बारिश नहीं हुई जिससे अर्थी पूरी तरह जल गई। तिरपाल के नीचे ढांकी गई अर्थी मृतक के साढ़ू के लड़के नीतू बाथम ने बताया कि उसके मौसाजी की अर्थी जलाने के लिए जहां वह लोग तीन घंटे तक लगातार बारिश में भींगते रहे वहीं दूसरी तरफ इस बात का डर सता रहा था कि अगर आग लगने के बाद बारिश हो जाती तो अर्थी का दोबारा जल पाना पहुत मुश्किल हो पाता। नीतू बाथम ने बताया कि यह स्थिति अकेले उनके साथ नहीं घटी है बल्कि पूरी सुमावली विधानसभा में यही स्थिति है तथा एक भी शमशान में टीन शेड नहीं है जिससे कि मुर्दों को जलाया जा सके। यहां यह हाल है कि आदमी चैन से मर भी नहीं सकता है। मजदूरी करके पांच लड़कियों की शादी कर चुके प्रताप प्रताप बाथम पहले साइकिल पंचर की दुकान चलाया करते थे। उसके बाद जब दुकान नहीं चली तो उन्होंने मजदूरी करना शुरु कर दिया। उनके पांच लड़कियां हैं जिनकी शादी उन्होंने मजदूरी करके ही कर दी थी। उनके एक आठ साल का बेटा है जो मानसिक रुप से विक्षिप्त है। घर में उनकी पत्नी व बेटा रह गया है।