बंधियाचुंआ में 100 एकड़ से अधिक वनभूमि में पेड़ों की कटाई, अतिक्रमण स्थल पहुंचे पूर्व डिप्टी सीएम

कहा- प्रशासन अतिक्रमण रोके, अन्यथा अतिक्रमण स्थल पर ही भूख हड़ताल छत्तीसगढ़ संवाददाता अम्बिकापुर, 7 अगस्त। शहर से लगे ग्राम बंधियाचुंआ में लगातार वनभूमि पर हो रहे अतिक्रमण की शिकायत के बाद आज पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ग्राम बंधियाचुंआ में ग्रामीणों के साथ उन अंदरुनी वन क्षेत्रों का दौरा किये, जहां सैकड़ों एकड़ वनक्षेत्र में वनों की कटाई कर उन पर अतिक्रमण किया गया है। बुधवार प्रात: 8 बजे पूर्व उपमुख्यमंत्री करीब 2 किमी के पहाड़ी पगडंडियों को पार कर बंधियाचुंआ के बोदार क्षेत्र में पहुंचे। इस क्षेत्र में 100 एकड़ से अधिक वनभूमि में पेड़ों की कटाई कर अतिक्रमण किया गया है। 2 दिन पूर्व ही अम्बिकापुर पहुंचने पर ग्राम बंधियाचुआं जाकर वहां के ग्रामीणों से उन्होंने इस अतिक्रमण पर जानकारी ली थी एवं वन विभाग को इस बात से अवगत कराया था। वन विभाग के अधिकारियों ने इस पर तत्काल जांच का आश्वासन दिया था। किंतु मंगलवार को सोशल मीडिया पर वन विभाग के कर्मचारियों का एक वीडियो वायरल होने जिसमें यह दर्शाया गया था कि किसी भी प्रकार का अतिक्रमण बंधियाचुंआ गांव के वनभूमि पर नहीं है, आने के बाद श्री सिंहदेव बुधवार सुबह स्वयं ग्रामीणों के साथ अतिक्रमण स्थल पर पहुंच गये। ग्राम बंधियाचुंआ के ग्रामीण विगत कुछ दिनों से उनसे संपर्क कर लगातार वनभूमि पर अतिक्रमण की शिकायत कर रहे थे। इसी कारण सोमवार को अम्बिकापुर पहुंचते ही वे स्टेशन से सीधे ग्राम बंधियाचुंआ ग्रामीणों से मुलाकात करने गये थे। ग्रामीणों का कहना था कि वन विभाग को लगातार सूचना देने के बावजूद भी वन विभाग अतिक्रमणकारियों पर कोई कारवाई नहीं कर रहा था। वन विभाग का एक बीट चौकीदार जो कि ग्रामीणों के साथ मिलकर अतिक्रमण को रोकने का प्रयास कर रहा था, उसे भी यहां से हटा दिया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाते कहा कि सत्ताधारी दल के कुछ ऐसे नेताओं का अपरोक्ष समर्थन अतिक्रमणकारियों को है, जो महामाया पहाड़ के अतिक्रमण नाम पर बहुत मुखर है। तब ग्रामीणों से हुई चर्चा के उपरांत उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से बात की थी, जिन्होंने वस्तुस्थिति के तत्काल जांच का आश्वासन दिया था। किंतु मंगलवार को सोशल मीडिया पर वनविभाग के कर्मचारियों के इस दावे का वीडियो कि कोई अतिक्रमण हुआ ही नहीं है की जांच के लिए टीएस सिंहदेव आज मौके पर पहुंच गये। इस दौरान ग्रामीणों ने बताया कि बंधियाचुंआ के बोदार के अलावा आमापानी क्षेत्र में भी करीब 100 एकड़ जमीन पर वनों को काटकर कब्जा कर लिया गया है। इस कब्जे का विस्तार बंधियाचुंआ गांव के वन भूमि से प्रारंभ होकरकटनी-गुमला हाईवे के 500 मीटर पहले तक है। इस कब्जा क्षेत्र में मेढबंदी कर जमीन का बंटवारा भी किया गया है। मौका मुआयना के बाद टीएस सिंहदेव ने वनविभाग के रुख पर आपत्ति जताई। वन विभाग के कर्मचारियों का सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो तो अतिक्रमण को समर्थन और शह देता प्रतीत होता है। वन विभाग के अधिकारी अपने कमरों में गूगल नक्शों के माध्यम से अतिक्रमण की सच्चाई का पता कर सकते हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर वन विभाग के कर्मचारियों का वीडियो तो सच्चाई पर पर्दा डालने का प्रयास है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि वो अतिक्रमण को रोकें, अन्यथा उनके पास अतिक्रमण स्थल पर आकर भूखहडताल करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचेगा। इस दौरान उनके साथ जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता, मो. इस्लाम, अनूप मेहता, ग्राम बंधियाचुंआ की सरपंच वैशाली कुजूर, उपसरपंच राजू चिर्रे, खैरबार का पूर्व सरपंच इंदर साय एवं ग्राम खैरबार के पूर्व सरपंच इंदर साय एवं बडी संख्या में ग्रामीण शामिल थे।

बंधियाचुंआ में 100 एकड़ से अधिक वनभूमि में पेड़ों की कटाई, अतिक्रमण स्थल पहुंचे पूर्व डिप्टी सीएम
कहा- प्रशासन अतिक्रमण रोके, अन्यथा अतिक्रमण स्थल पर ही भूख हड़ताल छत्तीसगढ़ संवाददाता अम्बिकापुर, 7 अगस्त। शहर से लगे ग्राम बंधियाचुंआ में लगातार वनभूमि पर हो रहे अतिक्रमण की शिकायत के बाद आज पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ग्राम बंधियाचुंआ में ग्रामीणों के साथ उन अंदरुनी वन क्षेत्रों का दौरा किये, जहां सैकड़ों एकड़ वनक्षेत्र में वनों की कटाई कर उन पर अतिक्रमण किया गया है। बुधवार प्रात: 8 बजे पूर्व उपमुख्यमंत्री करीब 2 किमी के पहाड़ी पगडंडियों को पार कर बंधियाचुंआ के बोदार क्षेत्र में पहुंचे। इस क्षेत्र में 100 एकड़ से अधिक वनभूमि में पेड़ों की कटाई कर अतिक्रमण किया गया है। 2 दिन पूर्व ही अम्बिकापुर पहुंचने पर ग्राम बंधियाचुआं जाकर वहां के ग्रामीणों से उन्होंने इस अतिक्रमण पर जानकारी ली थी एवं वन विभाग को इस बात से अवगत कराया था। वन विभाग के अधिकारियों ने इस पर तत्काल जांच का आश्वासन दिया था। किंतु मंगलवार को सोशल मीडिया पर वन विभाग के कर्मचारियों का एक वीडियो वायरल होने जिसमें यह दर्शाया गया था कि किसी भी प्रकार का अतिक्रमण बंधियाचुंआ गांव के वनभूमि पर नहीं है, आने के बाद श्री सिंहदेव बुधवार सुबह स्वयं ग्रामीणों के साथ अतिक्रमण स्थल पर पहुंच गये। ग्राम बंधियाचुंआ के ग्रामीण विगत कुछ दिनों से उनसे संपर्क कर लगातार वनभूमि पर अतिक्रमण की शिकायत कर रहे थे। इसी कारण सोमवार को अम्बिकापुर पहुंचते ही वे स्टेशन से सीधे ग्राम बंधियाचुंआ ग्रामीणों से मुलाकात करने गये थे। ग्रामीणों का कहना था कि वन विभाग को लगातार सूचना देने के बावजूद भी वन विभाग अतिक्रमणकारियों पर कोई कारवाई नहीं कर रहा था। वन विभाग का एक बीट चौकीदार जो कि ग्रामीणों के साथ मिलकर अतिक्रमण को रोकने का प्रयास कर रहा था, उसे भी यहां से हटा दिया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाते कहा कि सत्ताधारी दल के कुछ ऐसे नेताओं का अपरोक्ष समर्थन अतिक्रमणकारियों को है, जो महामाया पहाड़ के अतिक्रमण नाम पर बहुत मुखर है। तब ग्रामीणों से हुई चर्चा के उपरांत उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से बात की थी, जिन्होंने वस्तुस्थिति के तत्काल जांच का आश्वासन दिया था। किंतु मंगलवार को सोशल मीडिया पर वनविभाग के कर्मचारियों के इस दावे का वीडियो कि कोई अतिक्रमण हुआ ही नहीं है की जांच के लिए टीएस सिंहदेव आज मौके पर पहुंच गये। इस दौरान ग्रामीणों ने बताया कि बंधियाचुंआ के बोदार के अलावा आमापानी क्षेत्र में भी करीब 100 एकड़ जमीन पर वनों को काटकर कब्जा कर लिया गया है। इस कब्जे का विस्तार बंधियाचुंआ गांव के वन भूमि से प्रारंभ होकरकटनी-गुमला हाईवे के 500 मीटर पहले तक है। इस कब्जा क्षेत्र में मेढबंदी कर जमीन का बंटवारा भी किया गया है। मौका मुआयना के बाद टीएस सिंहदेव ने वनविभाग के रुख पर आपत्ति जताई। वन विभाग के कर्मचारियों का सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो तो अतिक्रमण को समर्थन और शह देता प्रतीत होता है। वन विभाग के अधिकारी अपने कमरों में गूगल नक्शों के माध्यम से अतिक्रमण की सच्चाई का पता कर सकते हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर वन विभाग के कर्मचारियों का वीडियो तो सच्चाई पर पर्दा डालने का प्रयास है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि वो अतिक्रमण को रोकें, अन्यथा उनके पास अतिक्रमण स्थल पर आकर भूखहडताल करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचेगा। इस दौरान उनके साथ जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता, मो. इस्लाम, अनूप मेहता, ग्राम बंधियाचुंआ की सरपंच वैशाली कुजूर, उपसरपंच राजू चिर्रे, खैरबार का पूर्व सरपंच इंदर साय एवं ग्राम खैरबार के पूर्व सरपंच इंदर साय एवं बडी संख्या में ग्रामीण शामिल थे।