कलिंगा विश्वविद्यालय में आपदा प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा, बचाव कार्य और अग्निशमन कार्यशाला

रायपुर, 19 सितंबर। कलिंगा विश्वद्यिालय ने बताया कि आपदा प्रबंधन आपदाओं के लिए प्रभावी तैयारी और प्रतिक्रिया की एक प्रक्रिया है। इसमें आपदाओं से होने वाली क्षति को कम करने के लिए संसाधनों को रणनीतिक रूप से व्यवस्थित करना शामिल है। इसमें आपदा की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया की जिम्मेदारियों के प्रबंधन के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण भी शामिल है। कलिंगा विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपने परिसर में आपदा प्रबंधन पर एक अत्यंत जानकारीपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया। विश्वद्यिालय ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपदा प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा, बचाव कार्य, अग्निशमन और कोर ग्रुप गठन के प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डालना था। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ श्री जितेन्द्र सोलंकी थे। कार्यशाला में बड़ी संख्या में विद्यार्थी शामिल हुए, जिनमें बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग विभागों के छात्र शामिल थे। श्री सोलंकी ने विभिन्न प्रकार की आपदाओं पर चर्चा करके, उन्हें प्राकृतिक और मानव निर्मित में वर्गीकृत करके तथा प्रत्येक के लिए प्रभावी प्रबंधन रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा करके इंटरैक्टिव सत्र की शुरुआत की। विश्वद्यिालय ने बताया कि विद्यार्थियों ने उत्सुकतापूर्वक भाग लिया तथा भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित अपने अनुभव साझा किए, जिससे सत्र जीवंत और रोचक बन गया। अग्नि सुरक्षा पर प्रकाश डालते हुए, श्री सोलंकी ने बताया कि आग को जलाने और बनाए रखने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है: गर्मी, ईंधन और ऑक्सीजन। उन्होंने प्रदर्शित किया कि इनमें से किसी एक तत्व को खत्म करने से आग कैसे बुझ सकती है, क्योंकि अग्निशमन कर्मी अक्सर विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित करते हैं।

कलिंगा विश्वविद्यालय में आपदा प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा, बचाव कार्य और अग्निशमन कार्यशाला
रायपुर, 19 सितंबर। कलिंगा विश्वद्यिालय ने बताया कि आपदा प्रबंधन आपदाओं के लिए प्रभावी तैयारी और प्रतिक्रिया की एक प्रक्रिया है। इसमें आपदाओं से होने वाली क्षति को कम करने के लिए संसाधनों को रणनीतिक रूप से व्यवस्थित करना शामिल है। इसमें आपदा की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया की जिम्मेदारियों के प्रबंधन के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण भी शामिल है। कलिंगा विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपने परिसर में आपदा प्रबंधन पर एक अत्यंत जानकारीपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया। विश्वद्यिालय ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपदा प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा, बचाव कार्य, अग्निशमन और कोर ग्रुप गठन के प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डालना था। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ श्री जितेन्द्र सोलंकी थे। कार्यशाला में बड़ी संख्या में विद्यार्थी शामिल हुए, जिनमें बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग विभागों के छात्र शामिल थे। श्री सोलंकी ने विभिन्न प्रकार की आपदाओं पर चर्चा करके, उन्हें प्राकृतिक और मानव निर्मित में वर्गीकृत करके तथा प्रत्येक के लिए प्रभावी प्रबंधन रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा करके इंटरैक्टिव सत्र की शुरुआत की। विश्वद्यिालय ने बताया कि विद्यार्थियों ने उत्सुकतापूर्वक भाग लिया तथा भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित अपने अनुभव साझा किए, जिससे सत्र जीवंत और रोचक बन गया। अग्नि सुरक्षा पर प्रकाश डालते हुए, श्री सोलंकी ने बताया कि आग को जलाने और बनाए रखने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है: गर्मी, ईंधन और ऑक्सीजन। उन्होंने प्रदर्शित किया कि इनमें से किसी एक तत्व को खत्म करने से आग कैसे बुझ सकती है, क्योंकि अग्निशमन कर्मी अक्सर विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित करते हैं।