कोविड -19 की जांच की रणनीति में राज्य शासन की नई गाइडलाइन जारी

दुर्ग। राज्य शासन द्वारा कोविड -19 के टेस्टिंग पद्धति में संशोधन किया गया है, जिसके अनुसार प्राइमरी कांटेक्ट में समस्त लक्षण वाले कांटेक्ट की जांच होना चाहिए और समस्त बिना लक्षण वाले उच्च जोखिम वर्ग में आने वाले प्राइमरी कॉन्टैक्ट जैसे 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग, इम्युनो-कंप्रोमाइस्ड एवं को-मोरबीडाइटीज ग्रस्त जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, कैंसर, किडनी रोग , सिकल सेल इत्यादि से प्रभावित व्यक्ति एवं गर्भवती महिलाओं की जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। गाइडलाइन में इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस (आई.एल.आई ) अर्थात बुखार, सर्दी-खांसी अथवा सांस में तकलीफ वाले मरीज एवं सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (एस.ए.आर.आई.)जैसे निमोनिया एवं श्वांस रोगी आदि तथा कोविड-19 के लक्षण वाले जैसे मुंह में स्वाद न आना, सुगंध ना आना, उल्टी या पतले दस्त होना एवं मांसपेशियों में दर्द वाले व्यक्तियों की जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा दूसरे उच्च जोखिम वर्ग में आने वाले 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग, इम्युनो- कंप्रोमाइस्ड (रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी) एवं को-मोरबीडाइटीज ग्रस्त जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, कैंसर, किडनी रोग , सिकल सेल इत्यादि से प्रभावित व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं की भी जांच की जानी चाहिए। गाइडलाइन में यह भी निर्देश दिए गए हैं कि यदि किट के परिणाम लक्ष्णाात्मक रोगी के नेगेटिव हैं, तो ऐसे सभी रोगियों का आवश्यक रूप से आरटी-पीसीआर अथवा ट्रू नॉट परीक्षण किया जाए। 

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