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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व मंत्री और लोकप्रिय नेता स्वर्गीय महेंद्र कर्मा की जयंती 5 अगस्त पर उन्हेें नमन किया है। श्री बघेल ने उन्हें याद करते हुए कहा है कि महेन्द्र कर्मा सिर्फ एक राजनेता नहीं थे। वे एक बेहद संवेदनशील, जागरूक और बेहद भावुक इंसान भी थे। उन्हें बस्तर टाइगर कहा जाता था, क्योंकि आदिवासियाें के हक की हर लड़ाई में वे दमदारी से खड़े रहे। उनके जैसा निःस्वार्थ व्यक्ति और पारदर्शी मित्र मुझे मिला यह मेरा सौभाग्य था। स्वर्गीय श्री कर्मा ने जीवन के अंतिम क्षण तक आदिवासियों के लिए संघर्ष किया। छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता और मंत्री के रूप उन्होंने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली और छत्तीसगढ़ के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया। श्री बघेल ने कहा कि उनके विचार हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे। श्री महेन्द्र कर्मा की स्मृतियों को चिरस्थाई बनाने के लिए राज्य सरकार ने बस्तर विश्वविद्यालय का नामकरण उनके नाम पर किया और उनके नाम पर प्रदेश के तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना प्रारंभ की जा रही है।
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रायपुर। बिलासपुर मेडिकल कॉलेज के बाद आज से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में भी कोविड-19 की आरटीपीसीआर जांच शुरू हो गई है। उल्लेखनीय है कि आईसीएमआर ने हाल ही में प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेजों बिलासपुर, अंबिकापुर और राजनांदगांव के नवनिर्मित उच्च स्तरीय बीएसएल-2 लैब में आरटीपीसीआर जांच की अनुमति दी थी। इनमें से अब दो मेडिकल कॉलेजों में जांच शुरू की जा चुकी है। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में भी जांच जल्द शुरू हो जाएगी। राज्य शासन कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए अधिक से अधिक सैंपलों की जांच पर जोर दे रही है। इसके लिए तकनीकी और मानव संसाधन लगातार बढ़ाए जा रहे हैं। बिलासपुर, अंबिकापुर और राजनांदगांव मेडिकल कॉलेजों में भी जांच की सुविधा हो जाने से सैंपल जांच की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी। अंबिकापुर और बिलासपुर मेडिकल कॉलेज में अभी रोजाना 100-100 सैंपलों के साथ जांच की शुरुआत की गई है। आगे इनकी क्षमता बढ़ाई जाएगी। प्रदेश के चार अन्य संस्थानों रायपुर एम्स, डा. भीमराव अंबेडकर चिकित्सालय तथा जगदलपुर और रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में पिछले कुछ महीनों से आरटीपीसीआर जांच की जा रही है। प्रदेश में अधिक से अधिक सैंपलों की जांच के लिए ट्रू-नाट मशीनों और रैपिड एंटीजन किट से भी कोरोना वायरस संक्रमितों की पहचान की जा रही है।
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ केन्द्रीय कोयला एवं खनिज मंत्री प्रहलाद जोशी की आज यहां मुख्यमंत्री निवास में आयोजित बैठक में छत्तीसगढ़ में कोयला उत्पादन एवं खान के विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने बैठक में एलीफेंट कॉरीडोर तथा सघन वन क्षेत्रों में स्थित कोयला खदानों को कोल ब्लॉक्स की आगामी नीलामी से अलग रखने का प्रस्ताव रखते हुए इन खदानों के स्थान पर राज्य में स्थित अन्य कोयला क्षेत्रों को चिन्हित करने का सुझाव रखा, जिस पर केन्द्रीय कोयला मंत्री श्री जोशी ने सहमति व्यक्त की। मुख्यमंत्री बघेल ने वर्ष 2014 के पूर्व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उद्योगपतियों द्वारा एडीशनल लेवी के रूप में जमा की गई 4140 करोड़ रूपए की राशि, जो केन्द्र सरकार के पास जमा है। उसे राज्य को देने की मांग की। जिस पर केन्द्रीय कोयला मंत्री ने सहमति व्यक्त करते हुए यह बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में उक्त राशि के डिस्पोजल हेतु आवेदन लगाया गया है, उसके आधार पर जल्द ही निर्णय लिया जायेगा।बैठक में मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के कॉमन कॉस प्रकरण में दिए गए निर्णय अनुसार जुर्माने की राशि 10 हजार 129 करोड़ रूपए राज्य को देने की मांग रखी। श्री बघेल ने गारे पेल्मा खदानों में एसईसीएल को तत्काल उत्पादन बढ़ाने हेतु निर्देशित करने, साथ ही कोयला खदानों में जमा पानी का उपयोग जनहित में पेयजल एवं सिंचाई प्रयोजन के लिए करने, खनन प्रक्रिया समाप्ति पश्चात् अनुपयोगी जमीन राज्य को वापस करने तथा फ्लाई-ऐश के डिस्पोजल हेतु एसईसीएल की बंद पड़ी खदानों के संबंध में त्वरित कार्यवाही की मांग रखी। जिस पर केन्द्रीय मंत्री द्वारा सीएमपीडीआईएल, एसईसीएल और राज्य के अधिकारियों का संयुक्त दल गठन कर तत्काल निर्णय लेने पर सहमति व्यक्त की गई। मुख्यमंत्री द्वारा बैठक में रखे गए छत्तीसगढ़ के स्थानीय लघु उद्योगों को कोयला उपलब्ध कराने हेतु एक निश्चित मात्रा उपलब्ध कराने के प्रस्ताव पर चेयरमेन कोल इण्डिया द्वारा सहमति व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को एजेंसी नियुक्त करने हेतु आग्रह किया गया। जिसके माध्यम से कोयला राज्य के लघु उद्योगों को उपलब्ध कराया जा सकेगा।
केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय से संबंधित विषयों पर चर्चा करते हुए राज्य सरकार द्वारा लौह अयस्क की रॉयल्टी दरों में संशोधन करने के संबंध में भी आग्रह किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल एक्सप्लोरेशन मिनरल ट्रस्ट (एनएमईटी) मद में छत्तीसगढ़ राज्य ने लगभग 300 करोड़ रूपये केन्द्र सरकार के पास जमा किए हैं। श्री बघेल ने इस राशि के उपयोग हेतु राज्य सरकारों को खनिज अन्वेषण हेतु खनिजों का चयन करने की अधिकारिता देने तथा इस राशि के उपयोग हेतु नियमों के सरलीकरण करने की ओर केन्द्रीय मंत्री का ध्यान आकृष्ट किया, जिस पर केन्द्रीय मंत्री श्री जोशी द्वारा सहमति दी गई।
भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के सचिव द्वारा दिए गए प्रस्तुतिकरण में जानकारी दी गई कि भारत में लगभग 150 बिलियन टन कोयला के भंडार होने के बावजूद देश में कोयले का आयात आस्ट्रेलिया, इण्डोनेशिया एवं अन्य देशों से किया जा रहा है। अत: देश में उपलब्ध कोयले के पर्याप्त दोहन हेतु सही प्लानिंग कर कोयले के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है। प्रस्तुतिकरण में जानकारी दी गई कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश उपरांत देश में निरस्त किये गये 204 कोल ब्लॉक्स अंतर्गत राज्य के निरस्त किये गये 41 कोल ब्लॉक्स में से 16 कोल ब्लॉक्स पुन: आबंटित किये गये थे। जिसमें से वर्तमान में ऑपरेशनल 08 ब्लॉक्स को छोड़कर शेष कोल ब्लॉक्स में भी तत्काल खनन प्रारंभ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लंबित आवश्यक कार्यावाही तत्काल करने का अनुरोध केन्द्रीय अधिकारियों द्वारा किया गया। केन्द्रीय सचिव द्वारा यह भी जानकारी दी गई कि राज्य में स्थित शासकीय उपक्रम एसईसीएल द्वारा भी आने वाले दो से चार वर्षों में कोयला उत्पादन बढ़ाया जाएगा, जिससे राज्य शासन को वर्तमान में कोयले से प्राप्त होने वाले राजस्व में दोगुना वृद्धि होगी। राज्य को लगभग 6000 करोड़ रूपए का राजस्व मिलेगा। इसके अतिरिक्त वर्ष 2023-24 तक कोल माईन्स स्पेशल प्रोविजन्स एक्ट (सीएमएसपी एक्ट) के तहत् वर्तमान में आबंटित तथा नवीन खदानों को मिलाकर लगभग 25 अन्य कोल खदानों से भी राज्य को 8700 करोड़ रूपए अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। इस प्रकार आगामी 04 से 05 वर्षों में राज्य को कोयले से प्राप्त होने वाला राजस्व लगभग 14 हजार 500 करोड़ रूपए होने की संभावना है। इन सभी कोयला खदानों से लगभग 02 लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी प्राप्त होगा। इसके साथ ही आगामी चार सालों में राज्य के अंदर कोयले से संबंधित कोल अधोसंरचना विकास में लगभग 48 हजार 95 करोड़ का निवेश भी होगा।
बैठक में कोयला मंत्रालय के सचिव अनिल कुमार जैन, कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमेन प्रमोद अग्रवाल, एसईसीएल के सीएमडी एपी पण्डा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी, खनिज विभाग के सचिव अन्बलगन पी, पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी और संचालक खनिज समीर विश्नोई सहित केन्द्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि हमें कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये शहरों में लॉकडाउन का निर्णय लेना पड़ा है। आप सभी इस लॉकडाउन को गंभीरता से ले। लॉकडाउन से लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है, लेकिन अगर लोग सुरक्षा और बचाव के लिये नियमों का पालन नहीं करेंगे तो लॉकडाउन की स्थिति से बचा नहीं जा सकता है। यह समय मेरे लिये, आपके लिये चिंतित होने, बीमारी से सावधान रहने और बचाव के उपायों को गंभीरता से लेने का समय है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश की जनता को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं अपने प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति को लेकर आपके समक्ष आया हूँ। छत्तीसगढ़ में कोरोनो संक्रमण अन्य राज्यों के मुकाबले नियंत्रण में जरूर है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में क्रमशः बढ़ोत्तरी हो रही है। यह सब अनलॉक के दौरान सावधानी और बचाव के उपाय नहीं अपनाने के कारण हुआ है। छत्तीसगढ़ में कोरोना पीड़ितों का रिकवरी दर बेहतर है और मृत्यु दर काफी कम है। श्री बघेल ने कहा कि हम देश के अनेक राज्यों से बेहतर कर रहे है। आपके सहयोग से कोरोना संक्रमण से बचाव की दिशा में और बेहतर करेंगे। फिलहाल राज्य में रोजाना पांच हजार से अधिक सैंपलों की जांच हो रही है। शीघ्र ही इसे बढ़ाकर दस हजार तक करने का लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य में चिकित्सक पूरे समर्पण से कोरोना मरीजों का ईलाज कर रहे है। इलाज के बाद अब तक बड़ी संख्या में मरीज स्वस्थ होकर अपने घरों को लौट चुके है। राज्य के आठ क्षेत्रीय और 22 जिला स्तरीय अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के इलाज की व्यवस्था की गई है। सभी कोविड अस्पतालों में मास्क, पीपीई किट, ट्रिपल लेयर मास्क, वीटीएम और जरूरी दवाईयों के पर्याप्त संख्या में इंतजाम सुनिश्चित किए गए हैं। मैंने अधिकारियों को आक्सीमीटर की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के बारे में भी निर्देशित किया है। मेरा आप सब से आग्रह है कि सभी अनिवार्य रूप से मास्क पहने, बार बार हाथ धोते रहे, लोगों से दूरी बनाये रखे, भीड़भाड़ करने से बचे। अगर हम यह सब करेंगे तो कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने में सफल होंगे। राज्य शासन, हमारे सारे विभाग, चिकित्सक, सफाईकर्मी, पुलिस आदि कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने और उपचार में लगे है। लेकिन अगर आप सावधानी नहीं रखेंगे, बचाव के उपायों का पालन नहीं करेंगे तो फिर कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम मुश्किल होगी। श्री बघेल ने कहा कि मुझे जानकारी मिली है कि कुछ स्थानों पर लोग सैम्पल लेने जा रहे स्वास्थ्य कर्मियों के दल का विरोध कर रहे है, उन्हें जाँच करने से रोक रहे । मेरा आपसे निवेदन है कि आप स्थिति की गंभीरता को समझे। ये सब आपके और आपके परिवार के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए है। हमें स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ईद और रक्षाबंधन के पर्व समीप आ रहंे है। आप सबको इन पर्व की शुभकामनाएं। पर्व को मनाते समय यह ध्यान रखे की हम केवल अपने घर, परिवार के लोगों के साथ ही यह पर्व मनाये। कोरोना से बचाव के लिये ऐसा करना जरूरी है। हमें अपने सामाजिक दायित्व का पालन करते हुए भीड़भाड़ करने से बचना होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि हम सब स्थिति की गंभीरता को समझेंगे और कोरोना संक्रमण को रोकने में सहयोग देंगे।
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में राजधानी रायपुर के समीप माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी में शीघ्र ही भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धर्मपत्नी मुक्तेश्वरी बघेल और परिवार के सदस्यों के साथ चंदखुरी पहुंचकर वहां स्थित माता कौशल्या के प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना की और प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि की कामना की। उन्होंने मंदिर के सौन्दर्यीकरण और परिसर के विकास के लिए तैयार परियोजना की विस्तृत जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिर के सौन्दर्यीकरण के दौरान मंदिर के मूलस्वरूप को यथावत रखते हुए यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार राम वन गमन पथ पर पड़ने वाले महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। इसकी शुरूआत चंदखुरी स्थित माता कौशल्या के मंदिर के सौंदर्यीकरण कार्य के बीते 22 दिसम्बर को भूमि-पूजन के साथ कर दी गई है। भव्य मंदिर की निर्माण की कार्ययोजना में परिसर में विद्युतीकरण, तालाब का सौंदर्यीकरण, घाट निर्माण, पार्किंग, परिक्रमा पथ का विकास आदि कार्य शामिल किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ग्रामीणों की मांग पर मंदिर के पास से बायपास सड़क की स्वीकृति प्रदान करते हुए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए। वहीं ग्राम वासियों की सहुलियत को देखते हुए चंदखुरी में राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा खोलने के निर्देश जिला अधिकारियों को दिए है। श्री बघेल ने इस अवसर पर मंदिर परिसर पर बेल और उनकी धर्मपत्नी ने महुआ का पौधा भी रोपा। इसके साथ ही परिसर में आवंला, पीपल, अमरूद और करंज आदि के पौधे भी लगाए गए। मुख्यमंत्री ने इन रौपे गए पौधांे पर सेरीखेड़ी महिला समूह द्वारा बांस से बनाए जा रहे ट्री-गार्डो का लगवाया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ग्रामीणजनों से गौठान और गोधन न्याय योजना सहित गांव में उपलब्ध अन्य सुविधाओं की चर्चा की। इस अवसर पर नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, जनपद पंचायत आरंग के अध्यक्ष खिलेश देवांगन, ग्राम पंचायत चंदखुरी की सरपंच मालती धीवर और कौशल्या माता समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र वर्मा और ग्रामीणजन उपस्थित थे।
गौरतलब है कि त्रेतायुगीन छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कोसल एवं दण्डकारण्य के रूप में विख्यात था। प्रभु श्रीराम ने उत्तर भारत से छत्तीसगढ़ में प्रवेश के बाद विभिन्न स्थानों पर चौमासा व्यतीत करते हुए दक्षिण भारत में प्रवेश किया गया था। छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले की गवाई नदी से होकर सीतामढ़ी हरचौका नामक स्थान से प्रभु श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। इस दौरान उन्होंने 75 स्थलों का भ्रमण करते हुए सुकमा जिले के रामाराम से दक्षिण भारत में प्रवेश किया था। उक्त स्थलों में से 51 स्थल ऐसे है, जहां प्रभु श्रीराम ने भ्रमण के दौरान रूक कर कुछ समय व्यतीत किया था। प्रथम चरण में इनमें से 9 स्थलों को विकसित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राम वन गमन पथ का, पर्यटन की दृष्टि से विकास की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य में आने वाले पर्यटकों, आगन्तुकों के साथ-साथ देश और राज्य के लोगों को भी राम वन गमन मार्ग एवं स्थलों से परिचित कराना एवं इन ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के दौरान पर्यटकों को उच्च स्तर की सुविधाएं भी उपलब्ध कराना है।
छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ को विकसित करने के उद्देश्य से प्रथम चरण में 09 स्थलों का चयन किया गया है। इन स्थलों में सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अम्बिकापुर), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा) शामिल हैं। राम वन गमन पर्यटन परिपथ में प्रस्तावित 09 स्थलों को लेते हुए पर्यटन विभाग द्वारा एक कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया गया है, जिसकी लागत 137.45 करोड़ रूपए है। राम वन गमन पर्यटन परिपथ हेतु राज्य शासन द्वारा गत वर्ष (2019-20) राशि 5 करोड़ रूपए और इस वर्ष (2020-21) 10 करोड़ रूपए का प्रावधान बजट में किया गया है। इस तरह कुल राशि रूपए 15 करोड़ राज्य शासन द्वारा स्वीकृति दी गई है।
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक बार फिर से पूरे राज्य में लॉकडाउन बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस विषय मे 27 जुलाई को हुई कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है। इसके अनुसार पूरे राज्य में 6 अगस्त तक लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला हुआ है।
सभी कलेक्टरों को यह आदेश मिला है कि वह अपने जिले में संक्रमण को देखते हुए इस पर फैसला ले सकते है। जिसके बाद बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, कोरबा, मुंगेली, बीजापुर, बेमेतरा, बलौदा बाजार और जगदलपुर में लॉकडाउन को 6 अगस्त तक बढ़ाने का आदेश जारी किया जा चुका है। इसके संबंध में इन सभी 9 जिलों के कलेक्टरों ने आदेश जारी कर दिया है।
त्योहारों को देखते हुए मिली कुछ छूट
प्रदेश की कई जिलों में लॉकडाउन को 6 अगस्त तक बढ़ाने का आदेश जारी किया जा चुका है। वहीं कई जिलों में 29 और 30 जुलाई को सुबह 6 बजे से 10 बजे तक किराना दुकानों को दुकानें खोलने की छूट दी गयी है। 1 अगस्त को बकरीद और 3 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार होने की वजह से यह छूट दी गई है। -
नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मौजूदा सरकार पेंशनभोगी और वरिष्ठ नागरिकों को लेकर संवेदनशील है, इसीलिए सीसीएस (पेंशन नियम) 1972 के तहत नियमित पेंशन भुगतान में विलम्ब से बचने के लिये, नियम में छूट दी जा सकती है, ताकि अस्थाई पेंशन और अस्थायी ग्रेच्युटी का भुगतान बिना किसी बाधा के नियमित पीपीओ (PPO-Pension Payment Order) जारी होने तक हो सके. सरकार की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के दौरान सेवानिवृत्त होने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को नियमित पेंशन भुगतान आदेश जारी होने और अन्य औपचारिकताएं पूरी होने तक अस्थाई पेंशन राशि मिलेग.
आपको बता दें कि रिटायर होने वाले कर्मचारियों को तभी पेंशन मिलती है जब सरकार की ओर से पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ) जारी होता है. रिटायर होने वाले हैं या हो चुके हैं, उन्हें पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ) की जरूरत होती है. यह 12 अंकों का एक नंबर होता है. पीपीओ नंबर की जरूरत पेंशन पाने वालों को हर साल होती है जब उन्हें लाइफ सर्टिफिकेट जमा करना होता है.
क्यों लिया ये फैसला- सरकारी कर्मचारियों को मुख्य कार्यालय में पेंशन फॉर्म जमा करने में कठिनाई हो सकती है या हो सकता वे 'सर्विस बुक' के साथ क्लेम फॉर्म की हार्ड कॉपी संबंधित वेतन और लेखा (पे ऐंड अकाउंट्स) कार्यालय में जमा करवा पाने की स्थिति न हो. खासकर दोनों कार्यालय अगर अलग-अलग शहरों में स्थित हैं, तो यह समस्या और बढ़ जाती है. इसलिए संकट के समय उनकी मदद के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है.
कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मामलों के मंत्री सिंह ने कहा, यह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के लिए बहुत जरूरी है. क्योंकि वो निरंतर एक शहर से दूसरे जगह जाते हैं और जिनके मुख्य कार्यालय, वेतन और लेखा कार्यालय वाले स्थान से दूसरे शहरों में होते हैं.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पेंशन और पेंशननभोगी कल्याण विभाग को नया रूप दिया गया है. उसे उस रूप से तैयार किया गया है जिससे वह संबंधित कर्मचारी को बिना किसी विलम्ब के सेवानिवृत्ति के दिन से ही पपीओ दे सके.
जितेंद्र सिंह ने कहा कि हालांकि कोविड-19 महामारी और 'लॉकडाउन' के कारण दफ्तर के काम में बाधा से इस दौरान सेवानिवृत्त होने वाले कुछ कर्मचारियों को पीपीओ नहीं जारी किया जा सका.(news18)
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में 6 अगस्त तक के लिए लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है। राज्य सरकार ने इस बाबत कलेक्टरों को निर्देश जारी कर दिया गया है। आपको बता दें कि अभी मौजूदा वक्त 28 जुलाई तक लॉकडाउन रखा गया था, लेकिन अब उसे बढ़ाकर 6 अगस्त तक कर दिया गया है। करीब 4 घंटे तक चली बैठक के बाद राज्य सरकार ने इस बाबत फैसला लिया है। प्रदेश में बढ़े कोरोना के मामले के मद्देनजर राज्य सरकार ने ये फैसला लिया है। बैठक के बाद मंत्री रविंद्र चौबे ने मीडिया से बातचीत में इस बात की जानकारी दी है। जिन जिलों में संक्रमण का प्रभाव होगा, वहां कलेक्टर स्थिति के मुताबिक 6 अगस्त लॉकडाउन को बढ़ाने का निर्णय लेंगे।
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रायपुर। राज्य शासन की अनुमति के बिना किसी भी निजी लैब या अस्पताल में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट नहीं किया जा सकता है। इसकी शिकायत मिलने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यवाही की जाएगी। संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड़ ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखा है।
पत्र में उन्होंने जानकारी दी है कि आई.सी.एम.आर. (Indian Council of Medical Research) द्वारा रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की अनुमति केवल कोरोना वायरस संक्रमण के सर्विलांस के उद्देश्य से दी गई है। यदि किसी निजी लैब या अस्पताल द्वारा शासन की अनुमति के बिना इस तरह की जांच की जा रही हो तो संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तत्काल कार्यवाही कर संचालनालय, स्वास्थ्य सेवाएं को सूचित करें। -
नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) का प्रसार बढ़ता ही जा रहा है. कई राज्यों में रिकॉर्ड स्तर पर आंकड़ों में इजाफा हो रहा है. इस बीच ऐसी खबर आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 27 जुलाई को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना वायरस (Coronavirus) के हालात पर चर्चा करेंगे.
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी मौजूद रहेंगे. ऐसा भी कहा जा रहा है कि चीफ सेक्रेटरी और स्वास्थ्य सचिव भी मुख्यमंत्रियों के साथ मौजूद रहेंगे.
राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह सातवीं बैठक है. इस बैठक में अनलॉक-2 के अगले चरण की रणनीति पर चर्चा हो सकती है. 27 जुलाई को ही प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नोएडा, कोलकाता और मुंबई में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के तीन नए हाई-थ्रूपुट लैब का उद्घाटन करेंगे. सीएम योगी आदित्यनाथ, ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे भी वर्चुअल कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इससे पहले पीएम मोदी ने 16 और 17 जून को मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना वायरस महामारी को लेकर मैराथन बैठक की थी.
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मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने पीएम मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि भारत के संघीय ढांचे पर हमला किया जा रहा है और उन राज्यों मेंअप्रत्याशित तरीके से सरकारें गिराई जा रही हैं, जहां केंद्र में सत्तारूढ़ दल के अलावा दूसरे राजनीतिक दलों की सरकारें हैं।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर प्रदेश में चल रहे दल-बदल के खेल से अवगत कराते हुए आग्रह किया है कि वे प्रजातंत्र की गिरती साख को बचाने के लिए आगे आएं। कमलनाथ ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा, "इन दिनों हमारा देश वैज्ञानिक परिपक्वता के चलते कोरोना जैसी महामारी का बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकता है, परंतु इन दिनों फैली अप्रजातांत्रिक महामारी से आपको अवगत करा रहा हूं।"
कमलनाथ ने अपने पत्र में भारतीय संविधान का जिक्र करते हुए कहा, "बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के प्रयास से इस राष्ट्र को एक संघीय संविधान मिला है, जिसमें केंद्र और राज्य को अलग-अलग स्वायत्तता प्रदान की गई है। भारत की संघीय व्यवस्था के कारण ही संपूर्ण विश्व में हमारे प्रजातंत्र की एक विशिष्ट पहचान है। परंतु पिछले कुछ समय से बाबा साहब की भावनाओं को आहत करते हुए भारत की संघीय व्यवस्था पर निरंतर प्रहार किया जा रहा है। वर्तमान में जिन राज्यों में केंद्र में सत्तारूढ़ दल की विरोधी दलों की सरकारें हैं उन्हें अनैतिक तरीके से गिराया जा रहा है।"
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराए जाने का जिक्र करते हुए कमलनाथ ने लिखा है कि राज्य की निर्वाचित सरकार को गिराना भारत के प्रजातांत्रिक इतिहास के सबसे घृणित कृत्यों में से एक है। यह सोचकर ही दिल दहल जाता है कि जब एक ओर पूरा मानव समाज अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए कोरोना महामारी से लड़ रहा था, तब दूसरी ओर बीजेपी के वरिष्ठ नेता मध्यप्रदेश के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सहित कई मंत्रियों और विधायकों को लेकर राज्य की सरकार गिराने के लिए बेंगलुरु चले गए। राज्य के नागरिकों को महामारी की आग में झोंक दिया।
आम चर्चाओं का जिक्र करते हुए कमलनाथ ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, "प्रदेश के कई मौकापरस्त, मतलबी लोभी और प्रलोभी नेताओं ने कांग्रेस की सरकार गिराने तक देश में लॉकडाउन को 24 मार्च के पहले लागू नहीं होने दिया। अभी भी प्रदेश में बीजेपी द्वारा प्रतिपक्षीय विधायकों को प्रलोभन देकर उनके इस्तीफे कराकर बीजेपी में शामिल कराया जा रहा है और ऐसे अनैतिक कृत्य कर उपचुनाव का बोझ प्रदेश के नागरिकों पर डाला जा रहा है।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य की सरकार गिराए जाने का एक बार फिर जिक्र करते हुए कहा, "कांग्रेस की सरकार गिरने तक मेरी चिंता सीमित नहीं है, बल्कि आज देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में एक भूचाल आया हुआ है और ऐसी आशंका है कि इसका केंद्र बिंदु केंद्र में निहित है। इसके बावजूद मैं उम्मीद करता हूं कि मेरी शंकाएं निराधार साबित होंगी और भारत के लोकतंत्र की गिरती हुई साख को बचाने के लिए आप आगे आएंगे। इतना ही नहीं, ऐसे अवसरवादी नेताओं को अपनी सरकार और दल में कोई स्थान नहीं देंगे जिन पर प्रजातांत्रिक मूल्यों का सौदा करने का आरोप है।"
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रायपुर। भाजपा से राज्यसभा सांसद सरोज पांडे ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बुधवार को राखी भेजी थी। अपने बडे भाई मानते हुए सरोज ने भूपेश को राखी भेजी और इसके साथ ही एक उपहार भी मांग डाला। उपहार में बहन सरोज ने भैया भूपेश से छत्तीसगढ प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी का उपहार मांग डाला। सरोज के द्वारा मांगे गए इस उपहार को लेकर कांग्रेस की ओर से कई प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कांग्रेस ने इसे त्यौहार का राजनीतिक लाभ लेना करार दिया है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि भाजपा सांसद सरोज पांडे ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राखी भेजी है। राखी के पावन अवसर पर राखी एवं साथ उन्होने एक पत्र भेजा है जिसमें प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की मांग की गई है। निश्चित तौर पर रक्षाबंधन भाई- बहन के रिश्ते के प्रतीक का पावन त्यौहार है जो आदि अनादि काल से मनाया जाता है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति उसमें भी राजनीति करने से परहेज नही कर रही है।आपको बता दें कि छत्तीसगढ राज्य देश में शराब की खपत के मामले में जनसंख्या के अनुपात में पहले पायदान पर है। शराब को यहां की आदिवासी संस्कृति का हिस्सा माना जाता है, इसकी वजह से आदिवासी परिवारों को अपने उपभाेग के लिए निर्धारित मात्रा में घर पर ही शराब बनाने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा यहां अलग- अलग तरह की अंग्रेजी और देसी दारू का बहुत बडा वर्ग उपभोग करता है। इसकी वजह से यहां शराब की बिक्री पिछले दो दशक के दौरान बेतहाशा बढी है।
शराब सेवन की राज्य में बढती लत को देखते हुए एक वर्ग बेहद चिंतित है और आम जनता लगातार सरकारों से राज्य में पूर्ण शराबबंदी की मांग करती आ रही है, लेकिन पूर्ण शराबबंदी न करने को लेकर सरकार की अपनी भी कई मजबूरियां हैं। इससे राज्य को सर्वाधिक राजस्व प्राप्त होता है। इसके अलावा जमीनी तौर पर भी राज्य में पूर्ण शराबबंदी की परिकल्पना साकार होते दिखने की संभावना कम नजर आती है।
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वाशिंगटन. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने रूस (Russia), चीन (China), अमेरिका (US) और ब्रिटेन (Britain) में अलग-अलग चरणों में जारी कोरोना वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) के ट्रायल पर स्थिति स्पष्ट कर दी है. WHO ने साफ़ कहा है कि अगले साल यानी 2021 से पहले कोरोना वायरस की वैक्सीन बनने की कोई उम्मीद नहीं है. WHO के मुताबिक अगले साल तक वैक्सीन मिलने की उम्मीद है लेकिन इसके मैन्यूफैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन में और भी वक़्त लग सकता है.
WHO के कार्यकारी निदेशक माइक रेयान ने कहा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के मामले में शोधकर्ताओं को सही कामयाबी मिल रही लेकिन साल 2021 के शुरुआती दिनों से पहले उसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है. उन्होंने ये भी कहा कि ये ज़रूरी है कि वैक्सीन की सुरक्षा मानकों में कोई कमी नहीं की जाए, भले ही वैक्सीन बनने की गति थोड़ी धीमी हो जाए. रेयान ने कहा, “हमें अपनी आँखों में देखने की हिम्मत होनी चाहिए और लोगों से आंख मिलाने की भी हिम्मत होनी चाहिए.
आम लोगों को ये वैक्सीन देने से पहले, हमें उन्हें सुनिश्चित करना है कि वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी बनाने के लिए हमने हर संभव एहतियात बरता है. हम ये करने में थोड़ा कम समय ले सकते हैं लेकिन वास्तव में देखा जाए तो अगले साल के पहले हिस्से में ही हम लोगों को वैक्सीनेट करना शुरू कर सकेंगे.’ उन्होंने कहा कि कई संभावित वैक्सीन अपने ट्रायल के तीसरे फ़ेज़ में हैं और कोई भी वैक्सीन सुरक्षा मानकों या प्रभावी होने में अभी तक फ़ेल नहीं हुई है.
अमेरिका ने कोविड-19 वैक्सीन के लिए फाइजर के साथ समझौता किया
उधर अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के मंत्री एलेक्स अजार ने बुधवार को बताया कि उनके देश ने फाइजर कंपनी के साथ कोविड-19 टीके को लेकर समझौता किया है जिसके तहत कंपनी उसके द्वारा विकसित किए जाने वाले टीके के पहले 10 करोड़ खुराक दिसंबर में अमेरिका को उपलब्ध कराएगी. अजार ने बताया कि समझौते के तहत अमेरिका कंपनी से अभी टीके की 50 करोड़ खुराक और खरीद सकता है. फॉक्स न्यूज पर अजार ने कहा कि ‘लेकिन अब उनका सुरक्षित और प्रभावी होना’ और खाद्य एवं औषधि प्रशासन से उनको मंजूरी मिलना भी आवश्यक है.फाइजर इंटरनेशनल और बायोएनटेक एसई ने अलग-अलग घोषणा की है कि अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग और रक्षा विभाग ने दोनों कंपनियों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किए जा रहे टीके को खरीदने के लिए समझौता किया है. स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के अनुसार, यह समझौता राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘ऑपरेशन रैप स्पीड वैक्सीन प्रोग्राम’ के तहत आता है. इस टीका कार्यक्रम के तहत कोविड-19 के एक से अधिक टीके विकसित किए जा रहे हैं। इसका लक्ष्य जनवरी 2021 तक कोविड-19 के टीकों की सुरक्षित और प्रभावी 30 करोड़ खुराक उपलब्ध कराने का है.
इसके तहत सरकार एफडीए की मंजूरी से पहले, टीके के सुरक्षित और प्रभावी घोषित होने से पहले ही उनकी खरीदारी करेगी ताकि उन्हें सभी जरुरी मंजूरी मिलने के बाद लोगों को तुरंत टीके उपलब्ध कराए जा सकें. दोनों कंपनियों का कहना है कि एफडीए से अनुमति और मंजूरी मिलने के बाद अमेरिका टीके के पहली 10 करोड़ खुराक के लिए कंपनियों को 1.95 अरब अमेरिकी डॉलर का भुगतान करेगा. मंत्री का कहना है कि इन दोनों कंपनियों के साथ समझौता होने के बाद कोविड-19 के संभावित टीकों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है.
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रायपुर, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल ने मोक्षदा चन्द्राकर (ममता चन्द्राकर) को इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का कुलपति नियुक्त किया है। राज्यपाल एवं कुलाधिपति इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ अनुसुईया उइके द्वारा जारी आदेश में यह उल्लेखित किया गया है कि मोक्षदा चन्द्राकर का कार्यकाल, उपलब्धियां तथा सेवा शर्त विश्वविद्यालय अधिनियम एवं परिनियम में निहित प्रावधान अनुसार होंगी।
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नई दिल्ली: देश में तेजी से कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले बढ़ रहे हैं. इस बीच, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में तैयार कोरोना वायरस वैक्सीन (टीका) का ट्रायल भारत में शुरू होगा. लाइसेंस मिलने के बाद यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
ब्रिटेन में शोधकर्ताओं के साथ भागीदारी करने वाली भारतीय कंपनी ने यह जानकारी दी. लैंसेट मेडिकल जनरल में प्रकाशित ट्रायल के परिणामों के मुताबिक, क्लीनिकल ट्रायल के पहले चरण में AZD1222 टीके के नतीजे सकारात्मक रहे हैं. इसके किसी तरह के गंभीर साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिले हैं.
शोधकर्ताओं का दावा है कि इसे टीके के कोई बड़े साइड इफेक्ट्स नहीं हैं. हालांकि, कुछ साइड इफेक्ट्स हैं, जिन्हें पैरासेटामॉल के जरिये दूर किया जा सकता है.
दुनिया की सबसे बड़ी टीका बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदर पूनावाला ने कहा कि “परीक्षण के काफी सकारात्मक नतीजे मिले हैं और इस बारे में बहुत ज्यादा खुश है.” सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ही ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं के साथ करार कर रही है.उन्होंने कहा, “हम परीक्षण के लिए लाइसेंस हासिल करने के लिए एक हफ्ते के अंदर भारतीय नियामक के पास आवेदन करेंगे. जैसे ही मंजूरी मिल जाती है, हम भारत में टीके का परीक्षण शुरू कर देंगे. इसके अलावा, हम जल्द ही भारत में बड़ी मात्रा में टीके का निर्माण भी शुरू करेंगे.”
लैंसेट की यह समीक्षा ऐसे समय आई है जब भारत ने स्वदेश में विकसित कोरोना वायरस वैक्सीन, COVAXIN का मानव परीक्षण (Human trials) किया है. AIIMS दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) ने कहा है कि रिसर्चर्स को डेटा के पहले सेट पर पहुंचने में कम से कम तीन महीने लगेंगे.
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दुर्ग। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पाटन में नवीन आदर्श थाना भवन का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने रोजनामचा पंजी में थाना भवन शुभारंभ होने उल्लेख करते हुए अपना अभिमत सहित हस्ताक्षर किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर थाना परिसर में पौधरोपण भी किया। उन्होंने थाना में पदस्थ स्टॉफ के साथ परिचर्चा कर ईमानदारी पूर्वक कर्तव्य निर्वहन करने को कहा। साथ ही समानता पूर्वक बिना पक्षपात के पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने में अपना योगदान देने को कहा। उन्होंने कहा कि जो कोई भी व्यक्ति अपनी किसी समस्या को लेकर थाना आता है उसे त्वरित न्याय मिले इस दिशा में कार्य कर समाज को एक संदेश दिया जाए। आम जनता के मन में पुलिस के प्रति विश्वास जागे इस बात को सदैव स्मरण करते हुए कार्य करें। महिला रक्षा टीम को 100 नग स्कूटी समर्पित- मुख्यमंत्री श्री बघेल ने पाटन में महिला रक्षा टीम के लिए 100 नग पेट्रोलिंग स्कूटी को महिला पुलिस बल को समर्पित किया। उन्होंने महिला रक्षा टीम को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह पेट्रोलिंग हेतु जिले के विभिन्न थानों में भेजी जाएगी। जिससे महिला रक्षा टीम में शामिल महिला पुलिस बल गश्त करने सहित लोगों की मदद के लिए उपयोग करेगी।
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नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि भारत में कोविड-19 के मरीजों के स्वस्थ होने की ऊंची दर होने के बावजूद स्वस्थ हो गये मरीज द्वारा प्लाज्मा दान करने में गति नहीं आयी है। उन्होंने लोगों से इस महामारी का मुकाबला करने के लिए आगे आने का आह्वान किया।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि उन्होंने यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में प्लाज्मा दान अभियान का शुभारंभ किया जिसका आयोजन एम्स और दिल्ली पुलिस ने मिलकर किया। इस मौके पर कोविड-19 संक्रमण से मुक्त हो चुके दिल्ली पुलिस के 26 कर्मियों ने प्लाज्मा दान किया। हर्षवर्धन ने कहा कि यह बहुत निराशाजनक बात है कि दिल्ली पुलिस के एक दर्जन कर्मी कोरोना वायरस के चलते मर गये लेकिन वह इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए अपने कर्मियों को तैनात कर बहुत अच्छा काम कर रही है। दिल्ली पुलिस के एक कर्मी-- ओम प्रकाश ने रविवार को तीसरी बार प्लाज्मा दान दिया।
स्वास्थ्य मंत्री ने ऐसे लोगों को प्रमाणपत्र सौंपकर उन्हें सलाम किया। उन्होंने कहा कि ये स्वयंसेवक दूसरों को प्लाज्मा दान के लिए प्रेरित करेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के अनुसार मंत्री ने कहा, हर दानकर्ता कोविड- 19 पर हमारी जीत के सफर में मायने रखता है और जब तक कोई निश्चित उपचार या टीका विकसित नहीं कर लिया जाता तब तक हमें इस महामारी से लडऩे के लिए अधिक से अधिक प्लाज्मा योद्धाओं की जरूरत है। उन्होंने कहा, फिलहाल , इस स्वास्थ्यकारी प्लाज्मा थेरेपी को करूणामय उपयोग के लिए मंजूरी दी जा चुकी है और चौबीसो घंटे इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्लाज्मा बैंक स्थापित किये जा रहे हैं। भारत उन देशों में से एक है, जहां कोविड-19 के मरीजों के स्वस्थ होने की सबसे ऊंची दर है, इसके बावजूद स्वस्थ हो गये मरीज द्वारा प्लाज्मा दान करने में गति नहीं आयी है। -
रायपुर, 19 जुलाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वप्नदृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धाजंलि अर्पित की।
श्री बघेल ने डॉ. खूबचंद बघेल के चित्र पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, राज्य खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल और राज्य समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष श्रीमती करुणा शुक्ला भी उपस्थित थीं।
मुख्यमंत्री ने डॉ.बघेल के योगदान को याद करते हुए कहा कि वे जीवन के अंतिम समय तक कई रचनात्मक कार्यों और किसान-मजदूर हितैषी गतिविधियों से जुडक़र छत्तीसगढ़ की सेवा करते रहे। छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन को गति देने में उनकी निर्णायक भूमिका रही। डॉ. बघेल ने गांधी जी से प्रभावित होकर शासकीय नौकरी से त्यागपत्र दिया और सक्रिय रूप से स्वाधीनता आंदोलनों से जुड़े। उनके प्रभाव ने सैकड़ों युवाओं को स्वाधीनता संग्राम से जोड़ा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे एक गम्भीर चिंतक और विचारक थे। हिन्दी और छत्तीसगढ़ी में डॉ.बघेल द्वारा जनसरोकार और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लिखे गए नाटकों ने भी जनमानस पर गहरा प्रभाव डाला। छत्तीसगढ़ के लिए उनका योगदान सदा याद किया जाएगा।
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लगातार कई शहरों के अस्पतालों, ब्लड बैंक्स और रिश्तेदारों को फ़ोन लगा लगाकर वैभव और उनकी पत्नी सुकन्या की उंगलियां दुख रही हैं, नींद की कमी से आंखें सुर्ख़ हैं, तबीयत बोझिल है, फिर भी पिता विकास चंद्र अग्रवाल के लिए एबी+ ग्रुप के प्लाज़्मा का इंतज़ाम तीन दिनों की कोशिश के बावजूद नहीं हो पाया है.
इस बीच एक तरफ आगरा के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती 62 साल के विकास चंद्र अग्रवाल की तबीयत बिगड़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ वैभव की घबराहट और चिंता भी 'शूट-अप' कर रही है, और वो कुछ भी करने को तैयार हैं.
प्लाज़्मा के लिए परेशान होने वालों में वैभव अकेले नहीं हैं. गुरुवार को हमें प्लाज़्मा के लिए जद्दोजहद में जुटे दो लोगों ने फ़ोन किया था. प्लाज़्मा 'मैच-मेकिंग' यानी डोनर-रिसीवर को आमने-सामने लाने वाली संस्था 'ढूंढ' की वेबसाइट पर हर दिन दर्जनों लोग रजिस्टर कर रहे हैं.
जिस व्यक्ति को कोरोना संक्रमण होकर ठीक हो चुका है उसके खून से प्लाज़्मा निकालकर कोराना के मरीज़ को दिए जाने पर कई बार हालत में सुधार देखा गया है.
लंदन-स्थित सॉफ़्टवेयर इंजीनियर और 'ढूंढ' में पार्टनर मुकल पाहवा के मुताबिक़ उनकी बेवसाइट पर पंजीकरण करवाने वालों में 'रिसीवर्स' यानी जिन्हें प्लाज़्मा चाहिए की तादाद 'डोनर्स' से बहुत अधिक है.
हमेशा की तरह क़िल्लत की क़ीमत ज़रूरतमंदों से वसूली जा रही है, एक यूनिट (525 एमएल) प्लाज़्मा के लिए पच्चीस से तीस हज़ार रूपयों तक की मांग हो रही है. कई जगहों पर इस लेन-देन के लिए डार्क-वेब का सहारा लिए जाने की भी चर्चा है.
कुछ अख़बारों ने डोनर को पैसों के अलावा, दूसरे शहर से आने-जाने का इंतज़ाम किए जाने तक की बात भी लिखी है. इन सबके बावजूद सब कुछ काफी मुश्किल है.
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पिछले दिनों जनता को आगाह किया कि कुछ लोग प्लाज़्मा के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं और कई लोगों से इसके लिए ऊंची कीमत वसूली गई है.
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्लाज़्मा थेरेपी कोविड-19 का इलाज नहीं है लेकिन मरीजों की हालत में इसकी वजह से सुधार देखा गया है इसलिए इसकी मांग बहुत है.
यही वजह है कि पिछले दिनों कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री ने अपनी दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में घोषणा की कि प्लाज़्मा डोनर्स को पाँच हज़ार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.
प्लाज़्मा की कमी क्यों है?
नेशनल ब्लड ट्रांसफ़्यूज़न कांउसिल ब्लड (ख़ून), प्लैटलेट्स, प्लाज़्मा वगैरह से जुड़े मामलों की देख-रेख करने वाली संस्था है, उसके मुताबिक़ प्लाज़्मा के लिए 400 रुपए प्रति यूनिट लिए जा सकते हैं.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मेडिकल कालेज में कम्यूनिटी मेडिसिन्स के असिस्सटेंट प्रोफ़ेसर नफ़ीस फ़ैज़ी कहते हैं, "प्लाज़्मा की कमी की एक बड़ी वजह ज़रूरी मूलभूत सुविधांए जैसे पैथोलॉजी लैब्स, कलेक्शन-प्रिज़र्वेशन की सुविधाओं जैसी भारी कमी है, दूसरे लोगों में ब्लड, शरीर के अंग वग़ैरह दान करने को लेकर जानकारी की कमी और भ्रांतियां भी हैं."
स्वास्थ्यकर्मियों की स्वंयसेवी संसथा जन स्वास्थ्य अभियान के डाक्टर गार्गेया तेलकापल्ली पूरे हालात के लिए सिर्फ़ सरकार को दोषी नहीं मानते और कहते हैं जो प्लाज़्मा दान कर सकते हैं "उनमें शायद ये डर भी है कि क्या होगा अगर मुझे फिर से कोविड-19 का संक्रमण हो गया?"
हालांकि प्लाज़्मा थेरापी पर अभी रिसर्च जारी है और फ़िलहाल छप रहे नतीजों को फ़ाइनल नहीं मान सकते हैं लेकिन कुछ प्रतिष्ठित विदेशी अख़बारों में इस तरह की ख़बरें आई हैं कि कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद शरीर में बीमारी से लड़ने की जो प्रतिरोधरक क्षमता पैदा होती है - जिसे ऐंटीबॉडीज़ कहते हैं, ये तीन माह के बाद ख़त्म हो जाती है.
कई जगहों पर कोविड-19 पीड़ित के ठीक हो जाने के बाद फिर से बीमार पड़ने की भी ख़बरें हैं.
प्लाज़्मा थेरेपी में किसी वैसे ही व्यक्ति के ख़ून के इस हिस्से को बीमार के शरीर में चढ़ाने के लिया जा सकता है जो कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद ठीक हो गया हो. इलाज के इस तरीक़े को 'कन्वैलेसेंट प्लाज़्मा थेरापी' कहते हैं.
ये थेरेपी इस धारणा पर आधारित है कि संक्रमण से ठीक हुए मरीज़ के ख़ून से लिए गए प्लाज़्मा से किसी दूसरे बीमार के रक्त में मौजूद वायरस को ख़त्म किया जा सकता है.
कोविड-19 के पहले इसका इस्तेमाल सार्स, मर्स और एच1एन1 जैसी महामारियों में भी किया गया था.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लैब, ब्लड बैंक, ज़रूरी दवाओं की उपलब्धता वग़ैरह और सभी बड़े अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज पर ध्यान दिया जाता तो इस तरह के हालात तैयार नहीं होते.
बीते दिनों तेज़ी से बढ़ी प्लाज़्मा की मांग
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मेडिकल कालेज में ही प्लाज़्मा थेरेपी से संबंधित सारी सुविधाएँ मौजूद नहीं हैं और ये आने वाले दिनों में शुरु होंगी.
रिपोर्ट के मुताबिक़ बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी मेडिकल कालेज में ये पिछले हफ़्ते ही शुरु हुई है. लखनऊ के केजीएमयू में ये सुविधा सुचारु रूप से चल रही लेकिन एसजीपीजीआई को स्वस्थ्य डोनर नहीं मिल रहे.
देश की राजधानी दिल्ली में दूसरा प्लाज़्मा बैंक पिछले हफ़्ते ही लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में शुरु किया गया है. पहला बैंक वसंत कुंज स्थित आईएलबीएस में पिछले महीने भर से काम कर रहा है.
डाक्टर गार्गेया तेलकापल्ली कहते हैं, "ज़रूरत है लोगों को इस बात को समझाने की कि वो जो ख़ून, प्लाज़्मा दान करने जा रहे हैं वो किसी बहुत बीमार या मर रहे व्यक्ति को फिर से जीवनदान दे सकता है, यानी 'उनके काम का एंड-रिज़ल्ट क्या होगा इस जागरुकता की ज़रूरत है लेकिन जब हम अपने अस्पतालों में ब्लड बैंक नहीं चला पा रहे और सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं पर ख़र्च को कम से कम करती जा रहीं तो यह मुश्किल है."
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले हफ़्ते अस्पतालों से कहा है कि वो कोविड-19 से ठीक हो रहे मरीज़ों को प्लाज़्मा दान करने के लिए प्रोत्साहित करें. केजरीवाल ने ये भी कहा कि प्लाज़्मा की मांग पिछले दिनों तेज़ी से बढ़ रही है.
अभी तक कोविड-19 के इलाज में जो चार-पांच चीज़ें बेहतर रिज़ल्ट्स दे रही हैं उनमें प्लाज़्मा थेरापी एक है. तो इसको लेकर मांग बढ़ना भी स्वभाविक है.
ऐसी स्थिति में - अद्वीतिय मल्ल ने पाया कि जब उन्हें प्लाज़्मा की ज़रूरत तो उनसे कुछ लोगों ने प्लाज़्मा देने के बदले पैसों की मांग की.
अब मल्ल ने दोस्त मुकुल पाहवा के साथ मिलकर ढूंढ़ नाम की वेबसाइट शुरू की है जो लोगों को प्लाज़्मा हासिल कराने में मदद करती है.
कमी के चलते कालाबाज़ीरी को मिल रहा है बढ़ावा
मुकुल पाहवा कहते हैं "काफ़ी संख्या में लोग मुल्क के कोने-कोने से उनसे जुड़ रहे हैं जबकि उन्होंने इस प्रयास को महीने भर पहले ही शुरु किया था और लोगों को सबसे पहले व्हाट्सऐप के ज़रिये मैसेजेज़ भेजे गए थे."
इस तरह के मामले में जहां हासिल करने वाले की ज़रूरत इंतिहा पर हो और दानकर्ता ये जानता हो तो किसी तरह का लेन-देन संभव है, मुकुल पाहवा स्पष्ट करते हैं कि वो सिर्फ़ डोनर-रिसीवर को आमने-सामने लाने का काम कर रहे हैं उसके बाद का मामला उन दोनों के बीच का होता है और उनकी संस्था इससे अलग रहती है.
'प्राण' नाम से ऐसा ही प्रयास दो दिनों पहले महाराष्ट्र कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य डाक्टर ओम श्रीवास्तव की ओर से भी शुरु किया गया है और उनकी सहायक डाक्टर मारिया निगम के मुताबिक़ फ़िलहाल पायलट प्रोजेक्ट के प्रोटोकोल और दूसरे पहलूओं पर काम जारी है.
डाक्टर नफ़ीस फ़ैज़ी कहते हैं जब भी इस तरह की नई थेरेपी सामने आती है तो उसकी क़ीमतों और इस तरह (लेन-देन) की बातें सुनने में आती हैं और इस पर लगाम तब और मुश्किल नज़र आती है जब इन पर लगाम कस सकने वाली संस्थाएं कमज़ोर हों.
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत निर्मित गौठानों में पशुधन के रख-रखाव की व्यवस्था तथा गौठानों के सु-व्यवस्थित संचालन के लिए 10 करोड़ 80 हजार रूपए की मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री के निर्देश के परिपालन में वित्त विभाग ने यह राशि प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा सचिव नगरीय प्रशासन विभाग को जारी कर दी है।
राज्य के 2502 गौठानों को 40-40 हजार रूपए के मान से यह राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से 2300 गौठान ग्रामीण इलाके के तथा 202 गौठान नगरीय क्षेत्रों में स्थित हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निर्मित गौठानों में पशुओं के रख-रखाव, चारे-पानी की व्यवस्था के साथ ही बड़े पैमाने पर वर्मी कपोस्ट खाद का उत्पादन एवं आजीविका की अन्य गतिविधियों संचालित की जा रही है। आगामी 20 जुलाई हरेली पर्व से प्रदेश में गोधन न्याय योजना शुरू होने जा रही है। इस योजना के तहत पशुपालकों एवं किसानों से निर्धारित दर पर गोबर की खरीदी की जाएगी। क्रय गोबर से वर्मी कपोस्ट तैयार करने का काम भी गौठानों में होगा।
गौठान समितियां उक्त सभी कार्यों को बेहतर तरीके से संचालित कर सकें, इसको ध्यान में रखते हुए उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जा रही है। गौठान समितियों को हर महीने 10 हजार रूपए की सहायता दिए जाने का प्रावधान पहले से ही शासन द्वारा किया गया है। गौठान समितियों को आर्थिक सहायता दिए जाने का उद्देश्य गौठान की व्यवस्था को बेहतर और सुदृढ़ बनाना है।
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रायपुर। पी एच डी चेम्बर छत्तीसगढ़ चैप्टर तथा सी एस आई डी सी, के संयुक्त तत्वावधान में छत्तीसगढ़ राज्य में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में संभावनाएं विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
छत्तीसगढ़ शासन की ओर से पी अरुण प्रसाद, प्रबंध संचालक, सीएसआईडीसी द्वारा राज्य सरकार खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों तथा योजनाओं को पॉवर पॉइन्ट प्रेजेंटेशन द्वारा विस्तृत रूप से साझा किया। श्री प्रसाद में अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य है जहां गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने तथा राज्य में पूरी तरह ऑर्गनिक उत्पादन की दिशा में कार्य कर रही है।
वहीं गोविंदराम चौधरी, उपाध्यक्ष एग्री बिजनेस एवं फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि किसी भी उद्योग को स्थापित होने जो सहायता चाहिए वह सभी सुविधाएं छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी जा रही हैं, अत: सभी निवेशकों के लिए जो कि छत्तीसगढ़ में निवेश करना चाहते हैं यह एक सुनहरा अवसर है। श्री चौधरी ने पी एच चेम्बर और छत्तीसगढ़ शासन विशेषकर छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
वेबिनार में एस एस बजाज, अतिरिक्त प्रबंध संचालक लघु वनोपज की ओर से बताया गया कि राज्य में लॉक डाउन अवधि में भी 5 हजार स्वसहायता समूहों के माध्यम से रिकॉर्ड खरीदी की गई। उन्होंने राज्य में काजू , तेन्दु, जाम, आम तथा विभिन्न वनोपजों के प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन की संभावनाओं तथा अवसरों को विस्तार से बताया। श्री बजाज ने बताया कि राज्य में हर्बल तथा प्रसंस्कृत वनोपजों की बिक्री संजीवनी विक्रय केंद्र के माध्यम से हो रही है तथा महुआ बीज से स्व सहायता समूहों द्वारा हर्बल उत्पाद निर्माण किया जा रहा है।
वेबिनार में कोरिया के उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ के प्रतिनिधि सेनचेंग हा ने अपने सम्बोधन में कहा कि बहुत सी कोरियन कम्पनियां हैं जो उचित योजना और मार्केटिंग सपोर्ट मिलने पर छत्तीसगढ़ में निवेश करना चाहेंगे, उन्होंने आयोजन के लिए पी एच डी चैम्बर तथा छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद दिया।
वहीं मनोज कुमार पिंगुआ, प्रिंसिपल सेक्रेटरी कॉमर्स एंड इंडस्ट्री छत्तीसगढ़ शासन ने अपने उद्बोधन में सबसे पहले कहा कि पी एच डी चैम्बर तथा छत्तीसगढ़ सरकार का बहुत पुराना साथ है, उन्होंने लम्बे समय बाद हुए इस आयोजन के लिए पी एच डी चैम्बर का आभार व्यक्त किया। उन्होंने अपने संबोधन में छत्तीसगढ़ की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला तथा बताया कि राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है। उन्होंने राज्य में हार्टिकल्चर के अंतर्गत फलों, सब्जियों तथा मसालों के उत्पादन तथा उनके प्रसंस्करण की अपार संभावनाओं का जिक्र करते हुए सभी निवेशकों से राज्य की संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया।
कार्यक्रम के अंत में अरुण प्रसाद ने प्रतिभागियों के सवाल का जवाब दिया तथा सभी के प्रश्नों का ईमेल के माध्यम से विस्तारपूर्वक जवाब भेजने हेतु आश्वस्त किया। पी एच डी चैम्बर छत्तीसगढ़ चेप्टर के अध्यक्ष शशांक रस्तोगी ने आज के विशिष्ट अतिथियों, मनोज कुमार पिंगुआ, पी अरुण प्रसाद एवं एस एस बजाज का परिचय सभी प्रतिभागियों के मध्य कराया। -
भिलाई। देर से ही सही आखिरकार प्रदेश सरकार ने निगम व मंडल प्रमुखों की सूची जारी कर दी है। संभागवार जारी इस सूची में रायपुर संभाग से सर्वाधिक लोगों को जगह मिली हैं। वहीं दुर्ग संभाग से चार लोगों को इसमें जगह मिली। दुर्ग शहर विधायक अरुण वोरा को स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन का चेयरमेन बनाया गया है। वहीं पूर्व महापौर नीता लोधी को अंतव्यवसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम का वाइस चेयरमेन बनाया गया है। दुर्ग संभाग से धनेश पटीला को अंतव्यवसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम का चेयरमेन और महेश चंद्रवंशी को स्टेट बेकवर्ड क्लास कमीशन का सदस्य नियुक्त किया गया।
रायपुर संभाग की बात करें तो यहां से प्रमुख नामों में विधायक कुलदीप जुनेजा को हाउसिंग बोर्ड का चेयरमेन नियुक्त किया गया है। वहीं गिरीश देवांगन को खनिज विकास निगम अध्यक्ष बनाया गया है। कांगे्रस नेता शैलेश नितिन त्रिवेदी को पाठ्य पुस्तक निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। पूर्व महापौर किरणमयीनायक को राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया वहीं करुणा शुक्ला को समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग का अध्यक्ष राजेन्द्र तिवारी और राज्य कृषक कल्याण परिषद् का अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा को बनाया गया। इसके अलावा देवेंद्र बहादुर को राज्य वन विकास निगम, रामगोपाल अग्रवाल को चेयरमैन स्टेट सिविल सप्लाईज कारपोरेशन, सुभाष धुप्पड़ को चेयरमैन रायपुर विकास प्राधिकरण, राजकुमारी दीवान को वाइस चेयरमैन राज्य एसटी आयोग, महेश शर्मा को भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड का सदस्य, सतीश अग्रवाल को भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड का सदस्य तथा नितिन सिन्हा को पाठ्यपुस्तक निमाग का सदस्य बनाया गया है।
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा सुराजी गांव योजना के तहत नरूवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी को नया जीवन दिया जा रहा है। इसके तहत गांव-गांव में गौठानों का निर्माण किया जा रहा है। इन गौठानों से गांव-गांव में रोजगार और अतिरिक्त आय के अवसर बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री श्री बघेल अपने निवास कार्यालय में अखिल भारतीय अघरिया समाज के प्रतिनिधि मण्डल से मुलाकात के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए उक्त आशय के विचार व्यक्त किए। प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व विधायक रायगढ़ श्री प्रकाश नायक ने किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रतिनिधिमण्डल की मांग पर जिला मुख्यालय रायगढ़ के कोतरा रोड स्थित अघरिया भवन के विस्तार के लिए भू-खण्ड प्रदान करने और महासमुंद जिले के अंतर्गत ग्राम पैंता में अघरिया धाम को विकसित करने में हर संभव सहयोग के लिए आश्वस्त किया। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के संकल्प के साथ छत्तीसगढ़ी अस्मिता तथा संस्कृति को शीर्ष पर रखकर अपने कुशल नेतृत्व से प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए मुख्यमंत्री श्री बघेल का अखिल भारतीय अघरिया समाज द्वारा मुलाकात के दौरान अभिनंदन भी किया गया।
श्री बघेल ने इस अवसर पर आगे कहा कि राज्य सरकार हरेली त्यौहार के दिन से ’गोधन न्याय योजना’ भी शुरू करने जा रही है। इस योजना में पशुपालकों से दो रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर गोबर खरीदकर गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जाएगी। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां गोबर की खरीदी की जाएगी। साथ ही इस योजना से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण में भी सुधार होगा। इससे पशुओं की खुले पर चराई में रोक लगेगी और किसान बरसात के बाद अन्य फसल का उत्पादन भी आसानी से ले सकेंगे। गोधन न्याय योजना का लाभ ऐसे मजदूर परिवारों को भी मिलेगा, जिनके पास खेती की जमीन नहीं है, लेकिन उसके पास पशुधन अथवा मवेशियां है। छोटे से छोटे पशुपालक को भी इस योजना से हर माह 2 से 3 हजार रूपए की आमदनी मिल सकती है।
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रायपुर. सीएम भूपेश बघेल ने कैबिनेट की बैठक में मंगलवार को बड़ा फैसला लिया। इसमें पिछले डेढ़ साल से संघर्ष कर रहे शिक्षाकर्मियों के संविलियन पर मुहर लग गई है। छत्तीसगढ़ में दो साल की सेवा पूरी कर चुके 16 हजार से ज्यादा शिक्षाकर्मियों का एक नवंबर 2020 से संविलियन हो जाएगा। इससे पहले नई सरकार बनने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक लाख दस हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया था।
इसके बाद बचे शिक्षकों के संविलियन की बात कही थी। अब दायरे में आने वाले सभी शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर दिया गया है। इसके अलावा भूपेश मंत्रिमंडल ने कई और अहम फैसले किए। इनमें गोधन न्याय योजना के तहत सरकार अब डेढ़ रुपए नहीं, बल्कि दो रुपए किलो में गोबर खरीदेगी। सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि यह पूरी दुनिया की पहली योजना होगी जिसमें गोबर खरीदकर सरकार खाद बनाएगी।
हरेली के दिन 21 जुलाई से शुरू होगी योजना
गोधन न्याय योजना हरेली के दिन 21 जुलाई से शुरू होगी। इसके लिए गोबर खरीदी की दर निर्धारित करने वाली कैबिनेट उपसमिति ने पहले प्रति किलो डेढ़ रुपए की दर से गोबर खरीदने का प्रस्ताव दिया था लेकिन कैबिनेट ने परिवहन खर्च को ध्यान में रखते हुए इसे दो रुपए करने पर सहमति दी।वहीं इस योजना से बनने वाली वर्मी कम्पोस्ट (खाद) को 8 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाएगा। प्रदेश में अब तक 53 सौ गौठान स्वीकृत किए जा चुके हैं। इसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 2408 और शहरी क्षेत्रों में 377 गौठान बन चुके हैं, जहां से इस योजना की शुरुआत की जाएगी। प्रदेश में स्थापित गौठान में और पशुपालकों से गोबर खरीदकर कर वर्मी कम्पोस्ट और अन्य उत्पाद तैयार किया जाएगा। इससे पशुपालकों को आर्थिक लाभ भी होगा।
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रायपुर। छत्तीगसढ़ में सरकार ने 15 संसदीय सचिव नियुक्ति किए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास में संसदीय सचिवों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। संसदीय सचिव की नियुक्ति में भाजपा के बड़े नेताओं को हारने वाले विधायकों को प्राथमिकता दी गई है।
सिर्फ दो विधायकों, चिंतामणि महाराज और पारसनाथ राजवाड़े को छोड़कर बाकी पहली बार के विधायक बने हैं। महिला कोटे से तीन विधायक शकुंतला साहू, अंबिका सिंहदेव और रश्मि आशीष सिंह को मौका मिला है। राजधानी से रायपुर पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय को तरजीह दी गई है। संसदीय सचिव बनाए गए विधायकों में रायपुर संभाग के पांच, सरगुजा के चार, दुर्ग के तीन, बस्तर के दो बिलासपुर का एक विधायक शामिल है।
यह हैं 15 संसदीय सचिव
रायपुर संभाग विधानसभा-संसदीय सचिव खल्लारी-द्वारिकाधीश यादव महासमुंद-विनोद सेवनलाल चंद्राकर बिलाईगढ़-चंद्रदेव राय कसडोल-शकुंतला साहू रायपुर पश्चिम-विकास उपाध्याय सरगुजा संभाग बैकुंठपुर-अंबिका सिंहदेव सामरी-चिंतामणि महाराज कुनकुरी-यूडी मिंज भटगांव-पारसनाथ राजवाड़े दुर्ग संभाग मोहला-मानपुर-इंदरशाह मंडावी गुंडरदेही-कुंवरसिंह निषाद नवागढ़-गुरूदयाल सिंह बंजारे बिलासपुर संभाग तखतपुर-डॉ. रश्मि आशीष सिंह बस्तर संभाग कांकेर-शिशुपाल सोरी जगदलपुर-रेखचंद जैन