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नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)| भारत की 47 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं कोविड-19 महामारी की वजह से अधिक तनाव या चिंता महसूस कर रही हैं। एक नए सर्वेक्षण में गुरुवार को यह बात कही गई है। माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व वाली लिंक्डइन ने गुरुवार को 'श्रमबल विश्वास सूचकांक' (वर्कफोर्स कॉन्फिडेंस इंडेक्स) सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि पांच में से दो यानी महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल के लिए कार्य के घंटों से आगे भी काम करना पड़ रहा है।
यह सर्वे 2,254 पेशेवरों के बीच किया गया है।
वहीं अगर पुरुषों की बात जाए तो 38 प्रतिशत कामकाजी पुरुषों ने कहा कि महामारी की वजह से उन पर दबाव बढ़ा है।
सर्वे में सामने आया है कि अभी तीन में से एक महिला (31 प्रतिशत) पूरे समय बच्चों की देखभाल कर रही हैं। वहीं, सिर्फ पांच में से एक यानी 17 प्रतिशत पुरुष ही पूरे समय बच्चों की देखभाल रहे हैं।
ऑनलाइन पोर्टल 'जॉब फॉर हर' की सीईओ नेहा बागरिया ने कहा कि महामारी के दौरान पुरुषों की भागीदारी में वृद्धि देखने को मिली है, लेकिन महिलाएं अभी भी बच्चों की देखभाल में सबसे अधिक समय बिता रही हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि कामकाजी माताओं को बच्चों की देखभाल से ध्यान भंग होने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
सर्वे के अनुसार, पांच में से सिर्फ एक यानी 20 प्रतिशत महिलाएं ही अपने बच्चों की देखभाल के लिए परिवार के सदस्यों या मित्रों पर निर्भर हैं। वहीं पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 32 प्रतिशत है।
करीब 46 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें देर तक काम करने की जरूरत पड़ रही है। वहीं 42 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि बच्चों के घर पर होने की वजह से वे काम पर ध्यान नहीं दे पातीं।
फ्रीलांसर के रूप में काम करने वाले लोगों में से 25 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें आमदनी में बढ़ोतरी की उम्मीद है। वहीं 27 प्रतिशत ने कहा कि उनकी व्यक्तिगत बचत बढ़ने की उम्मीद है, जबकि 31 प्रतिशत ने कहा कि अगले छह माह के दौरान उन्हें अपने निवेश में वृद्धि की उम्मीद है।
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रायपुर। हमारे जीवन को संवारने में शिक्षक बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। शिक्षक दिवस, जो हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है, हम सभी के लिये उन्हें धन्यवाद देने का महत्वपूर्ण अवसर है।
देश के प्रथम उपराष्ट्रपति भारतरत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। जब वे भारत के राष्ट्रपति थे तब कुछ पूर्व छात्रों और मित्रों ने उनसे अपना जन्मदिन मनाने का आग्रह किया। उन्होंने विनम्रतापूर्वक कहा कि यह बेहतर होगा कि आप इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाए। इसके बाद 5 सितम्बर को हमारे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। शिक्षक शिक्षा और ज्ञान के जरिये बेहतर इंसान तैयार करते है, जो राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देते है। हमारे देश की संस्कृति और संस्कार शिक्षकों को विशेष सम्मान और स्थान देती है। गुरू शिष्य के जीवन को बदलकर सार्थक बना देता है।
बच्चों की शिक्षा के लिए समर्पित सभी गुरूजनों को सलाम है। गुरूजनों का सम्मान हम सबकी सामाजिक जिम्मेदारी है, जो बच्चों को अपने ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करने के साथ ही समाज को नई दिशा देते हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की स्थिति में सुधार के लिए शिक्षकों और छात्र-छात्राओं से किए गए वादे को न केवल निभाया है, बल्कि अमलीजामा पहनाना भी शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ राज्य में नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत पहली बार बारहवीं कक्षा तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार प्रदान किया है। राज्य निर्माण के बाद पहली बार लगभग 15 हजार शिक्षकों की नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई। व्यापम ने शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित की और इसके परिणाम भी जारी कर दिए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने शिक्षकों के परीक्षा परिणाम की वैधता को एक वर्ष तक बढ़ाए जाने की सहमति दी है। स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षाकर्मियों का पंचायत शिक्षक और शिक्षिका के रूप में संविलियन किया गया। राज्य में पहली बार कक्षा बारहवीं तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार मिला है।
राज्य शासन ने 2 साल या उससे अधिक की सेवावधि पूरी करने वाले शेष बचे पंचायत नगरीय निकाय संवर्ग के 16 हजार 278 शिक्षकों का संविलियन शिक्षा विभाग में करने का निर्णय लिया है। एक नवम्बर 2020 तक इस प्रक्रिया को पूरा किया जाना है। पंचायतों एवं नगरीय निकायों के ऐसे शिक्षकों जिन्होंने एक जुलाई 2020 को अपना 8 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है, उनका भी संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग में किया जाएगा। प्रदेश सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय से अब शिक्षक जैसे गरिमामय पदनाम से इन्हें जाना जाएगा।
प्रदेश में शिक्षा को वर्तमान परिवेश की जरूरत को ध्यान में रखते हुए बेहतर बनाने का प्रयास प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में भी अब अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को निजी स्कूलों की तरह शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य में 41 उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम के मॉडल स्कूल शुरू किए गए है। आगामी वर्ष में सौ और उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरू किए जाएंगे। यह राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के गुरूजनों के प्रति विश्वास का प्रतीक है कि हमारे गुरूजन अंग्रेजी माध्यम के जरिए ग्रामीण अंचल के बच्चों को भी बड़े-बड़े शहरों में स्थित प्रायवेट स्कूलों से बेहतर शिक्षा-दीक्षा दें सकेंगे।
आज शिक्षण के क्षेत्र में नई चुनौतियों के सामने आने पर शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ी है। वर्तमान में पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। इसको देखते हुए शिक्षा व्यवस्था में बदलाव भी करना पडा है।विश्वव्यापी कोरोना संकट के चलते बीते मार्च महीने से अब तक स्कूल बंद होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य ने बच्चों को घर पहुंच शिक्षा उपलब्ध कराने की अनुकरणीय पहल की है। इस पहल को देशभर में सराहा गया है।
कोरोना संक्रमण के चलते स्कूली बच्चों को शैक्षणिक गतिविधियां से जोड़े रखने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने वेब पोर्टल पढ़ई तुंहर दुवार शुरू किया। यह पोर्टल आज बच्चों को घर पहुंच शिक्षा उपलब्ध कराने का सबसे सशक्त माध्यम बन चुका है। इस वेब पोर्टल का शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 7 अप्रैल को किया था। इस पोर्टल के माध्यम से राज्य के लगभग 2 लाख शिक्षक जुड़े हैं, जो इसके माध्यम से 22 लाख बच्चों को ज्ञान का प्रकाश पहुंचाने में मदद कर रहे हैं।
बच्चों को पढ़ाई से निरंतर जोड़े रखने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने आनलाईन पोर्टल पढ़ई तुंहर दुवार के साथ ही मोबाइल इंटरनेट विहीन क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा की ऑफलाइन व्यवस्था के तहत लाउडस्पीकर, पढ़ई तुंहर पारा और बुलटू के बोल के जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सुनिश्चित की है। इससे सुदूर वनांचल के बच्चों को भी पढ़ाई कराई जा रही है। कई शिक्षक स्वेच्छा से अपने आसपास के परिस्थितियों के आधार पर बच्चों की शिक्षा के लिए नवाचारी उपाय कर रहे हैं।
नीति आयोग ने छत्तीसगढ़ के आकांक्षी जि़ला नारायणपुर में सामुदायिक सहायता से संचालित पढ़ई तुंहर दुआर योजना को सराहा है। यहां जि़ला प्रशासन एवं गांव के युवाओ के मदद से जहां नेटवर्क नही है,वहां सामुदायिक भवन , घर के बरामदे में कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए , बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है और अब मिस कॉल गुरुजी के साथ प्रदेश के 7 जिलो बलौदाबाजार, जांजगीर- चांपा, सूरजपुर, सरगुजा, दुर्ग ,कोंडागांव ,बस्तर में शुरू हुए खास अभियान को शिक्षकों ने अपना लिया है । इसके अंतर्गत कक्षा पहली और दूसरी के बच्चों को अगस्त माह से नवंबर माह तक प्रारंभिक भाषा शिक्षण में दक्ष बनाया जाएगा। जिन बच्चों के पास स्मार्टफोन नही था और पढ़ई तुंहर दुआर से वंचित थे, मिस कॉल गुरुजी छात्रों के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है। दुर्ग जिले के 200 स्कूलों में हर घर स्कूल नामक अभियान संचालित है, जिसमें दुर्ग ब्लॉक 112 तथा पाटन ब्लाक के 88 प्राथमिक स्कूल शामिल है । जिला परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा एवं लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन के माध्यम से संचालित अभियान के तहत बच्चों की भाषाई दक्षता को बेहतर बनाने का कार्य किया जा रहा है। -
केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने पबजी समेत 118 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने धारा 69ए के तहत इन मोबाइल ऐप्स पर बैन लगाने का फैसला किया है. मंत्रालय ने कई शिकायतें मिलने के बाद बैन लगाने का यह फैसला लिया है. सरकार की तरफ से बुधवार शाम जारी बयान में कहा गया है कि ये ऐप राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थे. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ये मोबाइल ऐप भारत की संप्रभुता, अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा थे. मंत्रालय ने कहा कि ऐसी कई शिकायतें मिली थीं जिसमें कहा गया था कि एंड्रॉइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर ऐसे कई मोबाइल ऐप हैं जो यूजर्स की सूचनाएं चुराते हैं.
मंत्रालय ने कहा कि ये ऐप्स अनधिकृत तरीके से यूजर्स की सूचना और डेटा चोरी कर भारत के बाहर भेज रहे हैं. ये ऐप यूजर्स के डेटा को चोरी कर रहे हैं और उसे भारत से बाहर स्थित अपने सर्वर तक गैर कानूनी तरीके से पहुंचा रहे हैं. इन डेटा की चोरी भारत की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा है. सरकार ने कहा कि डेटा की चोरी चिंता का विषय है और इसके लिए आपातकालीन कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.बता दें कि भारत सरकार ने इससे पहले टिकटॉक सहित चीन के कई ऐप पर प्रतिबंध लगाए थे. जून के अंतिम में भारत ने टिकटॉक, हेलो समेत चीन के 59 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाए थे. इसके बाद में जुलाई के आखिर में 47 और चीनी ऐप पर पाबंदी लगाई गई थी.
इस बार केंद्र सरकार ने पबजी के अलावा लिविक, वीचैट वर्क और वीचैट रीडिंग, ऐपलॉक, कैरम फ्रेंड्स जैसे मोबाइल ऐप पर पाबंदी लगाई है. लद्दाख में चीन के साथ फिर से तनाव बढ़ने के बीच भारत के इस कदम को सख्त माना जा रहा है. -
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं के विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन संबंधी विशेष व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था से प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ाई का मूल्यांकन हो सकेगा और कमजोर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह व्यवस्था सितम्बर से लागू की जाएगी। माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा इस संबंध में सभी मान्यता प्राप्त शालाओं के प्राचार्यों को निर्देश जारी कर दिए हैं। निर्देश में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में शैक्षणिक सत्र 15 जून प्रारंभ होता है, परन्तु केन्द्र सरकार के आदेशानुसार 30 सितम्बर तक सभी शैक्षणिक संस्थाएं बंद रहेगी। इन परिस्थितियों में कक्षा 10वीं एवं कक्षा 12वीं के विद्यार्थियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इसमें स्कूल खुलने में होने वाली देरी को दृष्टिगत रखते हुए पाठ्यक्रम में लगभग 30 से 40 प्रतिशत कटौती कर पाठ्यक्रम का माहवार विभाजन किया गया है, जिससे विद्यार्थियों और शिक्षकों को यह स्पष्ट रहे कि किस माह में उन्हें पाठ्यक्रम का कितना हिस्सा पूर्ण करना है। यह पाठ्यक्रम छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल की वेबसाइट www.cgbse.nic.in पर दिनांक 3 सितम्बर 2020 तक उपलब्ध करा दिया जाएगा।
सभी प्राचार्यों को निर्देश दिए गए हैं कि कक्षा 10वीं एवं कक्षा 12वीं के प्रत्येक सेक्शन के लिए अलग-अलग क्लास टीचर नियुक्त करें और क्लास टीचर से यह अपेक्षा की गई है कि वे कक्षा के सभी विद्यार्थियों के साथ एक वाट्सअप ग्रुप का निर्माण कर कर लें और विद्यार्थियों एवं क्लास टीचर के बीच इस वाट्सअप ग्रुप के माध्यम से लगातार संपर्क रखें। क्लास टीचर अपने-अपने वाट्सअप ग्रुप के सभी विद्यार्थियों को विषय से संबंधित कठिन अवधारणाएं, वाट्सअप के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रेषित करें तथा कठिनाईयों को दूर करेंगे।
कक्षा 10वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों के लिए मण्डल द्वारा घटे हुए निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार लगातार ऑनलाईन कक्षाएं आयोजित की जाएगी। जिनका प्रसारण यू-ट्यूब चैनल पर किया जाएगा। इन ऑनलाईन कक्षाओं में पूरे प्रदेश के विद्यार्थी एक साथ भाग ले सकेंगे। ऑनलाईन कक्षाओं को रिकार्ड करके मण्डल के यू-ट्यूब चैनल पर भी दिखाया जाएगा तथा स्कूल शिक्षा विभाग की वेबसाईट www.cgschool.in पर लिंक किया जाएगा, जिससे विद्यार्थी यदि चाहें तो किसी भी समय इन कक्षाओं के रिकार्ड किए गए वीडियो दोबारा देख सकेगा। ऑनलाईन कक्षाओं का साप्ताहिक टाइम-टेबल मण्डल की वेबसाइट पर 5 सितम्बर तक उपलब्ध करा दिया जाएगा, जिससे विद्यार्थी टाइम-टेबल के अनुसार मण्डल की यू-ट्यूब चैनल पर जाकर ऑनलाईन कक्षाओं में भाग ले सके।
प्रत्येक महीने के पाठ्यक्रम के लिए मण्डल द्वारा विषयवार असाइनमेंट तैयार किया जाएगा और उसे मण्डल की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा और असाइनमेंट पीडीएफ के रूप में सभी स्कूलों को भेजा जाएगा। स्कूलों के प्राचार्य, क्लास टीचर के माध्यम से असाइनमेंट सभी विद्यार्थियों को अपने-अपने वाट्सअप ग्रुप तथा एसएमएस के माध्यम से भेजेंगे तथा विद्यार्थियों के द्वारा घर पर ही असाइनमेंट उत्तरपुस्तिका में हल करके प्रत्येक महीने के 15 तारीख को स्कूल में जमा किया जाएगा। संबंधित विषय के शिक्षक स्कूल कार्यालय में विद्यार्थियों द्वारा जमा किए गए असाइनमेंट का मूल्यांकन करेंगे। असाइनमेंट के मूल्यांकन के पश्चात् प्राप्त अंकों को मण्डल के पोर्टल पर ऑनलाईन प्रविष्टि करेंगे। यदि किसी विद्यार्थी को असाइनमेंट में कम अंक प्राप्त होते हैं तो उस विद्यार्थी को विशेष रूप से पढ़ाने की व्यवस्था स्कूल द्वारा की जाएगी। इस प्रकार असाइनमेंट में प्राप्त अंकों को शैक्षणिक सत्र 2020-21 की मण्डल परीक्षा लिए आंतरिक मूल्यांकन का आधार बनाया जाएगा।
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नयी दिल्ली स्थित 10 राजाजी मार्ग पर फैली खामोशी tv बता रही है कि भारतीय राजनीति का सूरज महाकाल के अनंत विस्तार में समा गया| राजनीति के पुरोधा और माँ दुर्गा के अनन्य उपासक भारत रत्न प्रणब मुख़र्जी चिरनिद्रा में लीन हो गए| प्रणब दा के विशाल अनुभव एवं याददाश्त का सम्मान उनके राजनीतिक विरोधी भी करते थे| उन्हें राजनीति में संकटमोचक के तौर पर देखा जाता था और समस्याओं का समाधान निकालने में माहिर माने जाते थे| राष्ट्रहित के प्रति समर्पित भाव रखते हुए सार्वजनिक जीवन में शायद ही ऐसी कोई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी हो जिसे उन्होंने न सम्हाला हो|
विश्व के प्रसिद्ध 5 वित्त मंत्रीयो में से एक होने का गौरव प्राप्त करने वाले स्वर्गीय प्रणब दा का जन्म 11 दिसम्बर 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिरती नामक स्थान पर हुआ| अपनी वकालत की पढ़ाई पूर्ण करने के पश्चात उन्होंने सक्रिय राजीति में कदम रखा| देश सेवा का जज्बा उनके संस्कारों में था| यह प्रणब दा के असाधारण व्यक्तित्व का ही जादू ही था कि 34 वर्ष की अल्पायु में ही उन्हें भारतीय लोकतंत्र के उच्च सदन का सदस्य बनाया गया। इसके पश्चात मुख़र्जी दा ने भारतीय राजनीति में विकास की नयी इबारत लिखी जो आज एक कीर्तिमान है| वर्ष 1975, 1981, 1993 और 1999 के लगातार वर्षों में उन्होंने भारतीय संसद के उच्च सदन में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया| इस दौरान जब भारत की अर्थव्यवस्था पटरी से लडख़ड़ा रही थी, तो वर्ष 1982-84 में भारत के वित्त मंत्री के रूप में उनकी कुशलता एवं अनुभव को सम्पूर्ण देश ने सराहा | इसी कार्यकाल के दौरान डॉ. मनमोहन सिंह को भारतीय रिज़र्व बैंक का गवर्नर बनाया गया और देश विकसित होने की राह पर चल पड़ा। वर्ष 1991 में उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया| प्रणब दा को नरसिंह राव मंत्रिमंडल में 1995 से 1996 तक विदेश मन्त्री के रूप में कार्य करने का मौका मिला किया।
वर्ष 1993 -2003 के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में मेरे ससुर स्वर्गीय अजय मुश्रान ने मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया| मुश्रान साहेब के प्रणब दा से आत्मीय सम्बन्ध रहे| इस दौरान एक युवा अधिवक्ता एवं वर्ष 2000 -2003 के दौरान जब मध्य प्रदेश अपने छत्तीसगढ़ विभाजन के कठिन दौर से गुजर रहा था, उस समय मध्य प्रदेश का महाधिवक्ता होने से प्रथम बार मेरा प्रणब दा से मिलना हुआ| उनके शांत स्वभाव और गंभीर छवि ने मुझे हमेशा ही आकर्षित किया| उनका व्यक्तित्व विद्वता और शालीनता के लिए याद किया जाएगा.|
प्रणब मुखर्जी जी ने ही श्रीमती सोनिया गांधी जी को सक्रिय राजनीति में आने के लिए मनाया था | 2004 से 2012 वर्षों के दौरान उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू.पी.ए. गठबंधन सरकार के कुशल सञ्चालन में महत्वपूर्ण रोल अदा किया| देश के वित्तमंत्री के रूप में उन्हें वर्ष 2009, 2010 और सन 2011 में देश का वार्षिक बजट प्रस्तुत करने का गौरव हासिल हुआ| लड़कियों की साक्षरता और स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए और जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन सहित सहित कई अन्य सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए धन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहा| भारत रत्न स्वर्गीय राजीव गाँधी की स्वप्न योजना राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) जिसे बाद में मनरेगा नाम दिया गया, को डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में लागू करने में प्रणब दा की ही दूरदृष्टि थी जो आज कोरोना संक्रमण के कठिन दौर में देश के मजदूरों एवं अन्य श्रमिक वर्ग के जीवन यापन का सहारा बन रही है|
सरकारी कामकाज की प्रक्रियाओं और संविधान की बारीकियों की बेहतरीन समझ रखने वाले प्रणब दा ने जुलाई 2012 में भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली| अपने कार्यकाल के दौरान संविधान के अनुच्छेद 72 के अंतर्गत उनके समक्ष लायी गयी दया याचिकाओं के मामले में वे एक कठोर प्रशासक साबित हुए| सात दया याचिकाओं को क्रूरतम अपराध की संज्ञा देते हुए रद्द करते हुए प्रणब मुखर्जी देश के दूसरे ऐसे राष्ट्रपति बन गए जिन्होंने अपने कार्यकाल में सबसे ज्यादा दया याचिकाएं खारिज कीं| उनके निर्णय ने अपराधियों के मन में भय एवं देश के आम जनों में न्याय व्यवस्था में विश्वास को सुदृण किया|
उन्होंने असीम अनुभव को अपनी लेखनी से कागज़ के पन्नो पर उतारा और राजनीति पर गहरी समझ एवं नीतिगत मुद्दों पर अनुभव को देश की नाव के लगभग सभी खेवनहारों से साझा किया| प्रणब दा का मानना था कि पुस्तकें हमारे जीवन की सबसे अच्छी दोस्त होती है और ये ही भविष्य में होने वाले युद्ध में हमारा हथियार होंगी| उन्होंने कई कितावें भी लिखी जिनमे ऑफ द ट्रैक- सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस, इमर्जिंग डाइमेंशन्स ऑफ इंडियन इकोनॉमी, तथा चैलेंज बिफोर द नेशन प्रमुख हैं| संसद भवन के गलियारे कठोर अनुभवों के पथ पर चले उनके पदचिन्हों के गवाह रहेंगे|
प्रणब दा जैसे व्यक्तित्त्व को कलम की परिधि में बांधना संभव नहीं| वे अजातशत्रु, अनूठे व्यक्तित्त्व थे जिनके कृतित्व का प्रकाश सदैव हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा।
सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि
(विवेक के. तन्खा) [लेखक सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता
एवं मध्य प्रदेश से राज्य सभा सांसद हैं] -
भुवनेश्वर, 31 अगस्त (आईएएनएस)| ओडिशा में आई बाढ़ से 20 जिलों में 17 लोगों की मौत हो गई है, जबकि इस बाढ़ में लगभग 14 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इसकी जानकारी राज्य सरकार ने शनिवार को दी।
विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) के कार्यालय ने कहा कि कुल 112 ब्लॉक, 896 ग्राम पंचायत, 3,256 गांव, 21 शहरी स्थानीय निकाय और 75 वार्ड बाढ़ की स्थिति से प्रभावित हुए हैं।
बाढ़ से 20 जिला प्रभावित हुए हैं, जिसमें अंगुल, बालासोर, बरगढ़, भद्रक, बौध, कटक, धेनकनाल, जगतसिंहपुर, जाजपुर, झारसुगुड़ा, केंद्रपाड़ा, क्योंझर, खोर्धा, मयूरभंज, नयागढ़, नुआपाड़ा, पुरी, संबलपुर, सोनेपुर और सुंदरगढ़ शामिल है।
राज्य में आई बाढ़ के कारण 340 गांवो के लोग असहाय हो गए हैं, जबकि इससे 10,382 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 1,68,904 हेक्टेयर फसल नष्ट हो गई है।
एसआरसी कार्यालय ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में 45 डॉक्टर और 42 पशु डॉक्टर, 14 राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), 17 ओडिशा आपदा रैपिड एक्शन फोर्स (ओडीआरएएफ), 22 अग्निशमन दल और 254 नावें तैनात की गई हैं।
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वर्ष 1931 में हॉलीवुड स्टार चार्ली चैपलिन ने लंदन में ईस्ट इंडिया डॉक रोड स्थित एक छोटे से घर में महात्मा गांधी के साथ एक छोटी सी मुलाकात की थी। ठीक एक साल बाद, लॉस एंजेलिस में चार्ली चैपलिन ने हॉकी के जादूगर और भारतीय आइकन मेजर ध्यानचंद के साथ मुलाकात की। यह भारत के दो आइकनों के साथ उनकी दूसरी यादगार मुलाकात थी। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद 1932 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण जीतने के बाद ही तुरंत स्टार बन गए थे।
मेजर ध्यानचंद के बेटे और विश्व कप विजेता टीम के सदस्य अशोक ध्यानचंद सहित कई ओलंपियन ध्यानचंद को भारत देने की मांग कर चुके हैं। अशोक ने खुलासा करते हुए कहा, " चार्ली चैपलिन ओलंपिक विलेज आए थे और उन्होंने दादा (ध्यानचंद) तथा उनके टीम साथियों के साथ मुलाकात की थी। अमेरिकी मीडिया ने इसे काफी हाईलाइट किया था।"
अपने पिता के 115वीं जयंती को याद करते हुए अशोक ने कहा कि हर साल 29 अगस्त को जन्मदिन पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाकर भारत अपने हॉकी के दिग्गज का सम्मान करता है।
उन्होंने कहा, " यह न केवल हमारे परिवार के लिए बल्कि देश के सभी खेल प्रेमियों के लिए एक सम्मान है। और यह सच है कि न केवल हमारी ओर से, बल्कि भारत के लोगों ने भी ध्यानचंद के लिए भारत रत्न की मांग की है। अब यह सरकार को तय करना है। जहां तक मुझे पता है कि खेल मंत्रालय (यूपीए-2 के दौरान) ने दादा के लिए भारत रत्न की सिफारिश की थी। लेकिन फाइल पर अंतिम मंजूरी सचिन (तेंदुलकर) के लिए थी।"
अशोक ने 1975 में कुआलालम्पुर में पाकिस्तान के खिलाफ विजयी गोल करके भारत को पहला विश्व कप दिलाया था।
अशोक ने तेंदुलकर को लेकर कहा, " सचिन के लिए मेरे मन में सम्मान और प्यार है। वह भारत के अब तक के सबसे महान क्रिकेटर हैं लेकिन शीर्ष खेल इतिहासकारों का मानना है कि ध्यानचंद भारतीय उपमहाद्वीप में पैदा हुए सबसे महान खिलाड़ी थे..क्योंकि वह अपराजेय थे। एक एथलीट के लिए किसी भी खेल अनुशासन में पूरे करियर के लिए अजेय रहना, अपने आप में एक रिकॉर्ड है।"
ध्यानचंद के लिए भारत रत्न देने की मांग पर अशोक ने कहा कि उनका बेटा होने के नाते, हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस की पूर्वसंध्या पर उनसे यह सवाल पूछा जाता है। अशोक ने कहा, " अक्सर मुझे लगता है कि मुझसे भारत रत्न के बारे में क्यों पूछा जा रहा है? सरकार से सवाल पूछा जाना चाहिए। यूपीए-2 शासन के लिए यह अधिक सटीक है, जिसने दादा के लिए भारत रत्न की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन खेल मंत्री की सिफारिश का सम्मान नहीं किया गया। हालांकि, सरकार ने उनकी याद में कई पुरस्कारों की घोषणा की है। उनके नाम पर कई स्टेडियम बनाए गए हैं ..दादा के खेल में योगदान के लिए सरकार की मान्यता से मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर सरकार राष्ट्रपति भवन में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ कोच के लिए) देकर उत्कृष्ट खिलाड़ियों का सम्मान करती है।
खेलों में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए भारत का सर्वोच्च पुरस्कार-ध्यानचंद पुरस्कार है जिसे 2002 से हर साल के खेल के आंकड़ों के आधार पर सम्मानित किया जाता है जो न केवल अपने प्रदर्शन के माध्यम से योगदान करते हैं, बल्कि संन्यास के बाद भी खेल में योगदान करते हैं।
सरकार ने ध्यानचंद की याद में दिल्ली में मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम का नाम भी रखा है। भारत और विदेशों दोनों में कई सड़कों, पार्कों और खेल के मैदानों का नाम हॉकी जादूगर की याद में रखा गया है।(navjivan)
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बंगलुरू। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डॉ. सी.एन. अश्वत्तनारायण ने प्रदेश में पहली सितंबर से डिग्री महाविद्यालयों को खोले जाने की घोषणा की है।
बुधवार को बेंगलुरु में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि सभी डिग्री महाविद्यालयों में 1 सितंबर से ऑनलाइन और 1 अक्टूबर से व्यक्तिगत कक्षाओं में पढ़ाई होंगी। उन्होंने बताया कि सभी शैक्षणिक गतिविधियां इस माह सितंबर से शुरू होंगी और अक्टूबर में छात्रों के व्यक्तिगत रूप से कक्षाओं में भाग लेने की संभावना है। -
नई दिल्ली। 10वीं कक्षा पास कर चुके उम्मीदवारों के लिए रेलवे में वैकेंसी निकली है। नॉर्थ फ्रंटीयर रेलव ने एक्ट अप्रेंटिस के हजारों पदों पर भर्तियों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है और 15 सितंबर तक आवेदन भरे जा सकते हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए कोई परीक्षा नहीं ली जाएगी। न ही इंटरव्यू होगा। 10वीं और आईटीआई में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट बनेगी और पद आवंटित किए जाएंगे।
पदों की जानकारी
पद का नाम - एक्ट अप्रेंटिस
पदों की कुल संख्या - 4499
किस यूनिट में कितने पदों पर होंगी भर्तियां
कटिहार और टीडीएच वर्कशॉप - 970 पद
अलीपुरद्वार - 493 पद
रंगिया - 435 पद
लुमडिंग और एसएंडटी वर्कशॉप - 1302 पद
तिनसुकिया - 484 पद
न्यू बोंगेगांव वर्कशॉप - 539 पद
डिब्रूगढ़ वर्कशॉप - 276 पद
सामान्य व ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को 100 रुपये आवेदन शुल्क देना होगा। महिलाओं व अन्य सभी वर्गों के लिए आवेदन नि:शुल्क है। आवेदन शुल्क का भुगतान डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग या एसबीआई चालान के जरिए किया जा सकता है।
योग्यताएं- इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों का 10+2 शिक्षण प्रणाली के तहत कम से कम 50 फीसदी अंक के साथ 10वीं कक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है। आरक्षण के अनुसार अंकों में छूट का लाभ मिलेगा। इसके अलावा संबंधित ट्रेड में आईटीआई सर्टिफिकेट अनिवार्य है।
उम्मीदवारों की उम्र न्यूनतम 15 और अधिकतम 24 वर्ष होनी चाहिए। आरक्षित वर्गों को अधिकतम उम्र सीमा में छूट मिलेगी। आयु की गणना 1 जनवरी 2020 तक की जाएगी।
इच्छुक उम्मीद इस बारे में अधिक जानकारी इस लिंक से प्राप्त कर सकते हैं- https://nfr.indianrailways.gov.in/
उम्मीदवार अपने आवेदन इस पते पर ऑनलाइन भेज सकते हैं- http://rrcnfr.co.in । -
नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)| माइक्रोसॉफ्ट के प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर विंडोज 95 ने अपने 25 साल पूरे कर लिए हैं। विंडोज 95 को 24 अगस्त को कंपनी के सह-संस्थापक बिल गेट्स के द्वारा जारी किया गया था और यह इतना अधिक लोकप्रिय हुआ कि जारी होने के पहले पांच हफ्तों के भीतर ही इसकी 70 लाख कॉपियां बेच दी गईं।
माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 95 में कई फीचर्स भी शामिल किए जिनमें न्यू स्टार्ट बटन, मेन्यू और टास्कबार सबसे बेहतर रहा जिनसे ऑपरेटिंग सिस्टम को बेहद आसानी के साथ संचालित किया जाने लगा।
द वर्ज की रिपोर्ट के मुताबिक, विंडोज 3.1 और एमएस-डॉस के दिनों से सुधार के ²ष्टिकोण से इसमें एक बड़ी छलांग देखने को मिली, लेकिन इसी के साथ मॅकिन्तोश और ओएस/2 के यूजर्स के लिए इंटरफेस काफी हद तक एक सा रहा।
इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम 32-बिट होने के अलावा इसमें लंबे फाइलों के नाम को सपोर्ट करने के लिए 250 तक के कैरेक्टर्स भी शामिल किए गए।
विंडोज 95 में प्लग और प्ले के भी फीचर दिए गए जिससे हार्डवेयर की पहचान व उसे इंस्टॉल अपने आप ही किया जा सके। इसके साथ ही डेस्कटॉप पर एक खास आईकॉन के साथ नए एमएसएन ऐप को भी जोड़ा गया।
एमएसएन को डायल-अप कनेक्शन के माध्यम से ईमेल, चैट रूम, न्यूज ग्रुप और डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू के होमपेज की सुविधा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था। इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट महीने के हिसाब से एक मासिक शुल्क भी लेता था।
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नई दिल्ली। किसानों की खेती-बाड़ी से जुड़ी कठिनाईयों को सुलझाने के उपाय सुझाने और उन्हें उपयोगी जानकारियां मुहैया कराने के लिए दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विशेषज्ञ सैम पित्रोदा ने किसानों नाम से एक सूचना पोर्टल शुरू किया है। पित्रोदा ने कहा कि इस पोर्टल का काम किसानों को खेती के कामकाज और उसमें आने वाली कठिनाइयों से निपटने के उपायों की सूचनाएं उपलब्ध कराना है। पित्रोदा संप्रग सरकार के समय गठित राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष थे।
पोर्टल के संयोजक कृष्ण कांत ने रविवार को बताया कि भारत में दूरसंचार एवं सूचना क्रांति के जनक माने जाने वाले पित्रोदा किसानों पोर्टल में संस्थापक के रूप में जुड़े हैं। वह शिकागो (अमेरिका) से वीडयों कांफ्रेंसिंग ऐप जूम मीटिंग के माध्यम से उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए। कृष्ण कान्त ने इस पहल का मकसद किसानों को अच्छी गुणवत्ता की खाद, बीज, कीटनाशक और कृषि यंत्र बाजार से कुछ सस्ते दामों पर हासिल करने में मदद करना तथा फसल के लिए ऋण और बीमा में आने वाली कठिनाइयां का समाधान प्रस्तुत करना है।उन्हें फसल को अच्छे से अच्छे दाम पर बेचने के रास्ते बताए जा सकते हैं और अच्छी पैदावार के लिए विशेषज्ञों की सही सलाह उपलब्ध कराई जा सकती है। पित्रोदा ने कहा कि सारी जानकारी किसानों को उनके मोबाइल फोन पर दी जाएगी। -
नई दिल्ली. बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर यह अफवाह तेजी से फैल रही है कि भारत सरकार (Government of India) के दूससंचार विभाग (Department of Telecom) की नई योजना आई है. इसके तहत भारत सरकार का दूससंचार विभाग अलग-अलग स्थानों पर मोबाइल टावर लगाने के लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) दे रहा है. लेकिन ये दावा झूठा है. यह बात पीआईबी फैक्ट चेक (PIB Fact Check) ने कही है और दूससंचार विभाग की मोबाइल टावर लगाने के लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देने की बात को झूठ करार दिया है. आपको बता दें कि बता दें कि सरकार से जुड़ी कोई खबर सच है या फर्जी, यह जानने के लिए PIB Fact Check की मदद ली जा सकती है. कोई भी PIB Fact Check को संदेहात्मक खबर का स्क्रीनशॉट, ट्वीट, फेसबुक पोस्ट या यूआरएल वॉट्सऐप नंबर 918799711259 पर भेज सकता है या फिर pibfactcheck@gmail.com पर मेल कर सकता है.
भूलकर भी न करें ये गलती, हो सकता है बड़ा नुकसान- अगर आपके पास भी अगर ऐसी खबर मैसेज या किसी दूसरे रुप में आती है और इसके लिए लिंक पर क्लिक करके फॉर्म भरने के लिए कहा जाता है, तो फॉर्म को भरकर अपनी कोई जानकारी बिल्कुल न दें. इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ अगर किसी तरह के शुल्क या पैसे की बात मांग की जाती है, तो इससे भी बचें, आप फ्रॉड का शिकार हो सकते हैं.
PIB Fact Check ने ट्वीट के जरिए कहा है कि ऐसी अफवाह है कि दूससंचार विभाग अलग-अलग स्थानों पर मोबाइल टावर लगाने के लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे रहा है. पीआईबी फैक्ट चेक ने इस पर बताया कि यह दावा बिल्कुल झूठ है और दूससंचार विभाग ऐसे कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं करता है. इसलिए ऐसी अफवाहों और जालसाजों से दूर रहें.(news18)
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चंडीगढ़. पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब में 80 साल की एक बुजुर्ग खाली मैदान में ईटों के बीच बहुत खराब हालत में मिली है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, महिला को गुज्जर रोड पर मिट्टी के गारे से बनी दो-दो फुट की दीवारों के ऊपर प्लाई के टुकड़ों के बीच से रेस्क्यू किया गया है. महिला के शरीर पर पूरे कपड़े भी नहीं थे. उसके सिर पर कीड़े रेंग रहे थे. किसी राहगीर ने महिला को इस हाल में देखा, तो इसकी सूचना समाज सेवी संस्था सालासर सेवा सोसायटी को दी. समाज सेवी संस्था ने ही पुलिस की मदद से महिला को सरकारी अस्पताल में दाखिल करवाया. हालांकि, कुछ भर्ती होने के कुछ वक्त बाद ही महिला ने दम तोड़ दिया.
बताया जा रहा है कि महिला के दो बेटे हैं. एक बेटा अधिकारी है और दूसरा नेता. साथ में पोती भी पीसीएस अधिकारी है. लेकिन, बेटों ने मां को इस हालत में अकेला छोड़ दिया था.
अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा महिला का चेकअप किया गया, तो उसके सिर में कीड़े पड़े हुए थे. महिला को सांस लेने में बहुत दिक्कत हो रही थी और हालात बहुत नाजुक थी. बेटे को जब मां के हालत की जानकारी मिली, तो वह पहुंचे और मां को दूसरे अस्पताल में दाखिल करवाया. जहां बूढ़ी महिला की मौत हो गई.
इस मामले को लेकर एएसाई दिलबाग सिंह ने बताया कि जांच के दौरान पता चला है कि बुजुर्ग महिला सोढियों का आरा कोटली रोड की रहने वाली थी. बताया जा रहा है कि बच्चों ने महिला की देखभाल के लिए किसी को कहा था. वह हर महीने देखभाल के लिए पैसे लेता था, लेकिन देखभाल करने वालों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी. महिला को परिवार का भी साथ नहीं मिला. जिससे उसकी हालत बदतर होती गई. जिला उपायुक्त ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.(news18)
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नई दिल्ली। रेलवे देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों के औद्योगिक क्षेत्रों को दक्षिण भारत से जोड़ने के लिए करीब 4,000 किलोमीटर के प्रतिबद्ध मालढुलाई गलियारों (डीएफसी) का निर्माण करेगा। इसमें देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों को दक्षिण भारत के साथ ओड़िशा और आंध्र प्रदेश के प्रमुख बंदरगाहों के जरिये जोड़ा जाएगा। इन गलियारों पर एक दस्तावेज से यह जानकारी मिली है। प्रस्तावित डीएफसी रेलवे की अगली बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का हिस्सा हैं इनमें खड़गपुर (प. बंगाल) से विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) को जोड़ने वाला 1,115 किलोमीटर का पूर्वी तटीय गलियारा, भुसावल-नागपुर-खड़गपुर-दानकुनी (कोलकाता के पास) मार्ग को जोड़ने वाला 1,673 किलोमीटर का पूर्व-पश्चिम गलियारा और 195 किलोमीटर का राजखर्सवान-कालीपहाड़ी-अंडल (प. बंगाल) को जोड़ने वाला गलियारा शामिल हैं। तीसरा 975 किलोमीटर का उत्तर दक्षिण उप गलियारा है। यह विजयवाड़ा-नागपुर-इटारसी (मध्य प्रदेश) मार्ग को जोड़ेगा। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि़ (डीएफसीसीआईएल) जल्द इन गलियारों के सर्वे का काम शुरू करेगी। वह इस प्रक्रिया को एक साल में पूरा करेगी। ये गलियारे ओड़िशा के पारादीप, धामरा, गोपालपुर बंदरगाहों तथा आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम, गंगावरम, काकीनाडा, कृष्णापत्तनम और मछलीपत्तनम बंदरगाहों को संपर्क उपलब्ध कराएंगे। इनसे माल की ढुलाई तेज हो सकेगी और रेलवे नेटवर्क की क्षमता बढ़ सकेगी।
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नई दिल्ली। कृषि मंत्रालय ने कहा है कि जैविक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैविक खेती को खुदरा के साथ-साथ थोक खरीदारों के साथ किसानों को सीधे जोडऩे के लिए सुदृढ़ किया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 महामारी से पीडि़त दुनिया में, स्वस्थ और सुरक्षित भोजन की मांग पहले से बढ़ रही है और इसलिए यह किसानों, उपभोक्ताओं और पर्यावरण तीनों के लिए लाभ की स्थिति हो, इस बात को भुनाने के लिए एक उपयुक्त मौका है।
मंत्रालय ने कहा कि मंडियों में भीड़भाड़ को कम करने के लिए प्रत्यक्ष विपणन का समर्थन करने के संबंध में जारी परामर्श के कारण कई राज्यों ने कानून में संशोधन किए हैं और आदेश जारी किए हैं जिससे किसानों के लिए बाजार के विकल्प बढ़ गए हैं। बयान में कहा गया है लॉजिस्टिक्स में व्यवधान, नियमित बाजारों तक पहुंच, मांग में कमी, राज्यों की संख्या और संकुल के कारण उत्पन्न बाधाओं के भीतर काम करना, इस संकट को एक अवसर में बदल देता है। उदाहरण के लिए, कोहिमा के ग्रीन कारावन ने नगालैंड के सभी गांवों से लेकर सब्जियों, हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित जिंसों के लिए शहरी क्षेत्रों के साथ बाजार संपर्क बनाए हैं। बयान में कहा गया है कि इसके अलावा, मणिपुर ऑर्गेनिक एजेंसी (एमओएमए) ने मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (एमओवीसीडी) के सभी 15 किसान उत्पादक केंद्रों को एकत्रित कर उन्हें किसानों के खाद्य उत्पादों का संग्रहण करने और उन्हें इम्फाल में संजेंथोंग और चिंगमेइरॉन्ग में के दो जैविक थोक केंद्रों तक पहुंचाने के लिए जुटाया है जहां से आगे उपभोक्ताओं तक इन्हें भेजा जा सके। -
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बुधवार को कहा कि स्वदेशी का अर्थ जरूरी नहीं कि सभी विदेशी उत्पादों का बहिष्कार किया जाए. उन्होंने कहा कि केवल ऐसी प्रौद्योगिकी या उत्पादों का आयात किया जाए जिसकी देश में पारंपरिक रूप से कमी है या स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं है.
कोविड-19 के मद्देनजर आत्मनिर्भरता और स्वदेशी की प्रासंगिकता का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि महामारी ने स्पष्ट कर दिया है कि वैश्विकरण के वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हुए हैं और एक आर्थिक मॉडल सभी जगहों पर लागू नहीं होता है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद देश की जरूरतों के अनुरूप आर्थिक नीति नहीं बनी और दुनिया एवं कोविड-19 के अनुभवों से स्पष्ट है कि विकास का एक नया मूल्य आधारित मॉडल आना चाहिए.
भागवत ने डिजिटल माध्यम से प्रो. राजेन्द्र गुप्ता की दो किताबों का लोकार्पण करते हुए दुनिया को एक बाजार की बजाए एक परिवार समझने और आत्मनिर्भरता के साथ सद्भावनापूर्ण सहयोग की जरूरत को रेखांकित किया. भाजपा नीत राजग सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान का समर्थन करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि स्वदेशी का अर्थ देशी उत्पादों और प्रौद्योगिकी को प्राथमिकता देना है लेकिन इसका मतलब सभी विदेशी उत्पादों का बहिष्कार नहीं है.
'हमें इस बात पर निर्भर नहीं होना है कि विदेश से क्या आता है'
उन्होंने कहा कि केवल ऐसी प्रौद्योगिकी या सामग्रियों का आयात किया जाए जिसकी देश में पारंपरिक रूप से कमी है या स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा , ‘‘हमें इस बात पर निर्भर नहीं होना चाहिए कि हमारे पास विदेश से क्या आता है, और यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें अपनी शर्तों पर करना चाहिए. ’’ उन्होंने कहा कि विदेशों में जो कुछ है, जरूरी नहीं कि उन सभी का बहिष्कार करना है लेकिन अपनी शर्तो पर लेना है.
भागवत ने कहा कि ज्ञान के बारे में दुनिया से अच्छे विचार आने चाहिए. उन्होंने कहा कि अपने लोगों, अपने ज्ञान, अपनी क्षमता पर विश्वास रखने वाला समाज, व्यवस्था और शासन चाहिए. सरसंघचालक ने कहा कि भौतिकतावाद, जड़वाद और उसकी तार्किक परिणति के कारण व्यक्तिवाद और उपभोक्तावाद जैसी बातें आई. ऐसा विचार आया कि दुनिया को एक वैश्विक बाजार बनना चाहिए और इसके आधार पर विकास की व्यख्या की गई. उन्होंने कहा कि इसके फलस्वरूप विकास के दो तरह के मॉडल आए. इसमें एक कहता है कि मनुष्य की सत्ता है और दूसरा कहता है कि समाज की सत्ता है.
जैसी आर्थिक नीति बननी चाहिए थी, वैसी नहीं बनी- भागवत
भागवत ने कहा, 'इन दोनों से दुनिया को सुख प्राप्त नहीं हुआ. यह अनुभव दुनिया को धीरे धीरे हुआ और कोविड-19 के समय यह बात प्रमुखता से आई. अब विकास का तीसरा विचार (मॉडल) आना चाहिए जो मूल्यों पर आधारित हो.' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की बात इसी दृष्टि से कही है.
सरसंघचालक ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद जैसी आर्थिक नीति बननी चाहिए थी, वैसी नहीं बनी. आजादी के बाद ऐसा माना ही नहीं गया कि हम लोग कुछ कर सकते हैं. अच्छा हुआ कि अब शुरू हो गया है. ’’ सरसंघचालक ने कहा कि आजादी के बाद रूस से पंचवर्षीय योजना ली गई , पश्चिमी देशों का अनुकरण किया गया. लेकिन अपने लोगों के ज्ञान और क्षमता की ओर नहीं देखा गया. उन्होंने कहा कि अपने देश में उपलब्ध अनुभव आधारित ज्ञान को बढ़ावा देने की जरूरत है.(news18)
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आत्मनिर्भर भारत की मुहिम में जेएसपीएल का बड़ा योगदान और उल्लेखनीय कदम
रायपुर/रायगढ़ । नवीन जिन्दल के नेतृत्व वाली कंपनी जिन्दल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) ने पुनः भारत माता का सिर गर्व से ऊंचा किया है। कंपनी के रायगढ़ प्लांट में तैयार हेड हार्डेंड रेल, जो कि हाई स्पीड रेलों के लिए होती है, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित हुई है। कोलकाता की जोको-एसप्लैनेड मेट्रो में ये स्वदेशी पटरियां बिछाई जाएंगी जिसकी पहली खेप रायगढ़ प्लांट से वहां पहुंच चुकी है। इसके साथ ही भारत में तेज रफ्तार मेट्रो ट्रेन और मोनो रेल को स्वदेशी पटरियों पर दौड़ाने का नया अध्याय शुरू हो गया है।
जेएसपीएल, छत्तीसगढ़ के सीओओ डीके सरावगी ने बताया कि भारत में जिन्दल स्टील एंड पावर लिमिटेड एकमात्र कंपनी है, जिसके छत्तीसगढ़ स्थित रायगढ़ प्लांट में हेड हार्डेंड रेल का उत्पादन होता है। अभी तक जितनी भी मेट्रो लाइनें तैयार हुई हैं, उनमें जापान और यूरोप से लाई गईं हेड हार्डेंड रेल का इस्तेमाल हुआ है। इन पटरियों पर 250 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गाड़ियां दौड़ेंगी क्योंकि रायगढ़ प्लांट में इन्हें विशेष तरीके से तैयार किया गया है। आम रेल की पटरियों के मुकाबले ये पटरियां बहुत मजबूत होती हैं। जोको-एस्प्लैनेड मेट्रो में जेएसपीएल द्वारा तैयार 1080 ग्रेड हेड हार्डेंड रेल पटरियां बिछाई जा रही हैं, जिन्हें तैयार करने में अतिरिक्त हीट ट्रीटमेंट प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है। देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में यह जेएसपीएल का बड़ा कदम है।
अब भारत में हेड हार्डेंड रेल की 20 फीसदी जरूरतों की आपूर्ति स्वदेशी स्रोतों से होगी, जो जेएसपीएल के लिए एक बड़ा अवसर है। श्री सरावगी ने विश्वास दिलाते हुए कहा कि हेड हार्डेंड रेल की जरूरत पूरी करने के लिए जेएसपीएल हर तरीके से तैयार है।
रेल विकास निगम (आर.वी.एन.एल.) ने जेएसपीएल की हेड हार्डेंड रेल का चयन अंतरराष्ट्रीय मानकों पर कसने के बाद कड़ी नीलामी प्रक्रिया से किया है। रिसर्च डिजायन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आर.डी.एस.ओ.) और रेल इंडिया टेकनिकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (आर.आई.टी.ई.एस.) ने जेएसपीएल की रेल का अंतरराष्ट्रीय मानकों पर हर तरीके से सफलतापूर्वक परीक्षण किया है और अपनी स्वीकृति दी है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के लिहाज से यह बड़ी उपलब्धि है क्योंकि देश में ही इन पटरियों के निर्माण से न सिर्फ लागत में कमी आएगी बल्कि इनका परिवहन भी कम खर्चे और कम समय में किया जा सकेगा। इसके साथ ही विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।
जेएसपीएल, छत्तीसगढ़ के सीओओ डीके सरावगी ने इस सफलता के लिए चेयरमैन नवीन जिन्दल, प्रबंध निदेशक वी.आर. शर्मा और शीर्ष प्रबंधन की ओर से पूरी टीम को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। जेएसपीएल के प्रेसिडेंट एवं रेल एसबीयू हेड श्री विजय कुमार चामा ने जेएसपीएल के उत्पाद में विश्वास जताने के लिए रेल विकास निगम के प्रति आभार जताया है। जेएसपीएल अभी 3000 टन हेड हार्डेंड रेल की आपूर्ति कोलकाता मेट्रो को कर रही है। फिलहाल ये पटरियां कोलकाता मेट्रो के जोको से मोमिनपुर तक बिछाई जाएंगी। जेएसपीएल राष्ट्र निर्माण का यह क्रम जारी रखेगी। -
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)| कोरोना महामारी के संकट काल में गांवों में दिहाड़ी मजदूरों के लिए मनरेगा एक बड़ा सहारा बन गया है। केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई में मनरेगा के तहत लोगों को पिछले साल के मुकाबले 114 फीसदी ज्यादा काम मिला है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगाद्ध) के तहत गांवों में लोगों को मिल रहे काम के इस आंकड़े में मई से लगातार इजाफा हो रहा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत संचालित रोजगार की इस स्कीम के तहत बीते महीने मई में पिछले साल के मुकाबले लोगों को 73 फीसदी ज्यादा काम मिला जबकि जून में 92 फीसदी और जुलाई में 114 फीसदी ज्यादा काम मिला है।
दरअसल, कोरोना काल में महानगरों से प्रवासी मजदूरों के पलायन के बाद गांवों में उनके लिए रोजी-रोटी का साधन मुहैया करवाने के मकसद से सरकार ने भी मनरेगा पर विशेष जोर दिया और पहले इस योजना के तहत दिहाड़ी मजदूरी की दर 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये रोजाना कर दी और बाद में इसका बजट भी 40,000 करोड़ रुपये बढ़ा दिया।
चालू वित्त वर्ष 2020-21 में मनरेगा का बजटीय आवंटन 61,500 करोड़ रुपये था और कोरोना काल में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में मनरेगा के लिए 40,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया।
मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसारए मनरेगा के तहत चालू महीने जुलाई में देशभर में औसतन 2.26 करोड़ लोगों को काम मिला जोकि पिछले साल के मुकाबले 114 फीसदी अधिक है जबकि इसी महीने में औसतन 1.05 करोड़ लोगों को रोजाना काम मिला था।
इससे पहले जून में औसतन 3.35 करोड़ लोगों को रोजाना काम मिला जोकि पिछले साल जून के 1.74 करोड़ के मुकाबले 92 फीसदी अधिक है। वहीं, इस साल मई में औसतन 2.51 करोड़ लोगों को मनरेगा के तहत रोजाना काम मिला जोकि पिछले साल जून के आंकड़े 1.45 करोड़ से 73 फीसदी अधिक है।
आंकड़ों के अनुसार, मनरेगा के तहत 1.86 लाख ग्राम पंचायतों में 30 जुलाई तक लोगों को काम मिला है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, मनरेगा के तहत 30 जुलाई तक 9.24 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं और 29 जुलाई तक इस स्कीम के तहत कुल 50,780 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 30 जुलाई तक 157.89 करोड़ मानव दिवस यानी पर्सन डेज सृजित हुए हैं जबकि बीते वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 265.35 पर्सन डेज सृजित हुए थे।
मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में काम करने के इच्छुक लोगों को साल में 100 दिन रोजगार की गारंटी दी जाती है।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (नरेगा) नाम से 2006 में कांग्रेस के शासन काल में शुरू हुई इस योजना का नाम 2009 में बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया।
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वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए कोयले की नीलामी प्रक्रिया से संबंधित एक अहम अधिसूचना कोयला मंत्रालय ने 21 जुलाई को जारी की है जिसमें महाराष्ट्र के टडोबा अंधारी टाइगर रिज़र्व की सीमा में मौजूद बेंडर कोल ब्लॉक को नीलामी प्रक्रिया से बाहर किया गया है।
18 जून 2020 को चार राज्यों की 41 कोयला खदानों को वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए नीलामी प्रक्रिया में शामिल किया गया था। इस नीलामी प्रक्रिया को आधिकारिक व औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में शुरू किया गया था। उस दिन यह तय हुआ कि 18 अगस्त तक निविदाएंं आमंत्रित की जाएंगी।
नीलामी के लिए प्रस्तावित कोयला खदानों की विस्तृत सूची ज़ाहिर हो जाने के बाद बाद से ही बेंडर कोयला खदान को लेकर महाराष्ट्र में विरोध के स्वर मुखर हो गए थे। न केवल पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने बल्कि स्वयं राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने 1644 वर्ग हेक्टेयर के इस संवेदनशील क्षेत्र को संरक्षित किए जाने और टडोबा अंधारी टाइगर रिज़र्व (टीएआरआर) जैसे ईको-सेंसिटिव ज़ोन में कोयला खदान शुरू न करने के लिए देश के पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर को पत्र लिखा था।
उल्लेखनीय है कि इस कोयला खदान को 2009 व 2019 में भी खनन के लिए प्रस्तावित किया जाता रहा है। हर बार इसके खिलाफ पर्यावरणविदों ने आपत्तियां दर्ज़ की हैं। सत्ता में रही राज्य की तत्कालीन सरकारों ने भी इस पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र को बचाए जाने की भरसक कोशिश की है।
महाराष्ट्र के लिए और देश के तमाम ऐसे लोगों के लिए ये राहत की ख़बर है कि इस ‘ईको सेंसिटिव ज़ोन’ को चंद पूंजीपतियों के मुनाफे से ज़्यादा अहमियत दी गई।
कमर्शियल उद्देश्य के लिए नीलामी प्रक्रिया में शामिल किए गए कॉल ब्लॉक्स को लेकर छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने भी गंभीर आपत्तियां जताईं थीं। झारखंड सरकार तो इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय भी पहुंची जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से जवाब मांगा है।
ठीक ऐसी ही उम्मीद थी कि छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के सघन, जैव विविधतता से भरपूर, कितनी ही प्रजातियों के वन्य जीवों के प्राकृतिक पर्यावास, उत्तर भारत में मानसून की दशा दिशा निर्धारित करने वाले प्राकृतिक जंगल और परिस्थितिकी तंत्र के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र में मौजूद कोल ब्लॉक्स को भी इस सूची से बाहर किया जाएगा। जहां 2015 से निरंतर इन कोयला खदानों का विरोध हो रहा है।
18 जून 2020 के बाद के घटनाक्रम और बल्कि कमर्शियल कोल माइनिंग की घोषणा के बाद से ही हसदेव अरण्य के क्षेत्र से ग्राम सभाओं और राज्य भर के जन संगठनों की ओर से भारत सरकार को चेताया जाता रहा है कि इस अति संवेदनशील जंगल का संरक्षण किया जाना चाहिए न कि इसे चंद पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए बर्बाद किया जाना चाहिए।
ग्राम सभाओं, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के विरोध को राज्य की सरकार ने भी समर्थन दिया और 22 जून 2020 को राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने केंद्रीय कोयाला मंत्री प्रहलाद जोशी को एक विस्तृत पत्र लिखकर इस बाबत गुजारिश की कि इस जंगल में मौजूद कोयला खदानों को नीलामी प्रक्रिया से बाहर किया जाये।
मोहम्मद अकबर ने देश के वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन के मंत्री प्रकाश जावडेकर को भेजा है और इसमें लेमरू हाथी अभयारण्य का क्षेत्रफल बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले से अवगत कराया है।इस पत्र के बाद फायनेंशियल एक्सप्रेस में 1 जुलाई 2020 को अनुपम चटर्जी ने, 2 जुलाई को टाइम्स ऑफ इंडिया में विजय पींजकर ने और पत्रिका रायपुर ने इस संबंध में खबरें दीं जिनमें बताया गया कि हसदेव अरण्य के चार कोल ब्लॉक्स को बाहर करना तय किया गया है।
इसके पीछे के कारणों को अलग-अलग ढंग से बताया गया। फायनेंशियल एक्सप्रेस ने जहां बताया कि इन चार कोल ब्लॉक्स की भंडारण क्षमता कम है इसलिए इनके स्थान पर ज़्यादा क्षमता के कोल ब्लॉक्स शामिल किए जाएंगे ताकि निवेशको की रुचि बढ़े। एक खबर में कारण मोहम्मद अकबर के पत्र और राज्य सरकार कि चिंताओं को तरजीह दिये जाने के भी बताए गए।
हालांकि ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं ने इस खबर को अपुष्ट बताते हुए इस पर कोई तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं दी और आधिकारिक अधिसूचना का इंतज़ार किया।
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से नजदीक से जुड़े और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने बताया, “हम अफवाहों के आधार पर या चलते फिरते कोयला मंत्री के किसी बयान के आधार पर यह नहीं मान सकते कि वाकई इन कोल ब्लॉक्स को नीलामी प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। इसके अलावा हमारी आपत्ति केवल इन कोल ब्लॉक्स को शामिल किए जाने को लेकर नहीं हैं बल्कि कमर्शियल कोल माइनिंग की पूरी अवधारणा को लेकर है। कोयले की जरूरत के बिना उसकी नीलामी की शर्तों को शिथिल करते हुए, राज्यों की शक्तियों को धता बताते हुए केंद्र सरकार ने जो निर्णय लिए हैं, उन्हें लेकर है”।
21 जुलाई की अधिसूचना ने जैसे इन अटकलों और अफवाहों पर कुछ समय के लिए विराम लगा दिया। इस अधिसूचना में हसदेव अरण्य के क्षेत्र में मौजूद कॉल ब्लॉक्स को लेकर कोई बात नहीं हुई है। यह महज़ वेंडर कॉल ब्लॉक के लिए ही जारी हुई।
इसका पूर्वानुमान प्रह्लाद जोशी के 29 जून 2020 के उस पत्र से भी हो रहा था जो उन्होंने मोहम्मद अकबर के पत्र के जबाव में लिखा था। उन्होंने लिखा था कि हम इस विषय में ‘जांच पड़ताल’ कर रहे हैं।
इस नीलामी प्रक्रिया को लेकर जो आपत्तियां आईं हैं उनमें कुछ तर्क प्रमुखता से उभर कर आए हैं मसलन, यह पूरी प्रक्रिया कोयला जैसे राष्ट्रीय संपदा पर केवल केंद्र सरकार ही निर्णय ले रही है जो भारतीय गणराज्य के संघीय ढांचे पर और राज्यों की शक्तियों पर बड़ा सवाल है। दूसरा इसमें राज्यों को भरोसे में नहीं लिया गया है, स्थानीय सरकारों यानी ग्राम सभाओं (विशेष रूप से पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में) को नज़रअंदाज़ किया गया है। पर राज्यों की सरकारों का नियंत्रण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय 2014 के स्पष्ट आदेश का खुला उल्लंघन है भी सतह पर आया।
इसके जवाब में प्रह्लाद जोशी के हवाले से यह भी कहा गया कि कोयला मंत्रालय ने राज्य सरकारों के साथ 8 बैठकें की हैं। इसलिए इन आरोपों में कोई बल नहीं है कि प्रक्रिया का पालन ठीक से नहीं किया गया। हालांकि ऐसी किसी एक भी बैठक का विवरण जन सामान्य के लिए मौजूद नहीं है। स्वयं राज्य सरकारें इस बात से अवगत नहीं हैं। अगर ऐसा वाकई हुआ होता तो झारखंड सरकार स्वयं सुप्रीम कोर्ट में इस नीलामी प्रक्रिया के खिलाफ याचिका दायर क्यों करती?
ऐसे कई अनुत्तरित सवाल हैं जिससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार किस तरह से अपारदर्शी ढंग से काम कर रही है।
खबरें यह भी आईं कि छत्तीसगढ़ की सरकार पहले से ही प्रस्तावित लेमरू हाथी अभयारण्य की चौहद्दी बढ़ाने का फैसला ले चुकी है। इसके बावत भी एक पत्र मोहम्मद अकबर ने देश के वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन के मंत्री प्रकाश जावडेकर को भेजा है और इसमें लेमरू हाथी अभयारण्य का क्षेत्रफल बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले से अवगत कराया है।
इस पत्र के बावत हालांकि कोई प्रतिक्रिया अभी प्रकाश जावड़ेकर के दफ्तर से सामने नहीं आई है।
महाराष्ट्र के एक कोल ब्लॉक को जिन आधारों पर नीलामी प्रक्रिया से बाहर किया गया है, ठीक उन्हीं आधारों पर छत्तीसगढ़ के कोल ब्लॉक्स को क्यों बाहर नहीं किया गया यह समझ से परे है। क्या मामला एक कोल ब्लॉक और चार कोल ब्लॉक्स की तादाद को लेकर है? या इसके पीछे महाराष्ट्र में अपने से जुदा हुए सबसे पुराने सहयोगी का सार्वजनिक तौर पर मान रखने को लेकर है? कहा तो यह भी जा रहा है कि कोयला खदानों पर भी अंतिम निर्णय अब कोयला मंत्रालय या प्रधानमंत्री कार्यालय की बजाय नागपुर से ही हो रहा है। यह भी आज के न्यू इंडिया में स्थापित तथ्य हो गया है कि छत्तीसगढ़ की कोयला खदानें किस अंतरंगी मित्र को जाने वाली हैं यह पहले से निर्धारित है और उसके खिलाफ केंद्र सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही नतमस्तक है जबकि महाराष्ट्र में बेन्डर की खदान किसे जाने वाली थी इसे लेकर बहुत स्पष्टता नहीं थी।
बहरहाल, 18 अगस्त को होने वाली बिडिंग में यह तस्वीर भी साफ हो जाएगी लेकिन इस कदम से छत्तीसगढ़ में एक असंतोष पैदा हुआ है। अब भी राज्य सरकार के पास करने को बहुत कुछ है लेकिन वह अपने समृद्ध जंगल और उसमें निवासरत आदिवासी समुदायों को बचाने के लिए कितनी गंभीर है, यह आने वाले समय में पता लग पाएगा।(downtoearth)
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शरीर दर्द से मिलेगा आराम
दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिनको अपनी जॉब में लगातार आठ से नौ घंटे तक बैठना पड़ता है. लॉकडाउन में कई क्षेत्र के लोगों के ऊपर वर्क लोड ज्यादा होने की वजह से उनको और भी ज्यादा समय तक बैठकर काम करना पड़ रहा है. ऐसे में उनके शरीर में दर्द होना शुरू हो जाता है. समस्या बढ़ने पर बॉडी पॉश्चर (Body posture) भी बिगड़ सकता है. ऐसे में उनको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोग पीठ दर्द, कमर दर्द, गर्दन में दर्द जैसी समस्या से जूझने लगते हैं. जो लोग डेस्क वर्क करते हैं आज हम उनके लिए कुछ स्ट्रेचिंग टिप्स बता रहे हैं, जिसको वो ऑफिस में ही कर सकते हैं...
स्ट्रेचिंग के फायदे यहां समझें
ऑफिस में सिटिंग जॉब करने वालों को एक्सरसाइज से भी काफी मदद मिलती है, लेकिन हर कोई जिम नहीं जा सकता. इसके लिए बहुत सारे लोग सुबह बिस्तर पर स्ट्रेचिंग करते हैं. स्ट्रेचिंग के अपने कुछ फायदे हैं, जिनके बारे में हर कोई नहीं जानता. स्ट्रेचिंग करने से वर्क आउट की तरह जोड़ों और मसल्स का ब्लड फ्लो बढ़ता है. विभिन्न मसल्स में खिंचाव के बाद शरीर आमतौर पर बेहतर महसूस करता है. इसलिए धीरे-धीरे स्ट्रेच करें, नहीं तो मसल्स में खिंचाव आ सकता है. गर्दन, पीठ, कंधों, हिप्स की अकड़न ध्यान में रखते हुए हम आपको फ्लेग्जिबिलिटी स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज बता रहे हैं. इनको करने से आपको कुछ ही समय में आराम मिलेगा.
1. वन आर्म हग
इस स्ट्रेच को करते समय दायां हाथ आगे से बाएं कंधे पर रखें. इसके बाद अधिक खिंचाव के लिए बाएं हाथ से दाएं हाथ की कोहनी को पीछे की ओर धकेलें. इससे हाथ और शोल्डर पर स्ट्रेच आएगा. इस स्ट्रेच को दोनों हाथों से 30-30 सेकेंड के लिए 2-3 बाार करें.
2. शोल्डर श्रग
कंधे और गर्दन टाइपिंग क्लिकिंग और स्क्रंचिंग से अधिक स्ट्रेस और टेंशन में आ जाते हैं. उन्हें लूज करने के लिए बैठे-बैठे शोल्डर श्रग करना अच्छा ऑपशन हो सकता है. इसे करने के लिए कुर्सी पर बैठकर कंधों को ऊपर उठाते हुए कानों के पास ले जाने की कोशिश करें और 30 सेकेंड के लिए होल्ड करें. फिर नॉर्मल स्थिति में आएं. ऐसे 2-3 बार करें. लंबे समय तक टाइपिंग या अन्य काम करने के बाद यह स्ट्रेच काफी रिलेक्स फील कराता है.
3. नेक स्ट्रेच
यदि काम करते-करते आपकी गर्दन भी टाइट हो जाती है, तो इसके लिए नेक स्ट्रेचिंग करनी चाहिए. क्योंकि गर्दन में टेंशन के कारण सिरदर्द और अपर बैक में स्ट्रेस आने लगता है. कई लोग कंप्यूटर पर काम करते समय सिर को आगे की ओर झुकाते हैं, जिससे गर्दन के मसल्स पर अधिक लोड पड़ता है. नेक स्ट्रेच करने के लिए कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने दाहिने हाथ से सिर को पहले दायी तरफ स्ट्रेच करें, फिर बाएं हाथ से बाईं ओर. इसके बाद दोनों हाथों को हल्के से सिर पर रखकर गर्दन को आगे की ओर झुकाएं. अब ठोड़ी से हल्का दवाब देते हुए ऊपर की ओर स्ट्रेच करें.
4. चेयर बैक स्ट्रेच
इस स्ट्रेचिंग से बैक मसल्स लूज होंगे. इसे करने के लिए घर या ऑफिस में बैक सपोर्ट वाली चेयर पर बैठें. अब दोनों हाथ पीछे की ओर ले जाकर आपस में पकड़ लें या एक साइड हवा में रखें. अब पीठ मोड़ते हुए छाती को आगे की ओर बढ़ाएं. स्ट्रेच को 30 सेकेंड तक करें और 5 बार दोहराएं.
5. सीटेड लेट स्ट्रेच
लेट्स मसल्स को स्ट्रेच करने के लिए यह अच्छी स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज है. इसे करने के लिए सिर के ऊपर एक हाथ बढ़ाएं और विपरीत हाथ की दिशा में अपने शरीर को थोड़ा सा मोड़ें.चाहें तो विपरीत हाथ से अपनी कलाई को पकड़ें एवं गहरी सांस लेकर भी स्ट्रेच कर सकते हैं इससे अधिक स्ट्रेच आएगा. 30 सेकेंड तक इस स्थिति को होल्ड करें और 3-5 बार दोहराएं.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)(news18)
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महाराष्ट्र में अंडर ग्रेजुएट B.Sc एग्रीकल्चर के छात्रों की मार्कशीट में ‘COVID PROMOTED’ लिखा गया है. जिसके बाद महाराष्ट्र में एक नया विवाद खड़ा हो गया है. छात्रों और राजनीतिक दलों की नाराज प्रतिक्रिया के बाद, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री दादाजी भूसे ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर, महाराष्ट्र में कृषि विश्वविद्यालयों ने पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों की परीक्षा रद्द करने का फैसला किया था. जिसके बाद छात्रों को जो मार्कशीट दी गई उस पर ‘COVID PROMOTED’ लिखा गया है.एक छात्र ने बताया, कोरोना वायरस के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई थी. इसमें हमारी कोई गलती नहीं है, वहीं मार्कशीट में ‘COVID PROMOTED’ लिखना, हमारा करियर खराब कर सकता है.
वहीं अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है. भारतीय समाज पार्टी (BJP) के नेता आशीष शेलार ने राज्य सरकार के प्रदर्शन को ‘खराब’ करार दिया. उन्होंने कहा मार्कशीट पर ‘COVID PROMOTED’ लिखना छात्रों के लिए बहुत गलत है.वहीं अब महाराष्ट्र के कृषि मंत्री दादाजी भूसे ने “कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों की मार्कशीट पर कोविद -19 के उल्लेख के मामले को गंभीरता से लिया गया है.
इस संबंध में, महाराष्ट्र कृषि शिक्षा और अनुसंधान परिषद को उन लोगों के खिलाफ जांच करने और कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है जिन्होंने ये लिखने का आदेश दिया था.
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नई दिल्ली,15 जुलाई। सीबीएसई 10वीं रिजल्ट आज cbse.nic.in , cbseresults.nic.in और results.nic.in पर जारी होगा। बताया जा रहा है कि रिजल्ट 10 से 12 बजे के बीच कभी भी जारी हो सकते हैं। छात्र-छात्राएं अपना रिजल्ट सीबीएसई की वेबसाइट के अलावा उमंग ऐप और डिजिलॉकर ( digilocker.gov.in ) ऐप से भी चेक कर सकेंगे। 10वीं के करीब 18 लाख छात्र-छात्राएं परीक्षा परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मंगलवार की सुबह से ही परिणाम जारी होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन मंगलवार को परीक्षा परिणाम जारी होने की खबर का सीबीएसई ने खंडन किया। इसके बाद मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर बुधवार (आज) को परीक्षा परिणाम जारी होने की बात कही। सीबीएसई ने कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए इस वर्ष 12वीं की मेरिट सूची नहीं जारी की। 10वीं की मेरिट सूची जारी होगी या नहीं, इसके बारे में सीबीएसई ने कुछ नहीं बताया है।
यहां पढ़ें सीबीएसई 10वीं रिजल्ट का लाइव अपडेट ( CBSE 10th Result 2020 Live updates )
08:03 AM : इस बार दिल्ली के दो रीजन बना दिए गए हैं। एक रीजन दिल्ली ईस्ट बनाया गया है और दूसरा रीजन दिल्ली वेस्ट बनाया गया है। इन दोनों रीजन के परीक्षा परिणाम भी अलग अलग घोषित किए जाएंगे।
07:46 AM : सीबीएसई 12वीं में लखनऊ की दिव्यांशी जैन ने 100 फीसदी अंक हासिल किए थे। बुलंदशहर डीपीएस के तुषार सिंह को भी आर्ट स्ट्रीम में 500 में से 500 अंक मिले। अब देखना होगा कि 10वीं में कितने स्टूडेंट्स 100 फीसदी अंक ला पाते हैं।
07:36 AM : CBSE 10th Passing Marks - सीबीएसई 10वीं परीक्षा में प्रत्येक विषय में पास होने के लिए 33 अंकों की जरूरत है।
07:18 AM : इस वर्ष स्टूडेंट्स को मार्कशीट में RT, RW, RL जैसे एब्रीविएशन शब्द देखने को मिलेंगे। RT का मतलब रिपीट थ्योरी होता है। स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल और थ्योरी दोनों में अलग पास होना होता है। RT वाले स्टूडेंट्स को थ्योरी का पेपर फिर से देना होगा। लेकिन 10वीं में ये एब्रीवेशन देखने को नहीं मिलेगी क्योंकि 10वीं में कम्युलेटिव स्कोर देखा जाता है।
RW का मतलब रिजल्ट विदहेल्ड Result Withheld । यानी कुछ कारणों से रिजल्ट रोका जाना।
RL मतलब रिजल्ट लेटर (Results Later)। यानी इनका रिजल्ट बाद में जारी किया जाएगा।
COMP मतलब कंपार्टमेंट। अगर कोई छात्र किसी एक विषय में फेल हो जाता है, पासिंग मार्क्स (33) हासिल नहीं कर पाता है, तो उसे कंपार्टमेंट की कैटेगरी में रखा जाएगा।
ER का मतलब एसेंशियल रिपीट। इस बार फेल की जगह यही शब्द लिखा होगा। एसेंशियल रिपीट मतलब जिन्हें अनिवार्य तौर पर अगले साल फिर से सभी विषयों की परीक्षा में बैठना होगा।
XXXX का मतलब होगा इंम्प्रूवमेंट।
06:55 AM : इस बार सीबीएसई बोर्ड ने फैसला लिया कि वो मार्कशीट में FAIL लिखने की बजाय Essential Repeat लिखा जाएगा
06:20 AM : सीबीएसई 10वीं रिजल्ट में दिल्ली के सरकारी स्कूलों पर नजर रहेगी। 12वीं में दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने निजी स्कूलों को पीछे छोड़ दिया। यहां 98 फीसदी बच्चे पास हुए। अब देखना होगा कि 10वीं का रिजल्ट कैसा रहता है।
06:05 AM : CBSE Results 2020: APP पर यूं चेक करें रिजल्ट
स्टूडेंट्स UMANG ऐप और digilocker ऐप से नतीजे चेक कर सकेंगे। इन एप्स को डाउनलोड कर आप रिजल्ट चेक कर सकते हैं। साथ ही अपनी मार्कशीट, सर्टिफिकेट भी डाउनलोड कर सकते हैं।
05:30 AM : IVRS सिस्टम से यूं चेक करें रिजल्ट
- अगर सीबीएसई की वेबसाइट काम नहीं कर रही है या आपके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है तो आप सीबीएसई रिजल्ट IVRS से चेक कर सकते हैं। अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो 24300699 पर फोन करें। और अगर आप देश के अन्य हिस्से में रहते हैं तो 011-24300699 पर कॉल करें।
- इसके अलावा स्टूडेंट्स अपने स्कूल से भी रिजल्ट के लिए संपर्क कर सकते हैं। हर स्कूल को उसके बच्चों के रिजल्ट की पूरी फाइल ईमेल की जाएगी।
05:21 AM : SMS से रिजल्ट चेक करने का तरीका
- 12वीं के रिजल्ट के समय जारी किया गया था ये नंबर
सीबीएसई ने 12वीं रिजल्ट के दौरान SMS से रिजल्ट जारी करने का नंबर जारी किया था। हो सकता है कि बोर्ड 10वीं के लिए नया नंबर जारी करे या फिर 12वीं वाला नंबर ही रहने दे।
12वीं वाले छात्र ऐसे चेक कर रहे थे अपना रिजल्ट
अपने मोबाइल के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करें- cbse12
और भेज दें 7738299899 पर।उदाहरण - जैसे आपका रोल नंबर 1234567891 है तो आपको मैसेज करना होगा -
cbse12 123456789105:10 AM : सीबीएसई ने सोमवार को बिना सूचना दिए 12वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम जारी कर सबको चौंका दिया था। 12वीं में 88.78% बच्चे पास हुए हैं। लड़कियों का पास प्रतिशत लड़कों की तुलना में 5.96 प्रतिशत बेहतर रहा।
05:00 AM : दिल्ली के छात्रों के रद्द हुए थे पेपर-
आपको बता दें कि सीबीएसई 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी 2020 से शुरू हुई थीं। जिसमें 10वीं का अंतिम पेपर 18 मार्च को था। दिल्ली के कुछ इलाकों में कोरोना वायरस से पहले दंगा भड़का था जिस कारण से सीबीएसई पूर्वी दिल्ली के परीक्षा केंद्रों की परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं थी। दिल्ली के इन इलाकों की परीक्षाएं पहले कराई जानी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीएसई ने कोरोना वायरस संकट को देखते हुए 10वीं और 12वीं परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया था। ऐसे में दिल्ली के सीबीएसई 10वीं के छात्रों का रिजल्ट इंटरलनल असेसमेंट, प्रोजेक्ट वर्क और असाइनमेंट वर्क के आधार पर जारी किया जाएगा। सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सीबीएसई 12वीं के छात्र जो असेसमेंट मार्क्स से संतुष्ट नहीं होंगे उन्हें बाद में परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा जबकि 10वीं के छात्रों का यह असेसमेंट से जारी किया गया रिजल्ट ही अंतिम रिजल्ट होगा।
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नई दिल्ली (एजेंसी)। अब भारत के किसान भी विदेशों की तर्ज पर व्यापारी भी बनेंगे। किसानों की आय को दोगुना करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार किसान उत्पादक संगठनों का गठन करके किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए 15 लाख रुपये का एक मुश्त कर्ज देकर अपना व्यापार करने के अवसर उपलब्ध कराएगी। इसके लिए सरकार ने 4,496 करोड़ का प्रावधान किया। कृषि सेक्टर का आत्मनिर्भर बनाने और कृषक को उसकी उपज का अधिकतम मूल्य दिलाने के साथ उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने की इस योजना में पहले चरण में 10 हजार कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) स्थापित किए जाएंगे।
इसके तहत किसानों को अपने संगठन को कंपनी एक्ट के तहत पंजीकृत कराकर केंद्र से सहायता की गुहार कर सकेगा। इसमें केंद्र सरकार इन समूहों को आर्थिक सहायता देगी। एक समूह में कम से कम 11 किसान हो सकते हैं। इस योजना में छोटे और सीमांत किसानों को वरीयता दी जाएगी। जिससे की उनकी खेती में सुधार के साथ उनकी आर्थिक स्थितियों पर भी प्रभाव पड़ेगा।
किसान संगठन को रजिस्ट्रेशन के बाद उसके काम को देखकर सरकार तीन साल में 15 लाख रुपये की सहायता सालाना 5 लाख रुपये के तौर पर करेगी। इसमें मैदान क्षेत्र में खेती करने वाले किसानों की अधिकतम संख्या 300 और पहाड़ी क्षेत्र के लिए यह आंकड़ा सौ किसान अधिकतम रखा गया है। किसानों के काम का आकलन करके नाबार्ड कंस्ल्टेंसी सर्विस संगठन काम देखकर मूल्यांकन करेगी। इसके बाद कंपनी को रेटिंग दी जाएगी। जिसके आधार पर किसान को बाजार में अपनी साख बनाने में सहायता मिलेगी। इससे किसानों को अपनी फसल को देश भर में उचित कीमत पर कहीं भी बेचने का अवसर मिलेगा। -
लॉकडाउन में ऑनलाइन सुनवाई
एक पुरुष सहकर्मी अपनी महिला बॉस के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में बिना पैंट-शर्ट पहने आ गया. उसने शराब पी रखी थी.
ऑफिस के एक वीडियो कांन्फ्रेंस के दौरान पुरुष कर्मचारी ने एक महिला सहकर्मी की तस्वीर का बिना पूछे स्क्रीनशॉट ले लिया.
एक सीनियर अधिकारी ने महिला सहकर्मी को देर रात फोन करके कहा, मैं बहुत बोर हो गया हूं कुछ निजी बातें करते हैं.
लॉकडाउन के कारण ऑफिस घर पर शिफ्ट हो गया है लेकिन, इसके साथ ही यौन उत्पीड़न के मामले भी अब ऑफिस से घर तक पहुंच गये हैं.
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले पहले भी आते रहे हैं लेकिन, वर्क फ्रॉम होम में भी अब ये समस्या आने लगी है.
वीडियो कॉन्फ्रेंस में मीटिंग कर रहे हैं, मैसेज या ऑनलाइन माध्यमों से ज़्यादा से ज़्यादा संपर्क कर रहे हैं. ऐसे में महिलाएं यौन उत्पीड़न के मामलों में एक नई तरह की स्थिति का सामना कर रही हैं.
एचआर ‘कंसल्टेंसी’ ‘केल्पएचआर’ के पास महिलाओं ने इस तरह की शिकायतें की हैं. केल्पएचआर यौन उत्पीड़न के क्षेत्र में काम करती है.
इसकी सह-संस्थापक स्मिता कपूर कहती हैं, “लॉकडाउन के दौरान हमारे पास कई महिलाओं की शिकायतें आई हैं जिन्होंने वर्क फ्रॉम होम में यौन उत्पीड़न के मसले पर सलाह मांगी है. कुछ महिलाओं को ये उलझन है कि वर्क फ्रॉम होम होने के कारण क्या ये कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के तहत आएगा. इसमें आगे क्या करना है. कुछ महिलाएं इस संबंध में अपने ऑफिस में शिकायत भी कर चुकी हैं.”
वर्क फ्रॉम होम पहले से भी चलन में रहा है लेकिन लॉकडाउन के दौरान ये बड़ी ज़रूरत बन गया. सरकारी से लेकर निजी कंपनियां वर्क फ्रॉम होम को ही प्राथमिकता दे रही हैं.
लेकिन, इसे लेकर जागरुकता कम है कि अगर घर पर काम करते हुए यौन उत्पीड़न होता है तो वो किस क़ानून के तहत आएगा. महिलाएं ऐसे में क्या कर सकती हैं.
वर्क फ्रॉम में होने वाले यौन उत्पीड़न में भी वही नियम-क़ानून लागू होंगे जो कार्यस्थल पर होने वाले मामलों में लागू होते हैं.
अगर किसी महिला के साथ ऐसा मामला सामने आता है तो वो कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न क़ानून के तहत अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है.
कार्यस्थल की परिभाषा
यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ सहायता करने वाली संस्था “साशा” की संस्थापक और वक़ील कांति जोशी कहती हैं कि पहले हमें ये समझना होगा कि कार्यस्थल की परिभाषा क्या है. कार्यस्थल का दायरा सिर्फ ऑफिस तक ही सीमित नहीं है. काम के सिलसिले में आप कहीं पर भी हैं या घटना काम से जुड़ी है तो वो कार्यस्थल के दायरे में आती है.
कांति जोशी कहती हैं, “हमारे पास एक मामला आया था कि मैनेजर ने महिला सहकर्मी से कहा कि लॉकडाउन में मिले हुए काफी दिन हो गए. मैं तुम्हारे घर के सामने से जा रहा हूं, चलो मिलते हैं. इस तरह के मामले भी यौन उत्पीड़न का ही हिस्सा हैं. सेक्सुअल प्रकृति का कोई भी व्यवहार जो आपकी इच्छा के विरुद्ध है, आप उसकी शिकायत कर सकती हैं. ऐसे मामलों की जांच के लिए 10 से ज़्यादा कर्मचारियों वाली किसी भी कंपनी में आंतरिक शिकायत समिति बनी होती है.”
महिलाओं को कानूनी सहयोग देने और उनके उत्पीड़न पर रोक लगाने के लिए कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेध एवं निदान) अधिनियम, 2013 लाया गया था. इसे विशाखा गाइडलाइन्स के नाम से भी जाना जाता है.
इस कानून के तहत संगठित और गैर संगठित दोनों ही क्षेत्र शामिल हैं. इस कानून के संबंध में अन्य जानकारियां नीचे दी गई हैं.
यौन उत्पीड़न क्या है
महिला की इच्छा के विरुद्ध यौन भावना से संचालित किए गए व्यवहार को यौन उत्पीड़न माना जायेगा. इसमें यौन संबंधी कोई भी शारीरिक, मौखिक या अमौखिक आचरण शामिल है.
यदि किसी महिला के अपने वरिष्ठ या सह कर्मचारी से किसी समय आंतरिक संबंध रहे हों लेकिन वर्तमान में महिला की सहमति न होने पर भी उस पर आंतरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डालना.
वर्चुअल या ऑनलाइन यौन उत्पीड़न की बात करें तो उसमें आपत्तिजनक मैसेज, ऑनलाइन स्टॉकिंग, वीडियो कॉल के लिए दबाव, अश्लील जोक्स और वीडियो कॉफ्रेंस में उचित ड्रेस में ना होना शामिल है.
शिकायत दर्ज कराने पर आगे की प्रक्रिया
कोई भी महिला ऐसी घटना होने के तीन महीनों के अंदर अपनी शिकायत समिति को दे सकती है.
नियोक्ता द्वारा एक आंतरिक शिकायत समिति बनाई जाए.
महिलाओं के लिए एक विशेष परामर्शदाता हो.
समिति में कम से कम आधी सदस्य महिलाएं ही होंगी.
एक सदस्य महिलाओं संबंधी मुद्दों पर काम करने वाली गैर-सरकारी संस्थाओं से या यौन प्रताड़ना से जुड़े मामलों का जानकार व्यक्ति होगा.
अगर किसी कंपनी में 10 से कम कर्मचारी होते हैं या नियोक्ता स्वयं आरोपी हो तो स्थानीय शिकायत समिति बनाई जाएगी. डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर द्वारा इस कमिटी का गठन किया जाएगा. महिला स्थानीय थाने में भी शिकायत दर्ज करा सकती है.
कमिटी की जांच तीन महीनों के अंदर पूरी होना अनिवार्य है.
जांच के दौरान महिला को तुरंत अंतिरम राहत दी जाती है. उसे पेड लीव मिल सकती है और वो ट्रांस्फर भी ले सकती है.
लॉकडाउन में ऑनलाइन सुनवाई
कांति जोशी बताती हैं कि लॉकडाउन के कारण ऐसे में मामलों में ऑनलाइन सुनवाई भी की जा रही है ताकि समय पर न्याय किया जा सके. उन्होंने ऑनलाइन सुनवाई से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताईं.
समिति दोनों से ऑनलाइन माध्यम से सुनवाई के लिए सहमति लेती है. शिकायत के सात दिनों के अंदर अभियुक्त को आरोपों के बारे में सूचित किया जाता है.
अभियुक्त को 10 दिनों के अंदर अपना जवाब लिखित में देना होता है. इसके बाद समिति दोनों पक्षों को सुनती है और अगर दोनों पक्ष सहमत हों तो ऑनलाइन सुनवाई होती है.
अगर अभियुक्त या पीड़ित ये कहते हैं कि वो ऑनलाइन सुनवाई के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि परिवार के सामने वो वीडियो पर सुनवाई में नहीं आ सकते. ऐसे में जांच रोकी जा सकती है जब तक कि दोनों अभियुक्त या पीड़ित की समस्या ख़त्म ना हो जाए. एक ऐसे ही मामले में अभियुक्त का लिखित जवाब लेकर जांच को लॉकडाउन ख़त्म होने तक रोक दिया था. इसके बाद ऑफिस बुलाकर आगे की कार्रवाई की गई.
इन तीन बातों का रखें ध्यान
स्मिता कहती हैं कि वर्क फ्रॉर्म होम ज़रूर एक नया चलन है लेकिन यौन उत्पीड़न की शिकायतों में महिलाओं को बिल्कुल भी उलझन में पड़ने की ज़रूरत नहीं हैं. मैं उन्हें सलाह दूंगी कि सबसे पहले ख़ुद को दोष ना दें. आपने क्या बोला, आप कैसी बैठी थीं, क्या फोटो डाली थे, इस पर गौर ना करें.
दूसरा, अगर आपको किसी का व्यवहार अश्लील या आपत्तिजनक लगता है तो उसे तुरंत टोकें और सबूत या बातों का रिकार्ड रखें. स्मिता बताती हैं कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान जब एक महिला के सामने उसका पुरुष सहकर्मी बिना पैंट शर्ट पहने आया तो उसने पहले उसे टोका, फिर उसका स्क्रीन शॉट लिया और फिर कॉल डिस्कनेक्ट कर दी.
तीसरा, इसके बाद मामले की तुरंत शिकायत करो. गैर-ज़रूरी जगहों पर चर्चा करने की बजाए कंपनी में समिति के सदस्यों को इस बारे में शिकायत करें.स्मिता कपूर कहती हैं कि कई बार अभियुक्त कह सकता है कि घर मेरा पर्सनल स्पेस है और यहां मैं नियमों से बंधा नहीं हूं. साथ ही इसमें कार्यस्थल की बात हो तो घटना के समय ऑफिस टाइम था या नहीं ये भी देखा जा सकता है. लेकिन, फिर कंपनियां कहती हैं कि पीड़ित को इतना सोचने की ज़रूरत नहीं है. अगर उसे किसी का व्यवहार आपत्तिजनक लगा है तो उसके बारे में कंपनी को ज़रूर सूचित करें
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केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) में नौकरी का सपना देखने वाले युवाओं के लिए खुशखबरी है. CBI ने कई पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं. इस भर्ती के तहत कंसल्टेंट के पदों पर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा. योग्य व इच्छुक उम्मीदवार इस भर्ती के लिए 15 जुलाई 2020 तक आवेदन कर सकते हैं.
CBI द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक इस भर्ती के तहत चुने जाने वाले उम्मीदवारों का काम ट्रायल मामलों को सुलझाने में मदद करना होगा.
इस भर्ती के लिए रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर या उससे ऊपर के पदों से रिटायर्ड पुलिस अफसर ही आवेदन कर सकते हैं. चुने जाने के बाद उम्मीदवार का वेतन 40000 प्रति माह होगा.
योग्यता
इस पद के लिए आवेदन कर रहे उम्मीदवारों के पास सेंट्रल या स्टेट पुलिस में 10 साल इन्वेस्टिगेशन के काम का अनुभव होना अनिवार्य है. उम्मीदवार को किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होना चाहिए.नोटिफिकेशन के मुताबिक सीबीआई की नौकरी पाने के बाद उम्मीदवार कहीं और पार्ट टाइम जॉब नहीं कर सकता. काम करने का स्थान हैदराबाद होगा.
उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा या इंटरव्यू के आधार पर किया जाएगा. आवेदन करने के इच्छुक उम्मीदवार CBI की आधिकारिक वेबसाइट www.cbi.gov.in पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं.
भर्ती से जुड़ी अन्य सभी जानकारियों के लिए यहां देखें नोटिफिकेशन.