- Home
- ज्ञान विज्ञान
-
वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के लिए उड़ान भरने वाले एक अमेरिकी व्यावसायिक मालवाहक अंतरिक्षयान का नाम नासा की दिवंगत अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के नाम पर रखा गया है। मानव अंतरिक्षयान में उनके प्रमुख योगदानों के लिए उन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है।
कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं। अमेरिकी वैश्विक एरोस्पेस एवं रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी, नॉर्थग्रुप ग्रमैन ने घोषणा की कि इसके अगले अंतरिक्षयान सिग्नेस का नाम मिशन विशेषज्ञ की याद में एस.एस कल्पना चावला रखा जाएगा जिनकी 2003 में कोलंबिया में अंतरिक्षयान में सवार रहने के दौरान चालक दल के छह सदस्यों के साथ मौत हो गई थी। कंपनी ने ट्वीट किया, आज हम कल्पना चावला का सम्मान कर रहे हैं जिन्होंने भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्षयात्री के तौर पर नासा में इतिहास बनाया था। मानव अंतरिक्षयान में उनके योगदान का दीर्घकालिक प्रभाव रहेगा।
कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर कहा, नॉर्थरोप ग्रमैन एनजी-14 सिग्नस अंतरिक्षयान का नाम पूर्व अंतरिक्षयात्री कल्पना चावला के नाम पर रख गर्व महसूस कर रहा है। यह कंपनी की परंपरा है कि वह प्रत्येक सिग्नस का नाम उस व्यक्ति के नाम पर रखता है जिसने मानवयुक्त अंतरिक्षयान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कल्पना चावला का चयन इतिहास में उनके प्रमुख स्थान को सम्मानित देने के लिए किया गया है जो अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं। -
- मोहम्मद शाहिद
किसी को गधा कहना एक तरह से मूर्ख कहा जाना समझा जाता है. इसके अलावा कई लोग आम बोलचाल में लगातार काम करने वालों को 'गधे की तरह काम करने वाला' भी कहते हैं.
भारत में गधों का इस्तेमाल बोझा ढोने में होता रहा है लेकिन मोटर वाहन के आने के बाद बीते कुछ सालों में गधों की संख्या में काफ़ी कमी आई है. लेकिन अब गधों के बारे में ऐसी बातें सामने आ रही हैं जिससे शायद इनकी तादाद बढ़ाने में लोगों की दिलचस्पी जागे.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने मंगलवार को एक ख़बर प्रकाशित की जिसमें बताया गया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का हिसार (हरियाणा) में मौजूद राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (NRCE) जल्द ही गधी के दूध की डेयरी स्थापित करने जा रहा है.
अख़बार लिखता है कि इस डेयरी में हलारी नस्ल के गधों को रखा जाएगा और उनका दूध निकाला जाएगा.
इसके अलावा एबीपी न्यूज़, नवभारत टाइम्स, नैशनल हेराल्ड जैसे मीडिया संस्थानों ने इस ख़बर को अपने यहां जगह दी और यह दावा किया कि गधी का दूध 7,000 रुपये प्रति लीटर तक बिक सकता है.
इन ख़बरों में गधी के दूध के फ़ायदों के बारे में भी काफ़ी कुछ कहा गया था. आइये हम बीबीसी हिंदी के फ़ैक्ट चेक में जानते हैं कि गधी के दूध के क्या लाभ हैं और क्या इसकी क़ीमत 7,000 रुपये प्रति लीटर तक कैसे हो सकती है.
गधी के दूध के लाभ
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने अपने शोध में पाया है कि बहुत से जानवरों के दूध को कम करके आंका जाता है, इनमें गधी और घोड़ी का दूध भी शामिल है.
संगठन का कहना है कि गधी और घोड़ी के दूध में प्रोटीन इस तरह का है कि जिन लोगों को गाय के दूध से एलर्जी है, यह उनके लिए बहुत बेहतर है. साथ ही संगठन लिखता है कि यह दूध एक इंसानी दूध की तरह है, जिसमें प्रोटीन और वसा की मात्रा कम होती है लेकिन लैक्टॉस अधिक होता है.
इसमें आगे कहा गया है कि यह जल्द ही फ़ट जाता है लेकिन इसका पनीर नहीं बनाया जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन यह भी कहता है कि इसका उपयोग कॉस्मेटिक्स और फ़ार्मास्युटिकल उद्योग में भी होता है क्योंकि कोशिकाओं को ठीक करने और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के भी इसमें गुण हैं.
ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन मिस्र की महिला शासक क्लियोपैट्रा अपनी ख़ूबसूरती बरक़रार रखने के लिए गधी के दूध में नहाया करती थीं.
NRCE के पूर्व निदेशक डॉक्टर मुक्ति साधन बसु कहते हैं कि गधी के दूध के दो प्रमुख लाभ पाए जाते हैं, पहला यह महिला के दूध जैसा होता है, वहीं दूसरा इसमें एंटी-एजिंग, एंटि-ऑक्सिडेंट और रीजेनेरेटिंग कंपाउंड्स होते हैं जो त्वचा को पोषण देने के अलावा उसे मुलायम बनाने में काम आते हैं.
डॉक्टर बसु कहते हैं, "भारत में गधी के दूध पर अभी बहुत अधिक रिसर्च की जानी बाकी है क्योंकि लोगों को इसके फ़ायदों को लेकर जानकारी नहीं है जबकि यूरोप में इसके बारे में लोग काफ़ी जानते हैं, कामकाजी महिलाएं अपने नवजात बच्चों के लिए गधी के पाश्चुरिकृत दूध का इस्तेमाल कर रही हैं और अब तो अमरीका ने भी इसकी अनुमति दे दी है."
वो कहते हैं, "इसमें लैक्टॉज़, विटामिन ए, बी-1, बी-2, बी-6, विटामिन डी और विटामिन ई भी होता है. गधी के दूध से बने साबुन, क्रीम, मॉश्चराइज़र की बाज़ार में मांग है और आज भारत में कई महिलाएं गधी के दूध के बने इन उत्पादों का इस्तेमाल कर रही हैं."
डॉक्टर बसु कहते हैं कि भारत में अभी गधी के दूध से कम उत्पाद बन रहे हैं लेकिन इसमें जब बढ़ोतरी होगी तो गधी के दूध की कमी होगी क्योंकि भारत में गधों की संख्या लगातार कम हो रही है.
कितना दूध देती है गधी
एनआरसीई गधी के दूध की डेयरी के लिए गुजरात से हलारी नस्ल के गधे ला रहा है. आणंद कृषि विश्वविद्यालय के पशु आनुवंशिकी और प्रजनन विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर डी.एन. रांक कहते हैं कि भारत में गधों की नस्लों के बारे में पहली बार इस तरह का काम हुआ है.
वो कहते हैं, "भारत में गधों की सिर्फ़ स्पीति नस्ल को मान्यता थी अब गुजरात के जामनगर और द्वारका में पाए जाने वाली हराली नस्ल के गधों को भी मान्यता दी गई है. यह गधे आम गधों से थोड़े ऊंचे और घोड़ों से थोड़े छोटे और सफ़ेद होते हैं. अब तक भारत में सड़कों पर घूमने वाले गधों की नस्ल की पहचान नहीं थी लेकिन अब दो नस्लों को पहचान मिल गई है जो अच्छी बात है."
प्रोफ़ेसर रांक कहते हैं कि गधों का ध्यान न रखना और उनसे बेतरतीब काम कराने से दूध नहीं मिल सकता है. वो कहते हैं कि एक गधी दिन में अधिकतम आधा लीटर दूध देती है और हर गधी का दूध उसके रख-रखाव के तरीक़े से घट बढ़ सकता है.
7,000 रुपये लीटर है गधी का दूध?
गधी के दूध का कारोबार भारत में उस तरह से नहीं है जिस तरह से यह यूरोप और अमरीका में शुरू हो चुका है. प्रोफ़ेसर रांक कहते हैं कि भारत में अभी शुरुआत है, गधी का दूध महंगा ज़रूर है लेकिन यह अभी 7,000 रुपये प्रति लीटर तक नहीं बिक रहा है.
वो कहते हैं कि विभिन्न मीडिया संस्थानों ने भी 7,000 रुपये प्रति लीटर का आंकड़ा विदेशों के हवाले से दिया है.
वहीं, डॉक्टर बसु कहते हैं कि यह अभी शुरुआत है लेकिन फ़ार्म में रखकर गधे पालने का चलन तमिलनाडु, केरल या गुजरात में कुछ ही लोगों ने किया है और इसकी ख़रीद-फ़रोख़्त अधिकतर ऑनलाइन है.
सलीम अब्दुल लतीफ़ दादन मुंबई से वेरी रेयर ऑनलाइन डॉट कॉम नामक एक वेबसाइट चलाते हैं जो ऊंट, भेड़, गाय और गधी के दूध के साथ-साथ उससे बना घी और मिल्क पाउडर भी ऑनलाइन बेचती है.
वो कहते हैं, "गधे के दूध का दाम कोई तय नहीं है और यह कोई फ़ार्म के ज़रिए नहीं आता है. हम अपने लोगों से गांव से इस दूध को मंगवाते हैं. इस दूध को अधिकतर दवाई और कॉस्मेटिक्स के इस्तेमाल के लिए ही लोग लेते हैं."
सलीम कहते हैं कि 7,000 रुपये प्रति लीटर इसका दाम तब हो सकता है जब इसे आप किसी के पास कहीं दूर भेज रहे हों क्योंकि यह जल्दी ख़राब हो जाता है, अगर आप इसे मुंबई में ही हाथों हाथ लें तो 5,000 रुपये प्रति लीटर में मिल जाएगा.
वो कहते हैं कि सिर्फ़ साबुन और कॉस्मेटिक्स के उत्पाद से अलग यह पेट के बैक्टीरियल इन्फ़ेक्शन में भी बहुत काम आता है.
गधी के दूध के प्रॉडक्ट का स्टार्टअप
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस से एमए करने के बाद दिल्ली की पूजा कौल ने तय किया कि वो गधों के ज़रिए मज़दूरी करने वाले लोगों के लिए कुछ बेहतर करना चाहती हैं. इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में ऐसे मज़दूरों और किसानों को इकट्ठा किया जिनके पास गधे थे.
उन्होंने गधी का दूध आम लोगों को बेचने के लिए एक मॉडल तैयार किया लेकिन यह उस वक़्त नाकाम रहा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने कुछ साथियों के साथ 'ऑर्गेनिको' नाम का एक स्टार्टअप शुरू किया जो गधी के दूध से स्किन केयर उत्पाद बनाकर बेचता है.
पूजा कहती हैं, "दिल्ली में इस स्टार्टअप की शुरुआत 2018 में हुई. हमने ग़ाज़ियाबाद और उसके आसपास के उन मज़दूरों को चिन्हित किया जो गधे रखते थे. वे इनके ज़रिए दिन में 300 रुपये कमाते थे लेकिन हमने उन्हें दूध बेचने के लिए राज़ी किया. शुरुआत में उनके घर की औरतों ने इस पर आपत्ति भी दर्ज की. उनको लगता था कि हम कोई जादू-टोने के लिए ये ले रहे हैं और उनकी गधी मर जाएगी लेकिन फिर वे दूध देने लगे. आज जब बाकी लोगों को पता चलता है कि हम गधी का दूध ख़रीदते हैं तो कई लोगों के फ़ोन आते रहते हैं."
पूजा कहती हैं कि वो 2,000 से 3,000 रुपये प्रति लीटर के दाम में दूध ख़रीदती हैं और फ़िलहाल 7,000 रुपये प्रति लीटर दूध कहीं नहीं बिक रहा है क्योंकि इसका दूध किसी फ़ार्म के ज़रिए नहीं बिकता है.
गधी के दूध के बने साबुन, मॉश्चराइज़र और क्रीम अच्छी ख़ासी तादाद में आपको अमेज़न और फ़्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइनट स्टोर पर मिल जाएंगे लेकिन आप शायद उनकी क़ीमत देखकर दांतों तले उंगलियां दबा लें.
पूजा ख़ुद बताती हैं कि उनके 100 ग्राम साबुन की क़ीमत 500 रुपये है और इन्हें ख़रीदने वाला एक ख़ास वर्ग है.
भारत में गधों की स्थिति
गधी के दूध के दाम जहां हज़ार रुपये प्रति लीटर से ऊपर हैं वहीं गधों की तादाद सिर्फ़ एक लाख में सिमट चुकी है.
गधों की संख्या में 2012 के मुक़ाबले 61 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. 2012 में पशुओं की गणना में जहां गधों की संख्या 3.2 लाख थी वो 2019 की गणना में 1.2 लाख हो चुकी है.
गधों की कम होती संख्या में अगर गधी के दूध की मांग बढ़ी तो उसकी क़ीमत भी बहुत ऊपर जाएगी लेकिन फ़िलहाल बीबीसी हिंदी के फ़ैक्ट चेक की पड़ताल में यह पता लग रहा है कि गधी के दूध की क़ीमत अभी 7,000 रुपये प्रति लीटर नहीं हुई है.(bbc)
-
युद्ध में टैंकों का इस्तेमाल आज आम बात है। अपने निर्माण के 105 साल के सफर में टैंक की तकनीक में समय के साथ काफी सुधार आया है। दुनिया का सबसे पहला युद्धक टैंक 1915 में बना था। यह टैंक ब्रिटेन ने बनाया था। लिटिल विलि नाम का यह टैंक सिर्फ नाम का ही छोटा नहीं था। इस टैंक का वजन 14 टन के आसपास था और अपने टेस्ट रन के दौरान यह कई बार गड्ढों में फंसा, उबड़ खाबड़ सतह पर बमुश्किल ही चल पाया। मगर आगे चलकर इसी प्रोटोटाइप में काफी सुधार किए गए और फिर इन्हें युद्ध के मैदान में उतारने लायक बनाया गया। 1918 में सामने आए सुधरे हुए मॉडल को बिग विलि कहा गया। मार्क वन नाम के टैंक का पहला इस्तेमाल फ्रांस में किया गया। दूसरे विश्व युद्ध में टैंकों का खूब इस्तेमाल हुआ।
ब्रिटेन को टैंक बनाने की प्रेरणा पहले विश्व युद्ध के ट्रेंच वॉर से मिली। 1914 में ब्रिटिश आर्मी के कर्नल अर्नेस्ट स्विंटन और विलियम हैंके ने सबसे पहले एक ऐसे युद्धक वाहन की परिकल्पना पेश की जिसके पहियों पर कन्वेयर बेल्ट जैसी संरचना हो। शुरुआत में इसे लैंड बोट मॉडल कहा गया। दुश्मनों से इस तरह के वाहन के विकास की प्रक्रिया को गुप्त रखने के लिए यह बताया गया कि युद्ध के मैदान में पानी पहुंचाने के लिए एक टंकी वाला वाहन बनाया जा रहा है। इसी कारण नया वाहन टैंक के नाम से जाना गया। -
देहरादून। अनुसंधानकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल को जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले में वानर की नयी खोजी गई प्रजाति का 1.3 करोड़ वर्ष पुराना जीवाश्म मिला है। यह आधुनिक समय के लंगूर का प्राचीनतम ज्ञात पूर्वज है।
इस खोज के निष्कर्ष पत्रिका प्रोसीडिंग्स आफ द रॉयल सोसाइटी बी में प्रकाशित हुआ है। इससे इस बारे में नयी जानकारी मिली है कि वर्तमान समय के लंगूर के पूर्वज कब अफ्रीका से एशिया में आये थे। यह जीवाश्म कपि रमनागरेंसिस प्रजाति के वानर के निचले चव का है, जिसके बारे में पहले जानकारी नहीं थी। यह लगभग एक सदी में रामनगर के प्रसिद्ध जीवाश्म स्थल पर खोजी गई पहली नई जीवाश्म वानर प्रजाति का प्रतिनिधित्व करता है। अमेरिका में एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता क्षेत्र में एक छोटी पहाड़ी पर चढ़ रहे थे, जहां एक साल पहले वानर के एक जबड़े का जीवाश्म मिला था। दल जब उस स्थल पर कुछ देर के लिए आराम करने के लिए रुका तो उन्हें जमीन पर कुछ चमकीला दिखा। अमेरिका में न्यूयार्क स्थित सिटी यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफर सी. गिलबर्ट ने कहा, हमें तत्काल पता चल गया कि यह वानर का दांत है लेकिन यह पूर्व में क्षेत्र में मिले वानरों के किसी दांत जैसा नहीं दिख रहा था। गिल्बर्ट ने कहा, चव के आकार से, हमारा प्रारंभिक अनुमान यह है कि यह एक लंगूर के पूर्वज का हो सकता है, लेकिन ऐसे वानर के जीवाश्म का कोई रिकॉर्ड वस्तुत: नहीं हंै। -
अमरीका के कैलिफोर्निया की एक कंपनी एनडीबी ने खुद चार्ज होने वाली एक ऐसी बैटरी बनाई है जो एक बार चार्ज होकर 28 हजार साल तक चल सकती है। इसके लिए इस बैटरी में कार्बन-14 (सी14) को परमाणु कचरे में से निकालकर एक कृत्रिम हीरे में कैद किया जाता है। कंपनी का कहना है कि इस बैटरी को इलेक्ट्रिक गाडिय़ों, मोबाइल फोन-लैपटाप, घड़ी कैमरा, टैबलेट, ड्रोन, मेडिकल मशीनों सबमें इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे किसी तरह की रेडियोधर्मिता भी नहीं फैलेगी।
-
नई दिल्ली। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी ) ने कहा कि इस साल का मॉनसून सामान्य या सामान्य से अधिक की श्रेणी में समाप्त हो सकता है। चार महीने के मॉनसून के मौसम में जून और अगस्त महीने में सामान्य से क्रमश: 17 और 24 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गयी, वहीं जुलाई में 10 प्रतिशत कम बारिश हुई।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, बारिश सामान्य या सामान्य से अधिक की श्रेणी में समाप्त हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस बार संपूर्ण मॉनसून दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) का 102 प्रतिशत हो सकता है जिसमें चार प्रतिशत कम या ज्यादा की त्रुटि हो सकती है। देश में 1961 से 2010 की अवधि में एलपीए बारिश 88 सेंटीमीटर है। सामान्यत: एलपीए देश में 50 वर्ष की अवधि में वर्षा का औसत होता है।
एलपीए के 96 से 104 प्रतिशत के बीच रहने पर मॉनसून को सामान्य माना जाता है। देश में एक जून से 30 सितंबर तक मॉनसून का मौसम माना जाता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने कहा, इस साल कुल मिलाकर मॉनसून अच्छा रहेगा। इससे खेती और अर्थव्यवस्था में मदद मिलेगी। -
नई दिल्ली। शाओमी भारत में दो स्मार्ट टीवी सेट लेकर आ रहा है ये 32 इंच और 43 इंच साइज में उपलब्ध होंगे। इस टीवी सेट को Mi TV Horizon Edition के नाम से लांच किया गया है। आइये देखें इस टीवी सेट में क्या है खास....
ये दोनों टीवी सेट भारत में पहले से मौजूद मी टीवी का प्रीमियम एडिशन है। नए स्मार्ट टीवी शाओमी के फ्लैगशिप टीवी लाइनअप है । नए शाओमी टीवी में पतले बेज़ल और छोटा फ्रंट फ्रेम है। इन टेलिविजन को शाओमी के विविड पिक्चर इंजन के साथ पेश किया गया है। ये टीवी फुल एचडी रेजॉलूशन को सपॉर्ट करते हैं। ये ऐंड्रॉयड टीवी गूगल प्ले स्टोर सपॉर्ट करते हैं यानी आपको हजारों ऐप्स का ऐक्सिस मिलेगा। टीवी में प्रीमियम डिस्प्ले है और शाओमी ने दावा किया है कि इससे टीवी व्यूइंग एक्सपीरियंस बेहतर होगा।
32 इंच मी टीवी 4 ए हॉरिजऩ एडिशन की कीमत 13 हजार 499 रुपये है। इस टीवी की बिक्री 11 सितंबर को दोपहर 12 बजे फ्लिपकार्ट पर होगी। वहीं 43 इंच वाले मी टीवी 4 ए हॉरिजऩ एडिशन को 22 हजार 999 रुपये में लॉन्च किया गया है। यह टीवी 15 सितंबर से शाम 6 बजे से ऐमजॉन पर बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। बाजार में रिटेल शॉप में इस टीवी के आने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं।
आने वाले कुछ हफ्तों में इन टीवी को रिटेल आउटलेट्स से भी खरीदा जा सकेगा। 32 और 43 इंच स्क्रीन साइज़ वाले इन टीवी में एलईडी पैनल दिए गए हैं। बूटअप टाइप में तेजी लाने के लिए नई सीरीज में एमआई क्वीक वॉक फीचर है जिससे यूजर्स अपने टीवी को फटाफट ऐक्टिव कर पाएंगे। ऑडियो के लिए मी टीवी हॉरिजऩ एडिशन सीरीज में 20 वाट स्टीरियो स्पीकर्स दिए गए हैं जो डीटीएस- एचडी से लेस है। -
नई दिल्ली। एयरटेल कंपनी ने अपने मोबाइल धारकों के लिए कुछ नए प्लान पेश किए हैं। इसमें से एक है 499 रुपये का प्लान , जिसमें ग्राहकों को अनलिमिटेड कॉलिंग और रोज 3 जीबी डेटा के अलावा एक खास सुविधा भी मिलेगी। यह सुविधा फस्र्ट रिचार्ज वालों को मिलेगी। फस्र्ट रिचार्ज प्लान यानी जो पहली बार अपने सिम पर रिचार्ज कराते हैं।
अब एयरटेल ने पेश किया है नया फस्र्ट रिचार्ज प्लान जिसमें एक 499 रुपए के रिचार्ड पर ग्राहक को एक साल तक के लिए डिज्नी + हॉटस्टार वीआईपी का सब्सक्रिप्शन मिलेगा, लेकिन प्लान की वैलिडिटी केवल 28 दिन की है। लेकिन इसमें ग्राहक को किसी भी नेटवर्क में अनलिमिटेड कॉलिंग के साथ रोज 3 जीबी डेटा और 100 एसएमएस मिलेंगे।
इसके अलावा एयरटेल ने कुछ और प्लान पेश किए हैं जो 197 रुपये, 297 रुपये, 497 रुपये और 647 रुपये के हैं। ये सभी फस्र्ट रिचार्ज प्लान ही है। इसमें से 197 रुपये में 28 दिन की वैलिडिटी मिलती है। इसमें अनलिमिटेड कॉलिंग के साथ कुल 2 जीबी डेटा और 300 एसएमएस मिलते हैं। 297 रुपये वाले प्लान में भी अनलिमिटेड कॉलिंग के साथ 28 दिन की ही वैलिडिटी है, लेकिन इसमें रोज 1.5 जीबी डेटा और 100 एसएमएस प्रतिदिन मिलते हैं।
वहीं 497 रुपए वाले प्लान में ग्राहक को दोगुनी वैलिडिटी मिलती है। ग्राहक 56 दिन के साथ, रोज 1.5 जीबी डेटा, 100 एसएमएस और अनलिमिटेड कॉलिंग का मजा ले सकते हैै। इसके अलावा 697 रुपये वाले प्लान में 84 दिन की वैलिडिटी मिलेगी। इसके अलावा अनलिमिटेड कॉलिंग, रोज 1.5 जीबी डेटा और 100 एसएमएस का इस्तेमाल भी ग्राहक कर सकते हैं। -
रायपुर। एक चक्रवाती घेरा पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी, दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश और उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश के ऊपर 2.1 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। इसके प्रभाव से गुरुवार 3 सितंबर को प्रदेश के बस्तर संभाग में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।
प्रदेश में कुछ स्थानों में हल्की से मध्यम वर्षा अथवा गरज-चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। एक-दो स्थानों पर आकाशीय बिजली गिरने की भी संभावना है। प्रदेश में अधिकतम तापमान में वृद्धि संभावित है। बुधवार को रायपुर में 3.6 मिमी, सरगुजा में 19.5 मिमी, सूरजपुर में 46.8 मिमी, बलरामपुर में 31.2 मिमी, जशपुर में 44.5 मिमी, कोरिया में 2.5 मिमी औसत दर्ज की गई। प्रदेश में एक जून से अब तक 1065.3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है।प्रदेश के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष में संकलित जानकारी के अनुसार सर्वाधिक बीजापुर जिले में 2009.5 मिमी और सबसे कम सरगुजा में 745.8 मि.मी. औसत वर्षा अब तक रिकार्ड की गई है।
-
नई दिल्ली. बीते अप्रैल महीने में रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉम जियोमार्ट (JioMart) का ऐलान किया था. जियोमार्ट के जरिए यह कंपनी लोकल वेंडर्स, हॉकर्स और छोटे किराना स्टोर्स को ऑनलाइन कारोबार से जोड़ने का काम कर रही है. लेकिन, अब जियोमार्ट के नाम पर कई फेक वेबसाइट्स के जरिए लोगों को ठगा जा रहा है. इस संबंध में रिलायंस ने एक पब्लिक सर्विस घोषणा में आम लोगों को इससे बचने और सतर्क रहने को कहा है. दरअसल, कुछ ठग ग्राहकों को फेक जियोमार्ट वेबसाइट्स के सहारे धोखा दे रहे और जियोमार्ट सर्विसेज के फ्रेंचाइजी देने की गलत पेशकश कर रहे हैं.
आम लोगों को सतर्क करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए रिलायंस रिटेल ने कहा, 'हम आपको बताना चाहते हैं कि हम किसी भी डीलरशिप या फ्रेंचाइजी मॉडल को फिलहाल नहीं अपना रहे हैं. हमने किसी भी डीलरशिप, फ्रेंचाइजी या एजेंटी नियुक्ति नहीं की है. इसके अलावा हम किसी भी व्यक्ति को फ्रेंचाइजी के नाम पर कोई रकम नहीं वसूलते हैं.'
कंपनी ने कुछ फेक वेबसाइट्स का लिस्ट भी जारी किया है, जिन्हें चिन्हित करते हुए रिपोर्ट भी कर दिया गया है.
ठगों के खिलाफ कंपनी करेगी कार्रवाई
इसके अलावा रिलायंस रिटेल ने यह भी कहा कि ऐसी फेक वेबसाइट्स के खिलाफ वो जरूरी कदम भी उठाएगी. अगर कोई व्यक्ति कंपनी की ट्रेडमार्क और या उसकी साख का धूमिल करने की कोशिश करता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
फेसबुक के साथ डील साइन होने के बाद ही रिलायंस रिटेल ने जियोमार्ट का ऐलान किया था. जियोमार्ट एक ऑनलाइन ग्रोसरी डिलीवरी प्लेटफॉर्म है. सबसे पहली बार इस साल के शुरुआत में जियो प्लेटफॉर्म्स की एक ईकाई के तौर पर ऐलान हुआ था. वर्तमान में कंपनी अपनी सर्विस आधिकारिक वेबसाइट के जरिए मुहैया कराती है. एंड्रॉयड व आईओएस प्लेटफॉर्म पर जियोमार्ट का आधिकारिक ऐप भी उपलब्ध है. (डिस्केलमर- न्यूज18 हिंदी, रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनी नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड का हिस्सा है. नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड का स्वामित्व रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास ही है.)(news18)
-
नई दिल्ली। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रकोष्ठ (एनईजीडी) ने जन सेवा केंद्रों (सीएससी) के जरिये उमंग ऐप की सेवाएं उपलब्ध कराने के लिये बुधवार को सीएसई ई-गवर्नेंस सेवा भारत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस समझौता ज्ञापन से अब उमंग ऐप की सेवाएं 3.75 लाख जन सेवा केंद्रों के माध्यम से आम लोगों को उपलब्ध होंगी। बयान में कहा गया, सीएससी संचालक... ग्राम स्तरीय उद्यमी नागरिकों को उमंग ऐप से 140 विभागों की सेवाएं दे सकेंगे। इस कदम से ऐसे लोगों को फायदा होगा, जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है यी स्वयं से ऐप के जरिये ई-सेवाओं का लाभ उठाने में सहज नहीं हैं। बयान में कहा गया, जनता के लिये यह न केवल सरकारी सेवाओं तक पहुंच बढ़ाएगा, बल्कि ग्राम स्तरीय उद्यमियों की आय में भी वृद्धि करेगा। उमंग ऐप की सभी सेवाएं सीएससी को बिना किसी अतिरिक्त लागत के दी जा रही हैं। एनईजीडी सभी सीएससी को ये सेवाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराने वाला है। उल्लेखनीय है कि उमंग (यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस) ऐप पूरे देश में विभिन्न सरकारी सेवाएं उपलब्ध कराता है। बयान के अनुसार, इस ऐप को अभी तक 3.12 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है। इसके 2.05 करोड़ पंजीकृत उपयोक्ता हैं।
-
सैन फ्रांसिस्को, 22 अगस्त (आईएएनएस)| अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमिशन (एफटीसी) ने इस सप्ताह फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग से पूछताछ की है। न्यूज वेबसाइट पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, यह पूछताछ प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों की जांच के तहत की गई है।
एफटीसी, जो एक साल से अधिक समय से फेसबुक पर एंटी ट्रस्ट जांच कर रही है, उसने रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की।
फेसबुक के एक प्रवक्ता ने द वर्ज को बताया, "हम अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमिशन की जांच में सहयोग करने और एजेंसी के सवालों का जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
जुकरबर्ग ने पिछले महीने फेसबुक सहित चार बड़ी तकनीकी कंपनियों की हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी की एंटी ट्रस्ट जांच के संबंध में अमेरिकी कांग्रेस पैनल के सामने गवाही दी थी।
फेसबुक के सीईओ को इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के अधिग्रहण पर पैनल के कठिन सवालों का सामना करना पड़ा था।
एफटीसी ने पिछले साल फेसबुक पर रिकॉर्ड तोड़ पांच अरब डॉलर का जुमार्ना लगाया था, जो राजनीतिक एनालिटिक्स फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका और अन्य गोपनीयता उल्लंघनों से जुड़ा है। यह जांच गोपनीयता (प्राइवेसी) से संबंधित कंपनी की गतिविधियों को लेकर की जा रही थी और इस जांच में प्राइवेसी से जुड़े कई मामले सामने आए थे।
-
एमोर्फोफैलस टाइटेनम- दुनिया का सबसे खूबसूरत और सबसे दुर्लभ यह फूल इंडोनेशिया में पाया जाता है। एक हफ्ते तक खिलने वाला यह फूल सड़े हुए जानवर जैसी बदबू फैलाता है। खिलने के बाद इसकी ऊंचाई तीन मीटर तक हो सकती है।
स्ट्रोंगिलोडोन मैक्रोबोट्रिस -हल्के हरे रंग का स्ट्रोंगिलोडोन मैक्रोबोट्रिस एक तरह की लता है। पंजे के आकार वाले इसके फूल फिरोजी रंग के होते हैंै। हालांकि इसका रंग नीले हरे से लेकर चटक हरे तक भी हो सकता हैै। ये फूल फिलीपींस के जंगलों में पाए जाते हैं और कटाई के कारण खतरे में हैंै।
कॉस्मॉस एट्रोसैन्गिनियस-ये मेक्सिको के जंगली फूल हैै। 100 साल पहले ही ये विलुप्त हो गए थे। सिर्फ एक प्रजाति का क्लोन 1902 में बनाया गया। ये फूल गर्मियों में वैनिला जैसी खुशबू देते हैं। इन्हें चॉकलेट कॉस्मॉस भी कहा जाता है।
हिबिस्कस कोकियो- शू फ्लॉवर की ये प्रजाति, सिर्फ हवाई में मिलती है। वर्ष 1950 में इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया था। 20 साल बाद कोकियो का एक पेड़ मिला। लाल से नारंगी रंग के फूलों वाला ये पौधा एक आगजनी में खत्म हो जाता, लेकिन इसकी एक डाली बचा ली गई और इसे 23 अन्य पौधों में ग्राफ्ट किया गया।
एपिफाइलम ऑक्सीपेटालम- ये फूल श्रीलंका के जंगलों में होता है और बौद्ध धर्म में इसका खासा महत्व है। इस फूल की खासियत है कि यह सिर्फ रात में खिलता है और सुबह होने से पहले ही मुरझा जाता है।
डेंड्रोफिलैक्स लिंडेनी-क्यूबा और फ्लोरिडा के जंगलों में पाए जाने वाले इस फूल को भूतहा ऑर्किड का नाम दिया गया है। इसे 20 साल पहले ही विलुप्त घोषित कर दिया गया था। इसमें पत्तियां नहीं होती। इसकी जड़ें प्रकाश संष्लेषण कर फूल को पोषण देती हैं। इस फूल का परागण सिर्फ जायंट स्फिंक्स नाम की तितली कर सकती है।
साइप्रिपेडियम कैलकेलस-कभी ये जंगली ऑर्किड पूरे यूरोप में मिलता था, लेकिन अब यह सिर्फ ब्रिटेन में होता है। पीले और जामुनी से रंग वाला ये फूल अब इतना दुर्लभ है कि इसकी एक डाली पांच हजार अमेरिकी डॉलर में मिल सकती है। -
फे़सबुक भारत में राजनीतिक विवाद में फंस गया है. अमरीका के अख़बार 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' के मुताबिक फ़ेसबुक ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और वैचारिक रूप से संघ के क़रीब मानी जाने वाली सत्तारूढ़ बीजेपी की मदद की है. अब विपक्ष इस मुद्दे को लेकर हमलावर है.
शुक्रवार को 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' में छपी एक रिपोर्ट में फे़सबुक के कुछ मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों के हवाले से दावा किया गया है कि इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं की हेट स्पीच और सांप्रदायिक कंटेंट को नज़रअंदाज किया है. फे़सबुक के पास ही वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम का भी मालिकाना हक है.
निष्पक्षता को लेकर फे़सबुक के दावों पर सवालिया निशान?
विश्लेषकों का कहना है कि 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' की ओर से फे़सबुक पर लगाए गए आरोपों ने इसकी निष्पक्षता के दावों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. इस आरोप की वजह से फे़सबुक पर चले 2014 और 2019 के चुनावी अभियानों को भी शक़ की निगाहों से देखा जाने लगा है. इन दोनों चुनावों में बीजेपी को भारी बहुमत मिला था.
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक परंजॉय गुहा ठाकुरता ने पिछले साल आई अपनी किताब में बीजेपी और फे़सबुक के रिश्तों की पड़ताल की थी. ठाकुरता कहते हैं कि उन्हें विश्वास है कि फे़सबुक और वॉट्सऐप ने पिछले दो लोकसभा चुनावों के नतीजों को काफी अधिक प्रभावित किया है. उन्होंने बीबीसी से कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल की स्टोरी ने भारत में फेसबुक की भूमिका की उनकी जांच पर मुहर ही लगाई है.
वह कहते हैं, "भारत में 40 करोड़ फे़सबुक यूज़र्स हैं और 90 करोड़ वोटर. देश में चुनाव से पहले, बाद में और इसके दौरान इस प्लेटफ़ॉर्म का दुरुपयोग होने दिया गया. लोगों ने किसे वोट डाला और कैसे वोट डाला इस पर निश्चित तौर पर इनका बड़ा असर रहा है. संक्षेप में कहें तो आज की तारीख में फे़सबुक और वॉट्सऐप जिस तरीके से काम कर रहे हैं, इससे न सिर्फ़ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में लोकतंत्र को ख़तरा पैदा हुआ है".
फे़सबुक का दोहरा रवैया?
आलोचकों का कहना है कि फे़सबुक अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग नियम और गाइडलाइंस बनाता है. फे़सबुक दूसरे देशों में सत्ताधारी दलों के आगे हथियार डाल देता है लेकिन अमेरिका में जहां इसका मुख्यालय हैं, वहां राजनीति से दूरी बनाता दिखता है. यह इसका दोहरा रवैया है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह फे़सबुक और वॉट्सऐप को नियंत्रित कर रही है. उन्होंने संसद की संयुक्त कमेटी से इसकी जांच कराने की मांग की है.
लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सरकार का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि फे़सबुक, वॉट्सऐप को नियंत्रित करने में उनकी सरकार की कोई भूमिका नहीं है. प्रसाद ने ट्वीट कर कहा, "जो लूज़र ख़ुद अपनी पार्टी में भी लोगों को प्रभावित नहीं कर सकते वो इस बात का हवाला देते रहते हैं कि पूरी दुनिया को बीजेपी और आरएसएस नियंत्रित करते हैं."
अमरीका में अपने मुख्यालय से बयान जारी करते हुए फे़सबुक ने इन आरोपों का खंडन किया है. उसके बयान में कहा गया है, " हम हिंसा भड़काने वाले हेट स्पीच और कंटेंट को रोकते हैं. पूरी दुनिया में हमारी यही पॉलिसी है. हम किसी राजनीतिक पार्टी का पक्ष नहीं लेते हैं और न हमारा किसी से जुड़ाव है".
हालांकि फे़सबुक ने माना है कि इस तरह के मामलों से बचने के लिए और भी काफ़ी कुछ करना होगा. अपने बयान में उसने कहा, "हमें पता है कि इस दिशा में अभी कुछ और क़दम उठाने होंगे. लेकिन हम अपनी प्रक्रिया के लगातार ऑडिट और उन्हें लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं ताकि हमारी निष्पक्षता और सटीकता पर आंच न आए."
फे़सबुक और बीजेपी की नज़दीकियों की पड़तालफे़सबुक और बीजेपी सरकार के बीच संबंधों की खबरों से ठाकुरता को अचरज नहीं हुआ. वह कहते हैं, "पिछले साल जब मैंने फे़सबुक पर किताब लिखी और इसके और वॉट्सऐप से मोदी सरकार के नजदीकी रिश्तों का ब्योरा दिया तो मीडिया ने इसे नजरअंदाज किया. अब जब एक विदेशी अख़बार ने यह मुद्दा उठाया है तो मीडिया में गज़ब की फुर्ती और दिलचस्पी दिख रही है".
ठाकुरता ने बीबीसी से कहा कि फे़सबुक और मोदी की पार्टी बीजेपी की दोस्ती काफी पुरानी है. मोदी को सत्ता में पहुंचाने वाले 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले दोनों के बीच काफी अच्छे रिश्ते बन चुके थे.
फे़सबुक से लोकतंत्र को खतरा ?
अमरीका और यूरोप के राजनीतिक नेताओं ने लोकतंत्र के सिद्धांतों को कथित तौर पर चोट पहुंचाने के लिए फे़सबुक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कटघरे में खड़ा किया है.
ब्रिटेन में हयूमन राइट्स कमेटी के अध्यक्ष हैरियट हरमन का कहना है "आमतौर पर सांसद काफी शिद्दत से यह मान रहे हैं सोशल मीडिया जो कुछ कर रहा है उससे लोकतंत्र के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है".
इस तरह के कई मामलों के बाद फे़सबुक और वॉट्सऐप पर चारों ओर से अपने कामकाज में सुधार लाने के दबाव बढ़ने लगे हैं. ट्विटर जैसे दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूज़र फे़सबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को सलाह दे रहे हैं वह भारत में अपनी कंपनी की गड़बड़ियों को ठीक करे. हालांकि ट्विटर पर भी गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं.
ज़करबर्ग की पिछले दिनों अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पोस्ट के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न करने पर आलोचना हुई थी. फे़सबुक के शुरुआती दौर में इसमें काम कर चुके 30 कर्मचारियों ने सार्वजनिक तौर पर एक चिट्ठी लिख कर कहा था कि ट्रंप को पोस्ट को मॉडरेट करने से फे़सबुक का इनकार करना ठीक नहीं है. इसने अमरीकी जनता को उन ख़तरों की ओर धकेल दिया, जिन्हें वह पहले ही देख चुका है. इस पत्र में फे़सबुक पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया था.हेट स्पीच और हिंसा के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के इन-हाउस गाइडलाइंस होते हैं और वे इन्हें बढ़ावा देने के ख़िलाफ़ कार्रवाई भी करते हैं. लेकिन इस मामले में वो ज्यादातर यूज़र पर ही निर्भर रहते हैं कि वे नियमों के उल्लंघन के प्रति उन्हें सतर्क करें.
ज़करबर्ग ने हाल ही में इसराइली इतिहासकार युआल नोह हरारी से कहा था कि फे़सबुक के लिए यूज़र की प्राइवेसी और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सर्वोपरि है. लेकिन हरारी इससे सहमत नहीं थे. उनका कहना था कि ऐसे मामलों में फे़सबुक ने सब कुछ यूज़र पर छोड़ दिया है. उसे इन मामलों में एक कदम आगे बढ़ कर काम करना चाहिए क्योंकि आम आदमी को अक्सर यह पता नहीं होता कि उसका फायदा उठाया जा रहा है. उनका कहना था आम यूज़र के पास फेक न्यूज़ का पता करने का ज़रिया नहीं होता.
'सोशल मीडिया का मकसद सिर्फ पैसा कमाना'
ठाकुरता का कहना है कि सोशल मीडिया का राजनीतिक या कोई और दूसरा मकसद नहीं होता. उसका एक मात्र मकसद "मुनाफा और पैसा कमाना होता है."
फे़सबुक ने हाल में रिलायंस के जियो प्लेटफॉर्म्स में 43,574 करोड़ रुपये का निवेश किया है ताकि भारत में इसका धंधा और बढ़े.
यूज़र की तादाद के हिसाब से भारत फे़सबुक का सबसे बड़ा बाजार है. देश की 25 फीसदी आबादी तक इसकी पहुंच है. 2023 तक यह 31 फीसदी लोगों तक पहुंच सकता है, वॉट्सऐप की पहुंच तो और ज्यादा है.उन्होंने कहा, " 2013 में मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते ही फे़सबुक और बीजेपी के बीच काफी अच्छे संबंध बन गए थे. मैंने लिखा है कि कैसे फे़सबुक के कुछ आला अफसरों ने बीजेपी के आईटी सेल, इसके सोशल मीडिया विंग और फिर बाद में पीएमओ में मोदी के करीबियों के साथ मिल कर काम किया."
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फे़सबुक के एक शीर्ष अधिकारी के हवाले से कहा है कि अगर यह प्लेटफॉर्म हेट स्पीच या दूसरे नियमों के उल्लंघन पर बीजेपी कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ कदम उठाता तो देश में कंपनी की कारोबारी संभवानाओं चोट पहुंचती. इस स्टोरी में कहा गया है कि फे़सबुक के पास बीजेपी का पक्ष लेने का एक 'विस्तृत पैटर्न' है. हालांकि बीजेपी अब इस आरोप से इनकार कर रही है कि फे़सबुक ने उसकी कोई मदद की है.(BBCNEWS)
-
बीजिंग, 13 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना का संक्रमण भले ही तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह उतना घातक नहीं है। दुनियाभर में दहशत फैलाने वाला कोरोना वायरस जल्द ही खत्म हो जाएगा। कई देशों के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह वायरस तेजी से कमजोर हो रहा है। महामारी की शुरूआत में इसका संक्रमण जितना घातक था, अब वह वैसा नहीं है। इटली के प्रमुख संचारी रोग विशेषज्ञ मेटियो बाशेट्टी का कहना है कि इटली के मरीजों में ऐसे साक्ष्य मिल रहे हैं, जो बताते हैं कि वायरस अब उतना घातक नहीं रहा है। संक्रमण के बाद अब ऐसे बुजुर्ग मरीज भी ठीक हो रहे हैं, जिनमें पहले यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती थी और प्राय: मौत हो जाती थी।
दरअसल, यह वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है यानी खुद को बदल रहा है। वायरस इंसान के सेल में जाकर खुद के जीनोम की प्रतिकृतियां बनाता है। आरएनए वायरस में अकसर ऐसा होता है कि वह अपने पूरे जीनोम को हूबहू कॉपी नहीं कर पाता और कोई न कोई अंश छूट जाता है। यही वायरस का म्यूटेशन कहलाता है। म्यूटेशन से वायरस खुद को और तेज बनाता है मगर ज्यादा म्यूटेशन के बाद वह कमजोर हो सकता है और संक्रमण फैलाने लायक नहीं रहता।
द संडे टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार जिनेवा में सेन माटीर्नो जनरल अस्पताल में संचारी रोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर बाशेट्टी ने बताया कि मार्च और अप्रैल में इस वायरस का असर जंगल में एक शेर जैसा था, मगर अब यह पूरी तरह बिल्ली बन चुका है। अब तो 80 से 90 साल के बुजुर्ग भी बिना वेंटिलेटर के ठीक हो रहे हैं। पहले ये मरीज दो से तीन दिन में मर जाते थे। म्यूटेशन की वजह से वायरस अब फेफड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहा है।
वहीं, दिल्ली स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मॉलिक्युलर मेडिसन ऐंड बायोटेक्नॉलजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. मदन मोहन गोडबोले का कहना है कि कोरोना वायरस अब कमजोर हो रहा है। भले ही संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी, लेकिन मौतों की संख्या कम होगी। उन्होंने विकास सिद्धांत की चर्चा करते हुए बताया कि दो तरह के वायरस होते हैं। एक जो काफी खतरनाक होता है और दूसरा जो कमजोर होता है। खतरनाक वायरस का प्रसार कम लोगों तक होता है, जबकि कमजोर वायरस तेजी से फैलता है।
इस तरह दोनों वायरस के बीच अस्तित्व की लड़ाई शुरू हो जाती है और इसमें कमजोर वायरस की जीत होती है। उसके बाद केवल कमजोर वायरस बच जाता है। कमजोर वायरस के अधिक लोग संक्रमित होते तो हैं, लेकिन उनमें खतरा कम होता है। कुछ दिनों के बाद इंसान का शरीर खुद को वायरस से लड़ने के लिए तैयार भी कर लेता है। इसी सिद्धांत के आधार पर गोडबोले का मानना है कि कोरोना वायरस अब कमजोर हो रहा है और इससे संक्रमण के मामले तो तेजी से आएंगे, लेकिन मौतों की संख्या कम होगी।
(लेखक : अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप में पत्रकार हैं)
-
नई दिल्ली। टाटा मोटर्स अपने एसयूवी मॉडल नेक्सॉन के इलेक्ट्रिक संस्करण को ग्राहकों को 41,900 रुपए के तय मासिक किराये पर उपलब्ध कराएगी। कंपनी ने बृहस्पतिवार को इसके सब्सक्रिप्शन मॉडल की पेशकश की। टाटा मोटर्स ने एक बयान में कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन तक लोगों की अधिक पहुंच बनाने और भविष्य के प्रति जागरुक ग्राहकों तक कंपनी का आधार बनाने के लिए उसने यह योजना पेश की है। बयान के मुताबिक ग्राहक न्यूनतम 18 महीने की किराया योजना से लेकर 24 और 36 माह के विकल्प में से कोई भी चुन सकते हैं। इस तरह 18 माहे लिए किराये पर गाड़ी लेने वाले ग्राहक को 47,900 रुपये का मासिक किराया देना होगा, जबकि 24 माह की अवधि में 44,900 रुपये और 36 माह के लिए 41,100 रुपये मासिक किराया देना होगा।
-
नई दिल्ली. स्मार्टफोन विनिर्माता कंपनी सैमसंग (Samsung) ने बुधवार को अपने प्रीमियम फोन ‘Note20’ और ‘Fold 2’ को लॉन्च कर दिया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, Note20 इसी महीने भारतीय बाजार में उपलब्ध होने की उम्मीद है. इन दो फोन के अलावा कंपनी ने तीन अन्य स्मार्ट प्रोडक्ट भी लॉन्च किए गए हैं. कंपनी ने कहा कि गैलेक्सी Note20 और टैब S7 सीरिज के प्रोडक्ट 21 अगस्त से चुनिंदा मार्केट में उपलब्ध होंगे. कंपनी ने इनके भारतीय बाजार में उपलब्ध होने की कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक ‘Fold 2’ को छोड़कर ‘Note 20’, टैब S7 और S7 Plus, गैलेक्सी वाच3 और गैलेक्सी बड्स लाइव इसी महीने भारतीय बाजार में उपलब्ध होंगे.
Note20 सीरीज के स्मार्टफोन्स में 108 मेगापिक्सल तक के ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप, S Pen और दमदार बैटरी जैसे कई धांसू फीचर दिए गए है.
Galaxy Note20- कीमत और स्पेसिफिकेशन्स
फोन में 2400x1080 पिक्सल रेजॉलूशन के साथ 6.7 इंच का Infinity-O Super AMOLED+ डिस्प्ले दिया गया है. 8GB रैम और 256GB तक के इंटरनल स्टोरेज के साथ आने वाले इस फोन में स्नैपड्रैगन 865+ प्रोसेसर दिया गया है. फोन में खास S Pen दिया गया है 26 मिलिसेकंड्स की लेटेंसी के साथ आता है. अमेरिका में इस फोन की कीमत 999 डॉलर (करीब 75,400 रुपये) है.
कैमरा-
फोन में फोटोग्राफी के लिए ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप दिया गया है. इसमें एक 64MP और दो 12MP का कैमरा लगा है. सेल्फी के लिए फोन में 10 मेगापिक्सल का पंच-होल कैमरा मिलेगा.
बैटरी-
ऐंड्रॉयड 10OS पर बेस्ड One UI पर चलने वाले इस फोन में 4300mAh की बैटरी लगी है. फोन फास्ट चार्जिंग सपॉर्ट के साथ आता है. चार्जिंग के लिए इसमें USB-C चार्जिंग पोर्ट दिया गया है. गैलेक्सी नोट20 वायरलेस चार्जिंग को भी सपॉर्ट करता है.
Galaxy Note20 Altra- कीमत और स्पेसिफिकेशन्स
इस फोन में 3088x1440 पिक्सल रेजॉलूशन के साथ 6.9 इंच का sAMOLED WQHD इनफिनिटी-O डाइनैमिक 2x कर्व्ड डिस्प्ले दिया गया है. फोन 19.3:9 के आस्पेक्ट रेशियो और 120Hz के रिफ्रेश रेट के साथ आता है.
स्टोरेज-
8GB और 12GB रैम ऑप्शन वाले इस फोन में स्नैपड्रैगन 865+ SoC प्रोसेसर दिया गया है. यह फोन 128GB, 256GB और 512GB के रैम ऑप्शन में आता है. अमेरिका में फोन को 1299 डॉलर (करीब 97,500 रुपये) की कीमत पर लॉन्च किया गया है.
कैमरा-
फोन में ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप दिया गया है. इसमें 108MP के प्राइमरी लेंस के साथ दो 12MP के कैमरे लगे हैं. सेल्फी के लिए 10 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा है.
बैटरी-
फोन को पावर देने के लिए इसमें 4500mAh की बैटरी दी गई है जो फास्ट वायर्ड और वायरलेस चार्जिंग को सपॉर्ट करती है. साथ ही फोन पर लिखना आसान बनाने के लिए S-पेन स्टायलस दिया गया है.(news18)
-
व्हाट्सएप काफी समय से फेक न्यूज़ को पकड़ने के लिए लगातार काम कर रही है। व्हाट्सएप ने फेक न्यूज़ को रोकने के लिए पहले फॉरवर्डिंग मैसेजिस फीचर को सीमित किया और अब कंपनी ने फर्जी खबरों को रोकने के लिए एक नया टूल पेश कर दिया है जिसका नाम "सर्च टूल" है। इस फीचर को लाने के लिए व्हाट्सएप ने गूगल के साथ साझेदारी की है।
जैसे कि आपके पास लिंक के साथ कोई खबर आती है तो उस लिंक के राइट साइड में एक नया सर्च आइकन वाला बटन दिखेगा जिस पर क्लिक करते ही गूगल सर्च उस खबर से मिलते जुलते सारे लिंक्स आपको शो कर देगी। इससे आपको पता चल जाएगा कि खबर फर्जी है या नहीं।
फिलहाल व्हाट्सएप के इस फीचर को ब्राजील, इटली, आयरलैंड, मैक्सिको, स्पैन, ब्रिटेन और अमेरिका में लाइव किया गया है। भारत में कब अपडेट के जरिए इस नए फीचर को उपलब्ध किया जाएगा इसकी जानकारी मिलते ही हम आप तक पहुंचा देंगे। यह फीचर एंड्रॉयड, iOS और वेब तीनों प्लेटफोर्म्स पर काम करेगा।(punjabkeshari)
-
कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया को बेहद गंभीर स्तर पर प्रभावित किया है. दुनिया भर के तमाम वैज्ञानिक और फार्मा कम्पनियां इस महामारी से निपटने के लिए एक वैक्सीन खोजने के काम में जुटी हुई हैं. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे वैक्सीन के कई उम्मीदवारों के रसायनों की दक्षता और उनके दुष्प्रभावों को जांचने के लिये परीक्षण किये जा रहे हैं. इनमें से कुछ ने प्रारंभिक ट्रायल्स पूरे करते हुए ऐसा विश्वास दिलाया है कि अब कोरोना वायरस की वैक्सीन बहुत दूर नहीं. रूस ने तो वैक्सीन बना लेने का दावा भी कर दिया है. भारत भी इस दौड़ में शामिल है और यहां भी कोरोना वायरस के दो टीकों के परीक्षण को हरी झंडी मिल चुकी है और कुछ और को जल्द ही मिल सकती है. दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित किये जा रहे कोविड-19 के वैक्सीन को भारत में बनाने के लिए एक समझौता किया है.
लेकिन हाल ही में प्रसिद्ध जर्नल नेचर मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार कोविड-19 के संक्रमण से जूझ चुके मरीजों के शरीरों में विकसित हुए एंटीबॉडीज दो से तीन महीनों में कम होने शुरू हो जाते हैं. असल में एंटीबॉडीज वे खास तरह के प्रोटीन अणु होते हैं जिन्हें कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हमारा प्रतिरोधक तंत्र विकसित करता है. ये एंटीबॉडीज हमारे शरीर में वायरस के आक्रमण के समय वायरस की बाह्य परत पर उपलब्ध उन चाभियों को ढंककर बेकार कर देते हैं जिनकी सहायता से वायरस हमारी कोशिकाओं को चकमा देकर उनकी झिल्लियों से अन्दर घुस जाते हैं. वायरस की बाह्य परत पर उपस्थित चाभियों पर एंटीबॉडीज के चिपक जाने से वायरस हमारे शरीर में उपस्थित कोशिकाओं के अन्दर नहीं घुस पाते और हम होने वाले संक्रमण से बच जाते हैं. बता दें कि कोरोना वायरस एक खास तरह के स्पाईक्स प्रोटीन अणुओं को हमारे शरीर की कोशिकाओं में झिल्ली पार करके घुसने के लिए इस्तेमाल करता है.
वानझोऊ पीपुल्स हॉस्पिटल, चीन के वैज्ञानिकों ने विभिन्न बिना-लक्षणों वाले और गंभीर लक्षणों वाले कई मरीजों के नमूनों का विश्लेषण करके पाया है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण विकसित हुए एंटीबॉडीज दो से तीन महीनों में व्यक्ति के शरीर में कम होना शुरू हो रहे हैं और इसके बाद काफी जल्दी ही शरीर से विलुप्त हो रहे हैं. इन एंटीबॉडीज के शरीर से विलुप्त होने का मतलब यह है कि कोई व्यक्ति एक बार संक्रमित होने के बावजूद दोबारा संक्रमित होने के लिए असुरक्षित हो गया है.
वैज्ञानिकों ने प्रयोगों में यह भी पाया कि उन मरीजों में शरीर के प्रतिरोधक तंत्र ने अपेक्षाकृत कम संख्या में एंटीबॉडीज बनाये, जिन मरीजों में कोविड-19 के संक्रमण के लक्षण कमजोर थे. इसके विपरीत जिन मरीजों में कोविड-19 संक्रमण के लक्षण अधिक गंभीर थे, उनके प्रतिरोधक तंत्र ने अपेक्षाकृत अधिक संख्या में एंटीबॉडीज बनाए थे. गंभीर लक्षणों वाले संक्रमित मरीजों के शरीरों में यह प्रतिरोधक एंटीबॉडीज अधिक समय तक मौजूद भी रहे. जबकि कमजोर लक्षणों वाले संक्रमित मरीजों में एंटीबॉडीज अपेक्षाकृत कम समय के लिए विद्यमान रहे. यह समय लगभग दो से तीन महीने पाया गया. यह विश्लेषण प्रसिद्ध जर्नल नेचर मेडिसिन में 18 जून को प्रकाशित हुआ है.
इसके अलावा स्वतन्त्र रूप से शोध कर रहे किंग्स कॉलेज लन्दन के वैज्ञानिकों ने भी अपने प्रयोगों में पाया है कि ये एंटीबॉडीज संक्रमित लोगों के शरीर में लगभग 94 दिनों तक ही विद्यमान रहते हैं. इसके बाद इन एंटीबॉडीज की संख्या शरीर में तेजी से कम होने लगती है. कमजोर लक्षणों वाले लोगों या उन लोगों में जिनमें लक्षण आये ही नहीं ऐसे लोगों में ये एंटीबॉडीज एक ही महीने के बाद तेजी से कम होने लगते हैं. इन वैज्ञानिकों का यह शोध मेडआर्काइव में प्रीप्रिंट के रूप में प्रकाशित हुआ है.
ऐसे शोध वैक्सीन की दक्षता के सम्बन्ध में नए सवाल उठा रहे हैं. जैसे कि कोरोना वायरस की इन विशेषताओं के चलते भविष्य में बनने वाली वैक्सीन कितने दिनों तक लोगों को कोविड-19 यानी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाकर रख पाएगी? अगर कोरोना वायरस के पिछले संस्करणों की बात करें तो उनके कारण मानव शरीर में बने एंटीबॉडीज दो से तीन साल तक उपस्थित रहते हैं. उदाहरण के तौर पर मेर्स-कोव वायरस के कारण बने एंटीबॉडीज लगभग दो से तीन साल तक मानव शरीर में उपस्थित रहते हैं. पोलियो वायरस की वैक्सीन के कारण बने एंटीबॉडीज ताउम्र शरीर की सुरक्षा करते हैं. नए कोरोना वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज का शरीर से जल्दी ख़त्म हो जाना अच्छा संकेत नहीं है. और यह तथ्य वैक्सीन बनाने की राह और भी जटिल कर देता है.
अब वैज्ञानिकों को वैक्सीन के दुष्प्रभावों और दक्षता के साथ-साथ, इस दक्षता की समयावधि को सुनिश्चित करने के बारे में भी सोचना है ताकि लोगों को मंहगी वैक्सीन बार-बार न देनी पड़े और यह ज्यादा लोगों को मिल सके. इन शोधों से यह भी स्पष्ट होता है कि कोरोना वायरस से एक बार संक्रमित होकर ठीक हो चुके मरीज दो से तीन महीनों के बाद फिर से संक्रमित हो जाने के लिए असुरक्षित हो जाते हैं. ऐसे में वैज्ञानिक संक्रमण से बचे रहना ही बेहतर विकल्प मान रहे हैं, जिसके लिए मास्क लगाना सर्वोत्तम है.(satyagrah)
-
कहते हैं कि नज़र - नज़र का खेल होता है, किसी को बहुत कुछ दिख जाता है, किसी को कुछ नहीं दिखता.
लेकिन अगर किसी की नज़र इतनी पैनी हो कि वह शरीर के अंदर पनप रही बीमारी को पहचान ले, वो भी टीवी में दिख रहे शख़्स की...तो आप इसे एक अजूबा ही कहेंगे.
अमरीका के टीवी चैनल WFLA में काम करने वाली विक्टोरिया प्राइस ने अपनी एक दर्शक का शुक्रिया अदा किया है क्योंकि उनकी दर्शक ने उनसे डॉक्टरी जांच कराने का आग्रह किया था.
विक्टोरिया ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर बताया, "एक दर्शक ने मुझे पिछले महीने ईमेल किया. उन्होंने मेरी गर्दन पर एक गांठ देखी. उन्होंने कहा कि ये गांठ बिल्कुल वैसी ही है, जैसी उनको थी."
"उनकी गांठ कैंसर की थी. और पता चला है कि मेरी गांठ भी कैंसर की गांठ ही है."
ये लिखते हुए उन्होंने बताया कि वो अपने इलाज के लिए मेडिकल लीव पर जा रहा हैं.
दरअसल दर्शक ने ईमेल में लिखा था, "हेलो, मैंने अभी-अभी आपकी न्यूज़ रिपोर्ट देखी. मुझे आपकी गर्दन पर दिख रही गांठ को देखकर चिंता हो रही है. प्लीज अपना थायराइड चैक कराइए. ये देखकर मुझे अपनी गर्दन की गांठ याद आ गई. मेरी गांठ कैंसर वाली निकली थी. सतर्क रहिए."
विक्टोरिया ने अपने ट्वीट के साथ जो फोटो शेयर की थी. एक शख़्स ने उस पर कमेंट किया कि उन्हें तो तस्वीर में कोई गांठ नहीं दिख रही है और वो इस बारे में थोड़ी और जानकारी दें.
इस पर विक्टोरिया ने लिखा, "मैं सहमत हूं. ये इतनी आसानी से नहीं दिख रही. और जब तक कोई ध्यान से नहीं देखता तब तक ये दिखती भी नहीं. इस स्क्रीनशॉट में आप और ठीक तरह से देख सकते हैं. इस बारे में अभी और पता कर रही हूं, लेकिन डॉक्टर ने कहा है कि ट्यूमर मेरे थायराइड के बीच में है. ये ग्लैंड्स को आगे और ऊपर की तरफ धकेल रहा है, इसलिए थोड़ा बाहर निकला हुआ दिख रहा है."
विक्टोरिया ने बताया कि ट्यूमर निकालने के लिए सोमवार को उनका एक ऑपरेशन होगा.
अदा किया शुक्रिया
विक्टोरिया ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में भी उस दर्शक का शुक्रिया अदा किया और कहा कि आठ बजे हम आपके सामने होते हैं, दर्शकों को जानकारी देने के लिए.
लेकिन ये रोल उस वक़्त बदल गया जब एक दर्शक ने मुझे ये सब बताया. उन्होंने कहा कि वो इसके लिए बहुत ज़्यादा शुक्रगुज़ार हैं.
रिपोर्टर ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी को कवर करने में वो इतनी व्यस्त हो गईं कि उन्होंने अपनी खुद की सेहत को ही नज़रअंदाज़ कर दिया.
उन्होंने कहा, "एक पत्रकार के तौर पर महामारी शुरू होने के बाद से मैंने बिना रुके काम किया. लगातार आ रही जानकारी के लिए लगातार शिफ्ट कीं."
साथ ही उन्होंने कहा, "हम सदी की सबसे महत्वपूर्ण हेल्थ हिस्ट्री को कवर कर रहे थे और मैं अपनी खुद की सेहत के बारे में ही सबसे कम सोच रही थी."
विक्टोरिया ने एक आर्टिकल में लिखा, डॉक्टरों ने बताया कि ट्यूमर उनकी गर्दन के बीच के हिस्से से दूसरी ओर फैल रहा है और थायराइड के पास से इसे सर्जरी के ज़रिए निकालने की ज़रूरत है.
उन्होंने एक पोस्ट किया, "अगर मुझे कभी वो ईमेल नहीं मिलता, तो मैं डॉक्टर के पास नहीं जाती. कैंसर शायद फैलता रहता. ये हिला देने वाला ख़याल है."
"मैं हमेशा उस महिला की शुक्रगुज़ार रहूंगी, जिन्होंने मुझे लिखने का कष्ट उठाया. वो मुझे व्यक्तिगत तौर पर बिल्कुल नहीं जानती थीं. उन्हें ये बताने की ज़रूरत नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्होंने बताया. इसी का मतलब है किसी का आपके साथ होना. है ना?"
थायराइड कैंसर पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं में ज़्यादा होता है. विक्टोरिया ने बताया कि अमरीका में इस साल इस तरह के कैंसर के क़रीब 75% मामले महिलाओं में दर्ज किए गए.
उन्होंने महिलाओं को इसका ध्यान रखने की सलाह ही. और उम्मीद जताई कि वो एक हफ़्ते के अंदर काम पर लौट आएंगी.
स्टार जिन्हें उनके दर्शकों ने बचाया
ये पहली बार नहीं है जब किसी पैनी नज़र वाले दर्शक ने एक टीवी प्रजेंटर को मददगार मेडिकल सलाह दी हो.
2018 में पूर्व लिवरपूल डिफेंडर और फुटबॉल कॉमेंटेटर मार्क लॉरेंसन ने एक डॉक्टर का शुक्रिया अदा किया था
जिन्होंने उन्हें बीबीसी वन के फुटबॉल फोकस शो पर देखने के बाद उनका कैंसर डायग्नोस किया.
2013 में अमरीकी केबल टीवी नेटवर्क के एक होस्ट तारेक अल मूसा को एक नर्स ने फ्लिप ओर फ्लॉप होम रिक्रंस्ट्रक्शन प्रोग्राम में देखा था और उनकी गर्दन की एक गांठ को लेकर उन्हें सतर्क किया था.
नर्स रयान रीड ने एनबीसी को कहा था, "मुझे लगा कि मुझे इस बारे में आपको बताया चाहिए."
तारेक को स्टेज़ टू का थायराइड कैंसर था और इलाज के बाद वो ठीक हो गए थे.(bbc)
-
बीजिंग, 24 जुलाई (आईएएनएस)| अंतरिक्ष कार्य का विकास और अंतरिक्ष की खोज देश की व्यापक क्षमता दिखाती है। सभी लोग इसका महत्व समझते हैं। स्पेस एक्स के सीईओ एलोन मस्क ने दावा किया था कि वे एक करोड़ लोगों को मंगल ग्रह में पहुंचाएंगे। कई देशों ने इस जुलाई में मार्स रोवर छोड़ने की योजना की घोषणा भी की। गुरुवार दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर चीन का पहला मार्स रोवर थ्येनवन नंबर-1 सफलता से लांच हुआ। योजनानुसार अगले सात महीनों में थ्येनवन नंबर-1 की उड़ान जारी रहेगी और अंतत: मंगल ग्रह में पहुंचेगा। इसका लक्ष्य मंगल ग्रह की परिक्रमा, मंगल ग्रह में लैंडिंग और गश्त का मिशन पूरा करना है।
यह आवश्यक है कि इन सात महीनों में पूरी दुनिया के विज्ञान प्रेमी चीन के इस मार्स रोवर पर नजर रखेंगे। अगर मिशन सफल होता है, तो चीन दुनिया में पहला देश बन जाएगा, जो मंगल ग्रह के पहले अन्वेषण में ही सॉफ्ट लैंडिंग पूरा कर पाएगा।
आंकड़ों के अनुसार अब तक मंगल ग्रह के अन्वेषण की सफलता दर करीब 42 प्रतिशत है। मानव जाति के इतिहास में अमेरिका, सोवियत संघ, जापान, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और भारत ने डिटेक्टर को मंगल ग्रह के कक्षा में पहुंचाया था। वहीं अमेरिका और सोवियत संघ ने मंगल ग्रह में सॉफ्ट लैंडिंग की। अब तक सिर्फ अमेरिका ने मंगल ग्रह में सैर कर निरीक्षण किया।
हालांकि मंगल ग्रह के अन्वेषण में अधिक जोखिम मौजूद हैं, लेकिन बहुत देश फिर भी सक्रिय हैं। इस साल की गर्मियों में तीन देशों के डिटेक्टर मंगल ग्रह जाएंगे। संयुक्त अरब अमीरात ने 20 जुलाई को आशा नाम के मार्स रोवर छोड़ा। चीन ने 23 जुलाई को थ्येनवन नंबर-1 का सफल प्रक्षेपण किया। अनुमान है कि अमेरिका 30 जुलाई को मार्स रोवर छोड़ेगा।
ये देश मंगल ग्रह के अन्वेषण के लिए भारी कीमत क्यों चुकाना चाहते हैं? कारण यह है कि मंगल ग्रह पृथ्वी से नजदीक है और वहां का वातावरण पृथ्वी के जैसा है। इसलिए लोग जानना चाहते हैं कि क्या मंगल ग्रह में जीवन को जन्म देने की स्थिति होती है या नहीं? मंगल ग्रह पृथ्वी का अतीत है या भविष्य?
इस बात के सबूत भी पाए गए हैं कि मंगल ग्रह में पानी और वायुमंडल मौजूद है। पृथ्वी से भिन्न है कि वहां के वायुमंडल में मुख्यत: कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है, लेकिन हम तकनीक के जरिए कार्बन डाइऑक्साइड से ऑक्सीजन निकाल सकते हैं। इससे लोग सांस ले सकते हैं और ईंधन भी बना सकते हैं।
इसकी वजह से भविष्य में रोबोट या मानव जाति संभवत: मंगल ग्रह में रह सकेंगे। पृथ्वी के बराबर मंगल ग्रह में क्या हुआ? क्या वह हमारा दूसरा घर बनेगा? इसका जवाब पाने के लिए लोगों की एकता और सहयोग की जरूरत है। हम एक साथ मंगल ग्रह का अन्वेषण करें।
-
रांची:- झारखंड में बवाल मचा है। पुलिस-प्रशासन से जेल तक की कड़ी निगरानी में रहने वाली 3 मुस्लिम महिलाएं गर्भवती मिली हैं। ये सभी तब्लीगी जमात से जुड़ी हैं और विदेशी है। उच्च न्यायालय से जमानत पाने के बाद जेल से बाहर आई इन महिलाओं के साथ जैसे ही उनके गर्भवती होने की सूचना बाहर आई, शासन में नीचे से लेकर ऊपर तक हंगामा बरप गया। कोई इसे क्वारंटाइन सेंटर की ऐश-मौज बता रहा, तो काेई इसे एपेडेमिक एक्ट की अनदेखी का गंभीर मामला बता रहा है।
झारखंड सहित देशभर में कोरोना वायरस महामारी लाने-फैलाने वाली तब्लीगी जमात को लेकर एक और बड़ा और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। ताजा खुलासे से हर कोई हैरान है। जिसे भी इतनी बड़ी बात की जानकारी हो रही है, वह शासन-प्रशासन की लापरवाही, ढिलाई, नरमी और कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव की इस तरह की अनदेखी को देख-सुनकर चौंक जा रहा है। इस मामले में हर कोई यही जानना चाहता है कि पहले क्वारंटाइन सेंटर और फिर बिरसा मुंडा जेल में करीब 4 महीना बिताने वाली तब्लीगी जमात से जुड़ीं 3 विदेशी महिलाएं 111 दिनों से पुलिस-प्रशासन की कड़ी निगरानी में रहने के बाद भी आखिर गर्भवती कैसे हुई।
ताजा घटनाक्रम में रांची के हिंदपीढ़ी में बड़ी मस्जिद से पकड़े गए तब्लीगी जमात के 17 विदेशी मौलवियों में 3 महिलाएं जेल से छूटने के बाद गर्भवती मिली हैं। हालांकि तथ्यों से पता चल रहा है कि ये जेल में नहीं राजधानी रांची के खेलगांव क्वारंटाइन सेंटर में गर्भवती हुई हैं। जहां शारीरिक दूरी बनाने के कड़े कायदे को दरकिनार कर इन महिलाओं ने खुलकर शारीरिक संबंध बनाए। नतीजतन वे गर्भवती हो गईं।
वर्तमान में ये तीनों महिलाएं तीन से चार महीने की गर्भवती हैं। एक तरफ पूरे मामले में रांची जिला प्रशासन ने इन 3 गर्भवती महिलाओं के मामले में जांच शुरू कर दी है। वहीं दूसरी तरफ खेलगांव क्वारंटाइन सेंटर में शारीरिक दूरी का पालन करने के बदले वहां तब्लीगी महिलाएं कैसे गर्भवती हो गईं, इस पर अफसरों ने चुप्पी साध ली है। कहा जा रहा है कि इस मामले में यहां जमकर लापरवाही हुई। हालांकि इसका दोषी कौन है, ये बताने को कोई तैयार नहीं।
रांची के खेलगांव क्वारंटाइन सेंटर में जिन 3 तब्लीगी महिलाओं के गर्भवती होने के मामले ने देश-दुनिया में सुर्खियां बटोरी हैं, उसके पीछे सबसे बड़ी वजह शारीरिक दूरी के अनुपालन के बदले शारीरिक संबंध बनाने को कहा जा रहा है। इन महिलाओं के बीते दिन जेल से छूटने के बाद जो ताजा मेडिकल रिपोर्ट आया है, उसके मुताबिक ये तीनों महिलाएं खेलगांव क्वारंटाइन सेंटर में रहते हुए ही गर्भवती हुई हैं।
रांची पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक इन सभी विदेशियों को इस साल 30 मार्च को हिरासत में लिया गया था। इसके बाद सभी को खेलगांव के क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया। न्यायिक प्रक्रिया के तहत इन पर महामारी एक्ट में मुकदमा दर्ज होने के बाद अदालत ने 18 अप्रैल को ज्यूडिशिय कस्टडी में भेज दिया। करीब 50 दिनों के बाद 20 मई को सभी 17 विदेशी मौलवियों को रांची के बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया, जहां 3 महिलाओं में से 2 ने एक माह का गर्भ होने की जानकारी मौखिक तौर पर जेल प्रशासन को दी। इधर 21 जुलाई, मंगलवार को सभी को झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया, इसके बाद क्वारंटाइन से जेल तक 3 तब्लीगी महिलाओं के गर्भवती मिलने की खबर का खुलासा हुआ।
-
प्रदेश में अगले दो दिनों के लिए मौसम विभाग ने यलो एलर्ट जारी किया है। इसका मतलब है कि बुधवार और गुरुवार को राज्यभर में मध्यम बारिश होगी। हालांकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है, इसलिए सरकारी एजेंसियों को मौसम विभाग ने बारिश पर नजर रखने के लिए भी कहा है।
विशेषज्ञों ने कहा कि अगर बारिश बढ़ती है तो तुरंत नया पूर्वानुमान जारी किया जाएगा। प्रदेश में हवा की दिशा अभी दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी है, यानी समुद्र से नमी लेकर आ रही है। एक मानसून द्रोणिका गंगानगर, दिल्ली, हरदोई और गोरखपुर होते हुए पूर्वी हिमालय की तराई तक है।
दूसरी द्रोणिका उत्तर कर्नाटक से अंदरूनी तमिलनाडु तक, दक्षिण अंदरूनी कर्नाटक होते हुए 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक है। इससे प्रदेश में 22 जुलाई को अधिकांश जगह मध्यम या हल्की वर्षा के आसार हैं। यही नहीं, मंगलवार को भी पेंड्रारोड और अंबिकापुर में हल्की बारिश हुई है। राजधानी में रात 8 बजे के बाद बौछारें पड़ीं। इससे पहले, पिछले 24 घंटे के दौरान जशपुर नगर, राजपुर व दंतेवाड़ा में 40 मिमी वर्षा हुई।
धरमजयगढ़, लुंड्रा, उसूर में 30, छुईखदान, लखनपुर, पेंड्रा, पाली, करतला, कोरबा, शंकरगढ़, बतौली, मनेंद्रगढ़, कोटा तथा ओड़गी में 20 मिमी वर्षा हुई। कुछ और जगह भी बौछारें पड़ने की सूचना है।
-
नई दिल्ली। असम में सोमवार को बाढ़ की स्थिति और खराब होने के साथ राज्य में वर्षा जनित घटनाओं में छह लोगों की मौत हो गई है । बाढ़ से असम के करीब 22 लाख लोग प्रभावित हुए हैं हालांकि मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि मॉनसून दक्षिण की ओर बढ़ रहा है और पूर्वोत्तर क्षेत्र में बारिश की तीव्रता में कमी आएगी ।
मौसम विभाग ने कहा कि मॉनसून पश्चिम तट में कोंकण गोवा से केरल की ओर सक्रिय है । मौसम का पूर्वानुमान बताने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर ने कहा कि 16 जुलाई तक मुंबई में भारी बारिश होने का अनुमान है हालांकि 15 जुलाई को महानगर में सबसे तेज बारिश हो सकती है । दिल्ली में नमी का स्तर 87 प्रतिशत तक पहुंच जाने के कारण उमस की स्थिति बनी हुई है। अधिकतम तापमान 38.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया । पूर्व में मानसून बिहार में जमुई , झारखंड में दुमका और बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ा है । इससे उत्तर बंगाल के लोगों को कुछ राहत मिलेगी जहां पिछले कुछ दिनों से मूसलाधार बारिश हुई है। पंजाब और हरियाणा में अधिकतम तापमान सोमवार को सामान्य के करीब रहा । दोनों राज्यों में मौसम शुष्क बना रहा । हालांकि अगले कुछ दिनों में दोनों राज्यों में कुछ स्थानों पर बारिश हो सकती है । चंडीगढ़ में अधिकतम तापमान 34.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया । हरियाणा के अंबाला में तापमान 34.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। -
रायपुर। राज्य में मानसून की आमद सही समय पर हुई और अब इसके प्रभाव से पूरे राज्य में औसत वर्षा हो रही है। गुरुवार को दोपहर के वक्त राजधानी रायपुर सहित आस-पास के इलाकों में तेज बारिश हुई। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार आज भी दोपहर के वक्त बारिश की संभावना जताई गई है।
दूसरी तरफ बस्तर संभाग में सुबह से ही घने बादल छाए हुए हैं और वहां कई इलाकों में बारिश हाे रही है। दोपहर के वक्त तक यहां भारी बारिश की आशंका है। वहीं बिलासपुर शहर सहित आस-पास के इलाकों में शाम के वक्त बारिश होने की संभावना बताई गई है।
मानसून ट्रफ लाइन के उत्तरी क्षेत्र और हिमालय की ओर अग्रसर हाे रहा है। इसके प्रभाव से राज्य में फिलहाल हल्की बारिश होती रहेगी। छत्तीसगढ़ में भारी बारिश की संभावना नहीं है। इस दौरान स्थानीय प्रभाव से कहीं कहीं गरज चमक के साथ बारिश हो सकती है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मानसून ट्रफ लाइन जो पिछले कुछ दिनों तक छत्तीसगढ़ से सटे मध्य प्रदेश के इलाके में सक्रिय था वह अब आगे बढ़कर उत्तरी दिशा और हिमालय क्षेत्र की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। इसके असर से उत्तरप्रदेश क्षेत्र में ज्यादा बारिश होगी लेकिन अगले तीन दिनों तक सरगुजा संभाग इलाके में कहीं भी भारी बारिश का अनुमान नहीं है। 13 जुलाई के बाद नए सिस्टम के सक्रिय होने की संभावना है। इसके बाद ही अच्छी बारिश हो सकती है।