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जयंती पर विशेष
पुरानी फिल्मों में खलनायकों का अहम किरदार हुआ करता था। अब भी फिल्मों में ऐसे किरदार मिल जाते हैं, लेकिन समय के साथ किरदार और उनका प्रस्तुतिकरण दोनों बदल गए हैं। 40 से 60 के दशक में ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों के मशहूर विलेन हुआ करते थे के. एन सिंह। बड़ी-बड़ी आंखें, रौबदार चेहरा , संवाद अदायगी का अपना खास अंदाज। वे बिना नाटकीयता की संवाद अदायगी और आंखों से ऐसा माहौल पैदा करते थे, कि लोग डर जाया करते थे। ये खासियत उन्हें सब लोगों से अलग बनाती थी। आज उनकी जयंती है। इस मौके पर आज उनसे जुड़ी कुछ बातों को हम ताजा कर रहे हैं। उन्होंने 2 सौ से अधिक फिल्मों में काम किया।
के. एन. सिंह का पूरा नाम है कृष्ण निरंजन सिंह। उनका जन्म 1 सितंबर, 1908 को देहरादून में हुआ था। उनके पिता चंडी दास एक जाने-माने क्रिमिनल लॉयर थे और देहरादून में कुछ प्रांत के राजा भी थे। कृष्ण निरंजन भी उनकी तरह वकील बनना चाहते थे , लेकिन अप्रत्याशित घटना चक्र से उनका वकालत से मोह भंग हो गया। अभिनेता के रूप में लोकप्रिय होने से पहले के. एन. सिंह वेट लिफ्टर और गोला फेंक के उम्दा खिलाड़ी हुआ करते थे। वे 1936 के बर्लिन ओलंपिक के लिए मेहनत कर रहे थे, लेकिन वे इसका हिस्सा नहीं बन पाए, क्योंकि उस वक्त कोलकाता में उनकी बहन काफी बीमार थी। बहन के लिए के. एन. सिंह ने अपना खेल कॅरिअर दांव पर लगा दिया। शायद यह उनकी किस्मत थी, जो उन्हें बर्लिन जाने से रोक रही थी। उन्हें एक अभिनेता के रूप में नाम जो कमाना था।
इसी दौरान कोलकाता में उनकी मुलाकात पृथ्वीराज कपूर से हुई और उन्होंने देबकी बोस से उन्हें मिलवाया। देबकी बोस की बांगला फिल्म सुनहरा संसार (1936)में काम करने का मौका के. एन सिंह को मिल गया। कैमरे का जादू उन्हें इतना पसंद आया कि वे मुंबई के ही होकर रह गए। फिल्म बागवान (1936) में उन्होंने लीक से हटकर खलनायक का किरदार निभाया, जो काफी पसंद किया गया। इस तरह से खलनायक के रूप में उनकी एक सफल पारी की शुरुआत हुई। फिर तो फिल्मों का सिलसिला चल निकला। हुमायूं, आवारा, चलती का नाम गाड़ी, हावड़ा ब्रिज, हाथी मेरे साथी, बाजी, वो कौन थी जैसी फिल्में उन्हें मिली। देखते ही देखते वे अपने दौर के सबसे महंगे खलनायक बन गए। 60-70 के दशक के आते-आते दूसरे खलनायकों की लोकप्रियता ने के. एन. सिंह को चरित्र भूमिकाओं तक सीमित कर दिया। फिर एक दिन ऐसा भी आया कि कैमरे की चकाचौध का सामना करने के लिए उनकी आंखों ने जवाब दे दिए और उनकी आंखों की रोशनी चली गई। अंतिम दिनों में वे अपनी फिल्मों को देखने में अक्षम हो गए थे। 31 जनवरी 2000 को 91 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उन्होंने अपने अभिनय से फिल्मी दुनिया में एक ऐसी सुनहरी लाइन खींच दी है, जिसकी चमक बरसों बरस तक फीकी नहीं पड़ेगी। हिन्दी फिल्म जगत में जब भी खलनायकों की बात चलेगी, तो के. एन. सिंह का नाम बड़े अदब से लिया जाएगा।
निजी जिंदगी की बात करें, तो के. एन. सिंह की कोई औलाद नहीं हुई तो उन्होंने अपने भाई विक्रम सिंह जो काफी बरसों तक फिल्म फेयर पत्रिका के संपादक रहे, के बेटे पुष्कर को गोद लिया था। आज पुष्कर का अपना होम प्रोडक्शन हाउस है और वे सीरियलों के निर्माण में व्यस्त हैं। -
नयी दिल्ली 31 अगस्त (वार्ता) कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि श्री मुखर्जी ने देश तथा कांग्रेस को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई और ख़ुद उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति से बहुत कुछ ज्ञान अर्जित किया है।
श्रीमती गांधी ने श्री प्रणब मुखर्जी की पुत्री तथा कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी को भेजें एक शोक संदेश में आज कहा, “श्री मुखर्जी ने अपने पांच दशक से अधिक के अपने राजनीतिक जीवन में देश तथा कांग्रेस को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके साथ काम करने का मेरा लंबा अनुभव है और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। कोंग्रेस को आगे बढ़ाने में उन्होंने जो योगदान दिया है उसको पार्टी हमेशा याद रखेगी। उन्होंने कहा कि श्री मुखर्जी ने देश के विकास में निरंतर काम किया है और वह आजीवन राष्ट्रीय हितों में जुड़े रहे । देश को आगे बढ़ाने, कांग्रेस की प्रगति तथा केंद्र सरकार में रहकर राष्ट्रीय विकास में उनका अतुलनीय योगदान रहा है। वह ज्ञान, अनुभव और सूझबूझ भरे व्यक्तित्व के धनी थे और उनकी समझ तथै सलाह में हर संकट का समाधान था और उनकी गैरमौजूदगी मे यह हमेशा खलता रहेगा।”
कांग्रेस नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने भी पार्टी के संवाददाता सम्मेलन में श्री मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा देश में कोई भी ऐसा नहीं होगा जो उनके नाम से परिचित नहीं है और जिसे देश के विकास में उनके योगदान की जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से श्री मुखर्जी के साथ रहे है लेकिन 2004 से 2014 के बीच उन्हें श्री मुखर्जी के साथ नज़दीकी से काम करने का अवसर मिला। इस दौरान उन्होंने देखा कि देश के आम आदमी के लिए उनमें गहरी चिंता थी और कांग्रेस को उनके निधन से भारी क्षति हुई है। उनका कहना था कि प्रणबदा जैसे लोग राजनीति में दुर्लभ है।
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अपराजिता लता वाला औषधीय पौधा है। कहा जाता है कि जब इस वनस्पति का रोगों पर प्रयोग किया जाता है तो यह हमेशा सफल होती है और अपराजित नहीं होती। इसलिए इसे अपराजिता कहा गया है। इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे लान की सजावट के तौर पर भी लगाया जाता है। ये इकहरे फूलों वाली बेल भी होती है और दुहरे फूलों वाली भी। फूल भी दो तरह के होते हैं - नीले और सफेद। भगवान शिव, श्रीकृष्ण और शनिदेव को ये विशेष रूप से पसंद हैं। इसे भगपुष्पी और योनिपुष्पी का नाम दिया गया है। इसका उपयोग काली पूजा और नवदुर्गा पूजा में विशेष रूप में किया जाता है।
आयुर्वेद में इसे विष्णुक्रांता, गोकर्णी आदि नामों से जाना जाता है। संस्कृत में इसे आस्फोता, विष्णुकांता, विष्णुप्रिया, गिरीकर्णी, अश्वखुरा कहते हैं जबकि हिन्दी में कोयल और अपराजिता। बंगाली में भी अपराजिता, मराठी में गोकर्णी, काजली, काली, पग्ली सुपली आदि कहा जाता है। गुजराती में चोली गरणी, काली गरणी कहा जाता है। तेलुगु में नीलंगटुना दिटेन और अंग्रेजी में मेजरीन कहा जाता है। आयुर्वेद में सफेद और नीले रंग के फूलों वालों अपराजिता के वृक्ष को बहुत ही गुणकारी बताया गया है। अपराजिता का प्रयोग बहुत सी बीमारियों के उपचार में किया जाता है। इसकी सफेद फूल वाली प्रजाति में ज्यादा गुण पाए जाते हैं।
औषधीय गुण-
- अपराजिता के बीज सिर दर्द को दूर करने वाले होते हैं। दोनों ही प्रकार की अपराजिता बुद्धि बढ़ाने वाली, वात, पित्त, कफ को दूर करनी वाली है। अधकपारी या माइग्रेन के दर्द में अपराजिता की फली का प्रयोग किया जाता है।
-आंखों से जुड़ी सभी बीमारियों का उपचार के लिए सफेद अपराजिता तथा पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है।
- कान दर्द में अपराजिता के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है।
-दांत दर्द में अपराजिता की जड़ और काली मिर्च के पेस्ट को मुंह में रखने से आराम मिलता है।
- गला खराब होने यानी आवाज में बदलाव आने पर भी अपराजिता के पत्ते के काढ़े का सेवन उपयोगी बताया गया है।
- सफेद फूल वाले अपराजिता की जड़ की पेस्ट में घी अथवा गोमूत्र मिलाकर सेवन करने से गले के रोग (गलगण्ड) में लाभ होता है।
इसके अलावा पेट की जलन, गले के दर्द, खांसी, सांसों के रोगों की दिक्कत और बालकों की कुक्कुर खांसी जलोदर (पेट में पानी भरने की समस्या), अफारा (पेट की गैस), कामला (पीलिया), तथा पेट दर्द , गठिया, तिल्ली विकार (प्लीहा वृद्धि), अफारा (पेट की गैस) तथा पेशाब के रास्ते में होने वाली जलन, फाइलेरिया या हाथीपांव आदि रोगों के उपचार में भी अपराजिता के पत्तों, जड़ और फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। (इसका इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।) -
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| पुरानी दिल्ली में हुई पतंगबाजी ने इस बार भी सैकड़ों परिंदों से उनके उड़ने का हक छीन लिया। हर साल की तरह इस साल भी लोगों ने बेपरवाह होकर पतंगबाजी की, जिसके कारण 1000 से अधिक पक्षी घायल हुए। वहीं 150 से अधिक पक्षियों की मांझे से कट कर जान चली गई। चांदनी चौक स्थित बर्ड हॉस्पिटल में सैंकड़ों की तादाद में वो पक्षी है जो की पतंगबाजों के शौक के चलते अस्पताल में भर्ती हुये हैं। भलेहि ही इस बार चाइनीज मांझे पर रोक लगी हो, लेकिन हिंदुस्तानी मांझों की वजह से भी पक्षियों के जीवन पर उतना ही असर पड़ा।
1 अगस्त से 15 अगस्त तक करीब 1500 पक्षी अस्पताल में भर्ती हुये हैं। जिसमें से करीब 80 फीसदी पतंगबाजी का शिकार हुए हैं। अन्य पंखे से कट कर घायल हुए हैं। इन पक्षियों में ज्यादातर कबूतर, तोते और चील हैं। हालांकि इस बार मोर भी मांझों से कट कर घायल हुये हैं।
पक्षियों के अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार 1 अगस्त से 15 अगस्त तक रोजाना करीब 10 पंक्षियों की मृत्यु हुई है। वहीं कुछ ऐसे परिंदे भी हैं जो की जिंदगी भर अब उड़ नहीं सकते।
चांदनी चौक स्थित जैन मंदिर में चल रहे दुनिया के पहले चैरिटी पक्षी अस्पताल के सचिव सुनील जैन ने आईएएनएस को बताया, 1 अगस्त से 15 अगस्त तक हमारे पास करीब 1500 पक्षी आये हैं। जिसमें से कुछ के पंख कटे हुए थे, तो वहीं कुछ पंक्षियों के गले मे गहरा घाव भी थे।
जमुना पार, वेलकम कॉलोनी और शाहदरा इलाके में ज्यादा पक्षी घायल हुए हैं। 1 अगस्त से 15 अगस्त तक 70 से 80 पक्षी अस्पताल में रोजाना भर्ती हो रहे थे।
सुनील ने बताया, मांझों की वजह से पंक्षी इतनी बुरी तरह जख्मी होते हैं कि कई पक्षियों की गर्दन तक अलग हो जाती हैं। इस बार करीब 150 से अधिक पक्षियों की मृत्यु भी हुई है। हमारे पास 1 तरीक से 15 तरीक तक 10 से 11 पक्षियों की मृत्यु हुई।
हमारे अस्पताल में पूरी कोशिश होती है कि इन पक्षियों की जान बच जाए, लेकिन पक्षी इतनी बुरी तरह घायल होते हैं कि बचाना असंभव हो जाता है।
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नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को कहा कि ऑनलाइन शिक्षा स्कूलों का विकल्प नहीं हो सकती है और यह सिर्फ सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को जारी रखने का एक जरिया है। कोविड-19 महामारी के कारण ऑनलाइन या सेमी-ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली की समीक्षा करने के लिए सिसोदिया चिराग दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में शिक्षकों और अभिभावकों से चर्चा कर रहे थे। सिसोदिया ने कहा कि महामारी के कारण छात्रों का बहुत नुकसान हो रहा है। स्कूल में बच्चे को जैसी शिक्षा और विकास मिलता है, वह ऑनलाइन संभव नहीं है। हमारा लक्ष्य सिर्फ बच्चों को हो रहे नुकसान में कमी लाना है। इसलिए, ऑनलाइन या सेमी-ऑनलाइन शिक्षा आज की जरुरत है। उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि बच्चों के विकास के लिए यह माहौल सही नहीं है, लेकिन फिलहाल हमारी मंशा सिर्फ सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को जारी रखने की है। अगर दिल्ली के 16 लाख छात्रों के साथ मिलकर अभिभावक और शिक्षक प्रार्थना करें तो मुझे यकीन है कि हम जल्दी ही स्कूल खोलने की स्थिति में होंगे।
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बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त को लंग कैंसर हो गया है. लीलावती अस्पताल से इलाज करा कर संजय दत्त हाल ही में डिस्चार्ज हुए थे इसके बाद से की उनके कैंसर को चर्चाएं हो रही थीं. फिल्म क्रिटिक कोमल नाहटा ने सोशल मीडिया पर ट्वीट के जरिए इस बात की जानकारी दी हैं कि संजय दत्त को लंग कैंसर हो गया है.
छाती में दर्द और सांस लेने में दिक्कत के बाद उन्हें 8 अगस्त को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. वहां उनका कोविड-19 टेस्ट हुआ, जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. इसके बाद उन्होंने अपना नियमित फुल बॉडी चेक अप करवाया जिसका रिजल्ट मंगलवार को आया जिसमें पता चला कि उन्हें तीसरे स्टेज का फेफड़े का कैंसर है.
11 अगस्त की शाम को संजय दत्त ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी जिसमें उन्होंने लिखा कि अपने इलाज के लिए वो काम (फिल्मों) से कुछ समय का ब्रेक ले रहे हैं. संजय दत्त ने मंगलवार को घोषणा की कि वह अपने इलाज पर ध्यान देने के लिए पेशेवर प्रतिबद्धताओं से कुछ समय के लिए अवकाश लेंगे. उन्होंने अपने शुभचिंतकों से उनकी सेहत के बारे में अटकलें नहीं लगाने का अनुरोध किया.
दत्त ने ट्विटर पर एक बयान में लिखा है कि लोगों के प्यार और समर्थन से वह जल्द लौटेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘मैं कुछ उपचार के लिए कामकाज से थोड़ा अवकाश ले रहा हूं. मेरा परिवार और दोस्त मेरे साथ हैं और मैं अपने शुभचिंतकों से चिंता नहीं करने और अनावश्यक रूप से अटकलें नहीं लगाने की अपील करता हूं. आपके प्यार और शुभकामनाओं से मैं जल्द लौटूंगा.’’
संजय दत्त दिवंगत अदाकार सुनील दत्त और नर्गिस की सबसे बड़ी संतान हैं. उनकी दो बहनें प्रिया दत्त और नम्रता दत्त हैं. दत्त की आने वाली फिल्में ‘सड़क 2’ और ‘भुज : द प्राइड ऑफ इंडिया’ हैं जिनका प्रीमियर डिजनी प्लस हॉटस्टार पर होगा. (इण्डिया.कॉम) -
इंदौर, 11 अगस्त (आईएएनएस)| मॉडलिंग का झांसा देकर युवतियों की पोर्न फिल्म बनाने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर इंदौर पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। भिंड निवासी ब्रजेंद्र जमानत कराने मुंबई से इंदौर आया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, ब्रजेंद्र मॉडलिंग का काम दिलाने का झांसा देकर युवतियों को अपने जाल में फंसाता था। पिछले दिनों उसने इंदौर में एक युवती को फॉर्म हाउस पर फिल्म में काम दिलाने के नाम पर बुलाया और उसकी अश्लील फिल्म बनाई।
युवती ने पुलिस में शिकायत करते हुए बताया था कि उसे बोल्ड सीरीज के लिए कुछ सीन देने का कहा गया और अश्लील कंटेंट हटाने की बात कही, मगर ऐसा हुआ नहीं। उस फिल्म को पोर्न साइट पर अपलोड कर दिया गया था। उसके बाद युवती ने साइबर सेल में शिकायत की थी। उसी के आधार पर ब्रजेंद्र की गिरफ्तारी की गई है। वह जमानत कराने इंदौर आया था।
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अयोध्या, 5 अगस्त (आईएएनएस)| अयोध्या में राममंदिर के लिए आज भूमि पूजन होने जा रहा है। इसे लेकर अयोध्यावासी बहुत हर्षित हो रहे हैं। उनकी पूरी सम्भवना है कि राम ही उन्हें रोजगार दिलाएंगे। अयोध्या में बड़ी कुटिया के दुकानदार इश्तियाक का कहना है, "सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद विवाद खत्म हो गया। अब यहां के लोगों को राम से आस है कि वही इन्हें रोजगार दिलाएंगे। वर्षो का विवाद था अब वह खत्म हो गया है। अभी तक यहां पर राजनीतिक दलों ने मंदिर-मस्जिद के नाम फर फूट डालने का काम किया लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाए, यहां पर आपस मे भाईचारा है। अब बस राम मंदिर बनने से पर्यटन बढ़ेगा। लोगों को रोजी मिलेगी। प्रधानमंत्री के आने से अयोध्यावासी बहुत खुश हैं।"
अयोध्या की रहने वाली लीलावती कहती हैं कि कोरोना महामारी ने थोड़ा उत्सव का रंग फीका कर दिया है। लेकिन फिर भी जितना हो रहा है वो सब अयोध्या के विकास के लिए हो रहा है। राममंदिर बनने की बहुत खुशी है। कम से कम इतने सालों से चल रहा विवाद का अंत हो गया।
वहीं कृष्णकुमार ने कहा, "अयोध्या में हमारी आंखों के सामने मंदिर बनने जा रहा है। एक बड़े विवाद का अंत हो गया। जिसके कारण पूरे विश्व पटल पर अयोध्या के लोगों का नाम खराब होता था, कम से कम वह खत्म हो गया। प्रधानमंत्री आ रहे हैं । यहां के लिए बहुत कुछ दे जाएंगे। अब यहां कोई विवाद बचा नहीं है।"
वहीं यहां के एक निवासी सुग्गु ने कहा कि अयोध्या पुराना विवाद निपट गया। राम जी का भव्य मंदिर बनने जा रहा है। हम लोगो को राम जी आशा है कि वो सभी को रोजगार दिलवाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर को फैसले से राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया था, जिसके बाद यहां लोग मंदिर निर्माण शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे थे और अब वह घड़ी आ जाने अयोध्यावासियों काफी हर्षित हैं।
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हिंदू और मुसलमान दोनों एक हज़ार वर्षों से हिंदुस्तान में रहते चले आये हैं. लेकिन अभी तक एक-दूसरे को समझ नहीं सके. हिंदू के लिए मुसलमान एक रहस्य है और मुसलमान के लिये हिंदू एक मुअम्मा (पहेली). न हिंदू को इतनी फुर्सत है कि इस्लाम के तत्वों की छानबीन करे, न मुसलमान को इतना अवकाश है कि हिंदू-धर्म-तत्वों के सागर में गोते लगाये. दोनों एक दूसरे में बेसिर-पैर की बातों की कल्पना करके सिर-फुटौव्वल करने में आमादा रहते हैं.
हिंदू समझता है कि दुनियाभर की बुराइयां मुसलमानों में भरी हुई हैं : इनमें न दया है, न धर्म, न सदाचार, न संयम. मुसलमान समझता है कि हिंदू, पत्थरों को पूजने वाला, गर्दन में धागा डालने वाला, माथा रंगने वाला पशु है. दोनों बड़े दलों में जो बड़े धर्माचार्य हैं, मानो द्वेष और विरोध ही उनके धर्म का प्रधान लक्षण है.
हम इस समय हिंदू-मुस्लिम-वैमनस्य पर कुछ नहीं कहना चाहते. केवल ये देखना चाहते हैं कि हिंदुओं की, मुसलमानों की सभ्यता के विषय में जो धारणा है, वह कहां तक न्यायी है.
जहां तक हम जानते हैं, किसी धर्म ने न्याय को इतनी महत्ता नहीं दी, जितनी इस्लाम ने दी है. इस्लाम धर्म की बुनियाद न्याय पर रखी गयी है. वहां राजा और रंक, अमीर और गरीब के लिए केवल एक न्याय है. किसी के साथ रियायत नहीं, किसी का पक्षपात नहीं. ऐसी सैकड़ों रवायतें पेश की जा सकती हैं जहां बेकसों ने बड़े-बड़े बलशाली अधिकारियों के मुक़ाबले में न्याय के बल पर विजय पायी है. ऐसी मिसालों की भी कमी नहीं है जहां बादशाहों ने अपने राजकुमार, अपनी बेग़म, यहां तक कि स्वयं को भी न्याय की वेदी पर होम कर दिया.
हज़रत मोहम्मद ने धर्मोपदेशकों को इस्लाम का प्रचार करने के लिए देशांतरों में भेजते हुए उपदेश दिया था : जब लोग तुमसे पूछें कि स्वर्ग की कुंजी क्या है, तो कहना कि वह ईश्वर की भक्ति और सत्कार्य में है.
जिन दिनों इस्लाम का झंडा कटक से लेकर डेन्यूब तक और तुर्किस्तान से लेकर स्पेन तक फहराता था, मुसलमान बादशाहों की धार्मिक उदारता इतिहास में अपना सानी नहीं रखती थी. बड़े-बड़े राज्य-पदों पर ग़ैर मुस्लिमों को नियुक्त करना तो साधारण बात थी.
महाविद्यालयों के कुलपति तक ईसाई और यहूदी होते थे. इस पद के लिए केवल योग्यता और विद्वता ही शर्त थी, धर्म से कोई संबंध नहीं था. प्रत्येक विद्यालय के द्वार पर ये शब्द खुदे होते थे : पृथ्वी का आधार केवल चार वस्तुएं हैं - बुद्धिमानों की विद्वता, सज्जनों की ईश प्रार्थना, वीरों का पराक्रम और शक्तिशालियों की न्यायशीलता.
मुहम्मद के सिवा संसार में और कौन धर्म प्रणेता हुआ है जिसने ख़ुदा के सिवा किसी मनुष्य के सामने सिर झुकाना गुनाह ठहराया हो? मुहम्मद के बनाये हुए समाज में बादशाह का स्थान ही नहीं था. शासन का काम करने के लिए केवल एक ख़लीफा की व्यवस्था कर दी गयी थी, जिसे जाति के कुछ प्रतिष्ठित लोग चुन लें. इस चुने हुए ख़लीफा को कोई वजीफ़ा, कोई वेतन, कोई जागीर, कोई रियासत न थी. यह पद केवल सम्मान का था. अपनी जीविका चलाने के लिए ख़लीफ़ा को भी दूसरों की भांति मेहनत-मज़दूरी करनी पड़ती थी. ऐसे-ऐसे महान पुरुष, जो एक बड़े साम्राज्य का संचालन करते थे, जिनके सामने बड़े-बड़े बादशाह अदब से सिर झुकाते थे, वे जूते सिलकर या कलमी किताबें नक़ल करके या लड़कों को पढ़ाकर अपनी जीविका अर्जित करते थे.
हज़रत मुहम्मद ने स्वयं कभी पेशवाई का दावा नहीं किया, खज़ाने में उनका हिस्सा भी वही था, जो एक मामूली सिपाही का था. मेहमानों के आ जाने के कारण कभी-कभी उनको कष्ट उठाना पड़ता था, घर की चीज़ें बेच डालनी पड़ती थीं. पर क्या मजाल कि अपना हिस्सा बढ़ाने का ख्याल कभी दिल में आए.
जब नमाज़ पढ़ते समय मेहतर अपने को शहर के बड़े-से-बड़े रईस के साथ एक ही कतार में खड़ा पाता है, तो क्या उसके हृदय में गर्व की तरंगें न उठने लगती होंगी. इस्लामी सभ्यता को संसार में जो सफलता मिली वह इसी भाईचारे के भाव के कारण मिली है.(satyagrah)
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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)| राफेल लड़ाकू विमानों के लिए पायलटों का प्रशिक्षण लेने वाले भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के उच्च पदस्थ कश्मीरी अधिकारी उड़ी में हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकी लॉन्च पैड के खिलाफ 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक का हिस्सा रहे हैं।
सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि फ्रांस में डिफेंस एयर अटैच एयर कमोडोर हिलाल अहमद राठेर को कश्मीर का 'राफेल मैन' कहा जाता है और उन्हें बड़ी संख्या में कश्मीरी युवाओं के बीच एक रोल मॉडल के रूप में देखा जाता है। सूत्रों ने बताया कि राठेर लड़ाकू जेट विमानों के साथ अपने व्यापक अनुभव के कारण सर्जिकल स्ट्राइक का हिस्सा बने।
कमोडोर राठेर को जानने वाले अधिकारी और वायु सेना के हलकों में उन्हें 'हली' के नाम से पुकारते हैं। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने मिराज विमान पर चार बार दो साल का कार्यकाल बिताया है। उनका मिराज-2000, मिग-21 और किरण विमान जैसे जेट फाइटर एयरक्राफ्ट पर 3,000 घंटे से अधिक की दुर्घटना-मुक्त उड़ान का रिकॉर्ड है।
वायु सेना के सूत्रों ने कहा कि राठेर एक योग्य उड़ान प्रशिक्षक हैं और वह 2013 और 2016 से भारतीय वायु सेना के सक्रिय पश्चिमी कमान में लड़ाकू अभियानों के निदेशक होने के साथ ही सभी लड़ाकू विमानों के तैयार होने और प्रशिक्षण में भी सीधे तौर पर शामिल रहे हैं। इसके साथ ही क्षेत्र में परिचालन योजना में भी उनका खासा योगदान रहा है।
एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने संवेदनशील ग्वालियर मिराज एयरबेस की कमान संभाली है, जो वायुसेना द्वारा सभी सर्जिकल हवाई हमलों का एक प्रमुख केंद्र है।
राठेर को एक हार्ड टास्क मास्टर के रूप में देखा गया है और उन्होंने सुनिश्चित किया है कि राफेल परियोजना समय पर सभी आवश्यक हथियारों के साथ अन्य अनुबंध मापदंडों को पूरा करे।
दिलचस्प बात यह है कि कुछ वर्षो पहले एक और कश्मीरी ने इस तरह की उपलब्धि पाई थी। स्क्वाड्रन लीडर रतन लाल बामजई, जो ग्रुप कैप्टन के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे, उन्हें भारत में पहली मिराज उड़ान भरने का श्रेय दिया गया था।
राठेर सैनिक स्कूल नगरोटा के एक मेधावी टॉपर रहे हैं और वह दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग शहर के रहने वाले हैं। सैनिक स्कूल में सीबीएसई परीक्षा में टॉप करने से लेकर हैदराबाद में वायु सेना अकादमी में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने तक उनके नाम कई बड़ी उपलब्धि हैं। सर्वश्रेष्ठ पायलट होने के तौर पर राठेर ने अपने पूरे पेशेवर करियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
उनके एक दोस्त ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने उन्नत सैन्य रणनीति के अध्ययन के लिए अमेरिका में उच्च प्रशंसित एयर वॉर कॉलेज का भी अनुभव प्राप्त किया है।
एयर कमोडोर राठेर को वेलिंगटन के प्रतिष्ठित डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) में भी प्रशिक्षित किया गया है, जहां भारतीय सशस्त्र बल (सेना, नौसेना, वायु सेना) की तीनों सेनाओं के अधिकारियों के अलावा विदेशी सेनाओं के जवान भी शामिल होते हैं। बाद में उन्हें उसी डीएसएससी, वेलिंगटन में एक प्रशिक्षक के रूप में मौका मिला।
वह काम के मोर्चे पर अपने परिणाम-उन्मुख दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। इसके साथ ही उन्हें वर्तमान में केवल चार भारतीय रक्षा एयर अटैच में से एक होने का भी गौरव प्राप्त है; भारत के पास अपने चार मिशनों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस में ही डिफेंस एयर अटैच है।
उनके स्कूल के दोस्तों ने कहा कि राठेर हमेशा अपने स्कूल के दिनों से ही सूरज, चांद और आसमान पर मोहित होते थे।
राठेर के एक करीबी दोस्त ने कहा कि उनके रोल मॉडल हमेशा उनके पिता रहे हैं, जो लद्दाख स्काउट्स में एक सैनिक के साथ ही पुलिस में भी सेवारत रहे हैं। राठेर के दोस्त ने कहा कि वह हमेशा अपने पिता की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहते हैं, जो खुद एक बहादुर सिपाही रहे हैं।
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नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत डेथ केस ने अब एक नया ही मोड़ ले लिया है. दरअसल, दिवंगत एक्टर के पिता ने पटना के राजीवनगर के थाने में एक्ट्रेस और सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी. इस बात की जानकारी न्यूज एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी. पटना सेंट्रेल जोन के इंस्पेक्टर जनरल संजय सिंह ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत के पिता की शिकायत पर सुसाइड के लिए उकसाने सहित विभिन्न धाराओं के तहत अभिनेता रिया चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गया है. बता दें कि एफआईआर में रिया के परिवार के सदस्यों के अलावा अन्य छह लोगों के नाम भी हैं. सुशांत के पिता ने रिया पर यह 16 गंभीर आरोप लगाए हैं.
1- सबसे पहले सुशांत के पिता ने यह आरोप लगाया कि उनके बेटे को रिया से मिलने के बाद ही यह पता चला कि वह मानसिक रूप से बीमार है, उससे पहले तक वह बिल्कुल ठीक था.
2- पिता ने दावा किया है कि रिया ने पेशेवर लाभ उठाने के लिए सुशांत और उनके स्टारडम का इस्तेमाल किया.
3- एफआईआर में सुशांत के पिता ने यह आरोप लगाया कि सुशांत को जब भी फिल्म के लिए फोन आता था, तो वह लीड एक्ट्रेस बनने की मांग करती थी.
4- पिता ने एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती पर आरोप लगाया कि उन्होंने सुशांत के पैसे का इस्तेमाल किया और उनके डेबिट और क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके उनका आर्थिक शोषण किया.
5- एक्टर के पिता ने रिया पर आरोप लगाया कि उन्होंने सुशांत को मानसिक बीमारी की दवाइयों का ओवरडोज दे दिया था और 2019 में यह अफवाह फैला दी थी कि उन्हें डेंगू हो गया है.
6- सुशांत के पिता ने एफआईआर में लिखा कि रिया एक्टर को ब्लैकमेल करती थी.
7- सुशांत केरल में ऑर्गेनिक खेती शुरू करना चाहते थे लेकिन रिया ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी.
8- उसने सुशांत को ब्लैकमेल किया कि वह उसकी मेडिकल रिपोर्ट मीडिया में साझा करके उसकी छवि खराब कर देगी.
9- सुशांत के पिता ने रिया पर आरोप लगाया कि उसने उनके बेटे को उनसे दूर कर दिया था.
10- एफआईआर में यह आरोप लगाया गया कि रिया ने सुशांत का सिम कार्ड भी बदल दिया था, जिससे वह अपने परिवार को संपर्क नहीं कर सके.
11- यहां तक कि रिया ने सुशांत के घर काम करने वाले स्टाफ को और उनके विश्वासपात्र लोगों को भी अपने लोगों से बदल दिया था.
12- सुशांत के पिता ने रिया पर आरोप लगाया कि उसने एक्टर के अकाउंट से 15 करोड़ रुपये अंजान लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए थे.
13- पिता ने यह भी दावा किया कि उनके बेटे को रिया और उसके परिवार ने बंधक बना लिया था, और वह मिलकर उसे पागल बना रहे थे.
14- एफआईआर में यह दावा किया गया कि जब सुशांत और उनके पिता की बातचीत हुई थी, तो एक्टर ने उन्हें बताया कि वह इस बात को लेकर काफी डरे हुए हैं कि उन्हें मेंटल हॉस्पिटल में भेज दिया जाएगा.
15- सुशांत के यह कदम उठाने से कुछ दिन पहले रिया उनका घर छोड़कर चली गई थीं, और अपने साथ कई सारे किमती सामान जैसे लैपटॉप, ज्वेलरी, क्रैडिट कार्ड, डेविट कार्ड और सुशांत की मेडिकल रिपोर्ट ले गई थी.
16- सुशांत के पिता ने यह भी दावा किया कि उनके बेटे को गलत दवाइयां लेने के लिए मजबूर किया गया था. (ndtv)
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बीजिंग, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पर्यटन विकास विभाग ने कहा कि इस वर्ष जनवरी से जून तक तिब्बत ने 83 लाख 34.1 हजार देसी-विदेशी पर्यटकों का सत्कार किया। मई और जून दोनों महीनों में तिब्बत में पर्यटन उद्योग का विकास देश भर में सबसे पहले सकारात्मक वृद्धि साकार हुई, जो गत वर्ष के मई और जून की तुलना में क्रमश: 27.04 प्रतिशत और 36.86 प्रतिशत अधिक रही। बताया गया है कि मार्च के बाद से लेकर अब तक तिब्बत में करीब 300 प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्रों को पर्यटकों के लिए खोला गया, जिनमें ए स्तरीय पर्यटन क्षेत्रों की संख्या 35 है।
तिब्बत ने बाजार की मांग के अनुकूल पर्यटन लाइन बनाई और सिलसिलेवार उदार नीतियां अपनाईं, जिन कदमों से पर्यटन के विकास को संवर्धन मिला और तेज गति से बहाल होने लगा। आंकड़ों से पता चला है कि साल 2020 की पहली छमाही में अखिल चीनी पर्यटन बाजार में तिब्बत की बहाली दर अग्रिम रही है।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पर्यटन विकास विभाग के प्रधान वांग सोंगफिंग के अनुसार, हालांकि कोविड-19 महामारी की वजह से तिब्बत में पर्यटन उद्योग को बड़ा नुकसान पहुंचा। लेकिन इस वर्ष के उत्तरार्ध में स्वायत्त प्रदेश पर्यटन उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा उदार नीतियां और सक्रिय कदम उठाएगा।
इधर के सालों में पर्यटन उद्योग तिब्बत में तेज आर्थिक विकास के स्तंभ वाले उद्योगों में से एक है। आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 में 4 करोड़ 1.2 लाख से अधिक देसी-विदेशी पर्यटक तिब्बत की यात्रा पर आए, कुल 55 अरब 92 करोड़ 80 लाख युआन की पर्यटन आय हुई। पूरे तिब्बत के विकास में पर्यटन उद्योग की योगदान दर 35 फीसदी तक पहुंच चुकी है।
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नई दिल्ली। ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फॉलो करने वालों की संख्या बढ़कर छह करोड़ हो गई है। श्री मोदी, सोशल मीडिया के जरिए जनता से सीधा संपर्क साधने के लिए जाने जाते हैं।
लोगों से महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने के लिए प्रधानमंत्री ट्विटर का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। उनके कई संबोधन उनके व्यक्तिगत ट्विटर खाते पर सीधे प्रसारित किए जाते हैं। श्री मोदी जनवरी 2009 में ट्विटर पर आए थे और वह 2,355 लोगों को फॉलो करते हैं।
सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री मोदी के पांच करोड़ फॉलोवर थे। प्रधानमंत्री कार्यालय के ट्विटर खाते को 3.7 करोड़ लोग फॉलो करते हैं। इंस्टाग्राम पर श्री मोदी के साढ़े चार करोड़ फॉलोवर हैं।
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ट्विटर पर डेढ़ करोड़ लोग फॉलो करते हैं। राहुल गांधी ने 2015 में ट्विटर पर खाता खोला था।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ट्विटर पर 8.3 करोड़ लोग फॉलो करते हैं। -
नई दिल्ली,15 जुलाई। विश्वविख्यात टेक कंपनी गूगल ने भारत के लिए एक स्पेशल फ़ंड बनाया है- गूगल फोर इंडिया डिजिटाइज़ेशन फ़ंड. वो अगले पाँच से सात साल में भारत में 10 अरब डॉलर यानी लगभग 750 अरब रुपए का भारी निवेश करेगा.
गूगल कंपनियों में पैसा लगाएगी, या साझीदारी करेगी? इस बारे में कंपनी के सीईओ सुंदर पिचाई ने अख़बार इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा - "हम निश्चित तौर पर दोनों तरह की संभावनाओं को देखेंगे, हम दूसरी कंपनियों में पैसा लगाएँगे, जो हम पहले से ही अपनी ईकाई गूगल वेंचर्स के ज़रिए कर रहे हैं, मगर निश्चित तौर पर ये फ़ंड जितना बड़ा है, उसमें ये भी संभावना है कि हम दूसरी बड़ी कंपनियों में भी निवेश करेंगे. हम डेटा सेंटर जैसे बड़े इंफ़्रास्ट्रक्चर से जुड़े निवेश भी करेंगे. हमारे फ़ंड का बहुत बड़ा हिस्सा भारतीय कंपनियों में निवेश होगा."
तो सुंदर पिचाई ने अभी पूरे पत्ते नहीं खोले हैं, कि वो क्या करेंगे. ऐसे में ये कुछ बुनियादी सवाल हैं जो तैर रहे हैं -
कहाँ पैसा लगाने जा रहा है गूगल?
निवेश है, तो इसका रिटर्न भी आएगा. किसकी जेब से मोटी होगी गूगल की तिजोरी?
इसका आम लोगों पर भी कोई असर होगा, या ये सिर्फ़ तकनीकी कंपनियों के काम की ख़बर है?
क्या इसमें कुछ ऐसा है जिससे लोगों को सतर्क होना चाहिए?
ये कुछ ज़रूरी सवाल हैं जिन्हें समझने से पहले ये समझ लेना ज़रूरी है कि हाल के समय में गूगल भारत में पैसा लगाने का एलान करने वाली अकेली दिग्गज कंपनी नहीं है.
गूगल से पहले इसी साल अमेज़ॉन ने भारत में एक अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की थी. उसने इससे पहले भी पाँच अरब डॉलर के निवेश का एलान किया था.
इसके बाद फ़ेसबुक ने रिलायंस के जियो में 5.7 अरब डॉलर लगाने का एलान किया.
और पिछले महीने माइक्रोसॉफ़्ट की निवेश इकाई एमवनटू ने कहा कि वो भारत में निवेश की संभावनाओं के लिए अपना एक दफ़्तर खोलेगी जिसमें मुख्यतः बिज़नेस-टू-बिज़नेस सॉफ़्टवेयर स्टार्टअप कंपनियों पर ध्यान दिया जाएगा.
इसका सीधा जवाब है- बाज़ार. मगर बाज़ार तो भारत पहले से भी था, फिर अचानक से इस वक़्त ये बड़ी कंपनियाँ यहाँ पैसा क्यों ठेल रही हैं?
जानकार बताते हैं कि भारत में ये बाज़ार अब बदल रहा है. ख़ास तौर से डिज़िटल क्रांति और स्मार्ट फ़ोन क्रांति आने के बाद.
अख़बार फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस के एग्ज़ेक्यूटिव एडिटर और तकनीकी मामलों के जानकार ऋषि राज कहते हैं कि पिछले कुछ समय में ये दिखने लगा है कि इन कंपनियों के काम में एक कन्वर्जेंस की स्थिति आती जा रही है.
ऋषि राज कहते हैं, "अब एक ही कंपनी टेलिकॉम सेवा देती है, वही एंटरटेनमेंट भी उपलब्ध कराती है, ई-कॉमर्स भी करती है, वही ई-पेमेंट का ज़रिया है, वो सर्च इंजिन का भी काम करती है, नेविगेशन का भी काम करती हैं. पहले भी कन्वर्जेंस की बात होती थी, पर पहले वो बहुत मोटे तौर पर होती थी, कि टीवी-मोबाइल का कन्वर्जेंस होगा, अब उसका दायरा बहुत बढ़ गया है."
टेक्नोलॉजी और इससे जुड़े बिज़नेस मामलों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार माधवन नारायण कहते हैं कि इंटरनेट सुपरमार्केट बन चुका है जहाँ सॉफ़्टवेयर भी बिकता है, कॉन्टेन्ट भी. वो कहते हैं जैसे अमेज़ॉन अब प्रोड्यूसर बन गया है, फ़िल्में रिलीज़ हो रही हैं वहाँ, फ़ेसबुक की तो बात ही अलग है, दोस्ती से लेकर कारोबार तक हो रहा है.
माधवन नारायण कहते हैं, "कॉन्टेन्ट, कॉमर्स, कनेक्टिविटी और कम्युनिटी- ये चारों सी इंटरनेट में उपलब्ध हैं. और ये फ़ैन्ग यानी फ़ेसबुक, अमेज़ॉन, नेटफ़्लिक्स और गूगल- इनमें ये चारों सी उपलब्ध हैं. नेटफ़्लिक्स को अगर थोड़ा अलग कर दें तो बाक़ी की तीनों कंपनियाँ छोटे व्यवसायियों के काम आ रही हैं, जहाँ आप ऐडवर्टाइज़ भी कर सकते हैं, उनके सॉफ़्टवेयर भी किराए पर ले सकते हैं, जैसे वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग आदि. ये तीनों कंपनियाँ कहीं ना कहीं छू जाती हैं सबको, चाहे यूट्यूब हो, ओला-उबर हो, डिज़िटल क्लास हों."
वो कहते हैं कि ऐसी स्थिति में जब भारत में इतनी भारी आबादी और बाज़ार का मिश्रण हो तो ज़ाहिर है कि बड़ी कंपनियाँ इनमें दिलचस्पी लेंगी.
इंटरनेट का फैलाव और बढ़ती कमाई
भारत की एक अरब 30 करोड़ की आबादी में मोबाइल फ़ोन लगभग एक अरब हाथों में पहुँच चुके हैं, लेकिन इनमें 40 से 50 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास साधारण फ़ीचर फ़ोन हैं जिनमें इंटरनेट नहीं है. लेकिन फ़ीचर फ़ोन और स्मार्टफ़ोन का अंतर लगातार घट रहा है.
माधवन नारायणन कहते हैं कि ये संख्या अगले चार-पाँच साल में आराम से दोगुनी हो जाएगी क्योंकि फ़ोन सस्ते हो रहे हैं और डेटा प्लान भी.
ऋषि राज कहते हैं कि ये जो 60 करोड़ इंटरनेट स्मार्टफ़ोन ग्राहक हैं, वो मोबाइल ऑपरेटर्स के पास है, और उनके माध्यम से ही वो अमेज़ॉन प्राइम, नेटफ़्लिक्स जैसी कंपनियों की सामग्रियाँ उपभोक्ताओं तक पहुँच रही हैं. वो कहते हैं, "मेरे हिसाब से गूगल को ये आभास हो गया है कि यही समय है भारत में जब वो अपनी पहले से उपलब्ध सेवाओं को किसी भी कंपनी के साथ टाइ-अप कर ले, तो वो पैसा जो वो लगाएगी, वो किसी ना किसी तरह से उपभोक्ता तक पहुँचे ताकि वो किसी ना किसी तरह से उससे कमाई भी कर सकें, जो अभी तक नहीं हो पा रही था."
गूगल जैसी बड़ी अंतराष्ट्रीय कंपनियों के भारत की ओर रुख़ करने की एक और बड़ी वजह है डेटा जो भारत मे बड़े आराम से इकट्ठा किया जा सकता है.
ऋषि कहते हैं,"ये कंपनियाँ भारत इसलिए भी आती हैं क्योंकि इन्हें यहाँ डेटा मिल जाता है, और डेटा प्रोफ़ाइलिंग से कंपनियों के पास एक बहुत बड़ा भंडार बन जाता है जिससे वो उपभोक्ताओं की आदतों का पता लगा सकते हैं, मार्केट रिसर्च कर सकते हैं."
लेकिन इससे फिर चिंता भी पैदा होती है कि कहीं इस डेटा का ग़लत इस्तेमाल तो नहीं होने लगेगा?
ऋषि कहते हैं कि सबसे परेशानी की बात ये है कि जिस तेज़ी से ये काम बढ़ रहा है, उस हिसाब से डेटा की निगरानी के बारे में, उनको सुरक्षित रखने के बारे में, उनके एकाधिकार को नियंत्रित करने के बारे में कोई काम नहीं हुआ है.
वो कहते हैं,"उसका कोई ज़रिया या प्रक्रिया ही नहीं है तो मंज़ूरी या नामंज़ूरी कैसे देंगे? इस पर काम हो रहा है मगर धीमी गति से हो रहा है और पहले हमने देखा है कि प्लेयर अगर बहुत बड़ा हो जाए तो जो रेगुलेशन आता है, वो इससे कमज़ोर ही आता है."
माधवन भी कहते हैं, "डेटा को कहाँ और कैसे रखा जाए, इसे लेकर आने वाले दिनों में रिलायंस-जियो और गूगल-फ़ेसबुक-अमेज़ॉन जैसी कंपनियों के साथ एक टकराव हो सकता है."
हालाँकि माधवन कहते हैं कि निजता की रक्षा के नाम पर आने वाले दिनों में मार्केट में पाबंदियाँ ना लगें, शायद इसी को ध्यान में रखकर ये कंपनियाँ ये जताने की कोशिश कर रही हैं कि हम इस डेटा का इस्तेमाल केवल विज्ञापन के लिए करेंगे ना कि निजी जीवन में दखल देने के लिए.
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रायपुर। ‘पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम में ऑनलाइन शिक्षा का लाभ सरकारी स्कूल और निजी स्कूल के 20 लाख विद्यार्थी उठा रहे हैं। ‘पढ़ई तुंहर दुआर का यह पोर्टल सीजीस्कूलडॉटइन है, जिसमें बच्चों को शिक्षा सिर्फ एक क्लिक पर उपलब्ध हो रही है। कक्षा छठवी से कक्षा बारहवीं तक के छात्र इस साइट के द्वारा अपनी सुविधानुसार मोबाइल, लैपटॉप या टैब पर पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम ‘पढ़ई तुंहर दुआर प्रारंभ कर वेब पोर्टल का निर्माण किया गया है। जिसमें बच्चे अपनी कक्षा के विषयों का चयन कर घर बैठे आसानी से अध्ययन कर रहे हैं। पढ़ई तुंहर दुआर पोर्टल का विधिवत उद्घाटन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा विगत माह 7 अप्रैल को किया था। एक माह बाद ही इसकी सफलता का आंकड़ा 27 करोड़ पेजव्यूज छू चुका है, जिसमें लगभग 20 लाख विद्यार्थियों ने अपना पंजीयन करवा लिया है। एक लाख 70 हजार से अधिक शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
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अगर आपको लगता है कि सेक्स करने के तुरंत बाद आप प्रेगेनेंट हो सकती हैं तो ऐसा नहीं है। जानिए कि सेक्स करने के बाद गर्भधारण में कितना समय लगता है। सेक्स करने के बाद प्रेगनेंट होने में लगता है इतना समयसेक्स के बाद ही प्रेग्नेंसी होती है, ये बात तो साफ है लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि सेक्स करने के कितने समय या दिनों बाद कंसीव होता है?
जी हां, ऐसा नहीं है कि सेक्स करने के तुरंत बाद ही आप कंसीव कर लेती हैं। अब आपके मन में भी ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर प्रेग्नेंट होने के लिए सेक्स करने के बाद कंसीव करने में कितना समय लगता है। तो चलिए जानते हैं कि कंसीव करने की प्रक्रिया क्या है और इसमें कितना समय लगता है।कंसेप्शन में कितना समय लगता हैसेक्स के तीन मिनट बाद कंसेप्शन (गर्भधारण) हो सकता है या इसमें पांच दिन का समय भी लग सकता है। जब महिला का एग फैलोपियन ट्यूब में पुरुष के स्पर्म से मिलता है तो इसे फर्टिलाइजेशन कहते हैं। फर्टिलाइजेशन के लिए महिला ओवुलेशन पीरियड में होनी चाहिए। फर्टिलाइजेशन के पांच से दस दिनों के बाद इंप्लांटेशन होता है।जब एग गर्भाशय की लाइनिंग तक पहुंच जाता है तब वह भ्रूण बनाने लगता है। इसे इंप्लांटेशन कहते हैं। सेक्स करने के कुछ मिनटों के अंदर ही फर्टिलाइजेशन हो सकता है लेकिन इसमें हो सकता है कि आपको इसमें तीन दिन भी लग जाएं।सेक्स करने के बाद कंसीव करने का समयअध्ययनों में पाया गया है कि स्पर्म को फैलोपियन ट्यूबों के जरिए गर्भाशय ग्रीवा तक पहुंचने में दो से तीन मिनट का समय लगता है। फैलोपियन ट्यूब में ही स्पर्म एग से मिलता है। अगर महिला के शरीर में एग तैयार हो तो सेक्स के बाद कंसेप्शन में ज्यादा से ज्यादा तीन मिनट लग सकते हैं।माना जाता है कि महिलाओं के प्रजनन तंत्र में स्पर्म पांच दिनों तक रह सकता है। इसका मतलब है कि ऐसा जरूरी नहीं है कि आप सेक्स करने वाले दिन ही प्रेगनेंट हो जाएं। अगर आपने सोमवार के दिन संभोग किया है और आप गुरुवार को ओवुलेट होती हैं तो सेक्स करने के कई दिनों बाद आपका कंसेप्शन हो सकता है।हर महिला में गर्भधारण अलग होता हैचूंकि, हर महिला का मासिक चक्र और शरीर अलग होता है इसलिए गर्भधारण का समय भी इनमें अलग हो सकता है। ऐसे कई कारक हैं जो महिलाओं के गर्भधारण करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें उम्र, स्वास्थ्य स्थिति, प्रजनन अंगों एवं तंत्र का स्वस्थ होना और आप कितनी बार सेक्स करते हैं, शामिल है।कुछ महिलाएं सेक्स करने के बाद जल्दी प्रेगनेंट हो जाती हैं तो कुछ महिलाओं को ज्यादा समय लगता है।सेक्स के बाद इंप्लांटेशन में कितना समय लगता है?जब स्पर्म एग तक पहुंचकर उसे निषेचित करते हैं, तब कंसेप्शन होता है। जब फर्टिलाइज एग (जो कि भ्रूण का रूप ले चुका होता है) गर्भाशय की लाइनिंग तक पहुंचता है, तब इंप्लांटेशन होता है। ये सब होने तक आप गर्भवती नहीं होती हैं। वहीं फर्टिलाइजेशन होने के तुरंत बाद इंप्लांटेशन नहीं होता है।कई लोगों को लगता है कि फर्टिलाइजेशन गर्भाशय में होता है लेकिन ऐसा नहीं है। फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया फैलोपियन ट्यूब में होती है।कंसेप्शन के बाद भ्रूण को गर्भाशय की लाइनिंग तक पहुंचकर इंप्लांट होने के लिए विकास के कई चरणों से गुजरना पड़ता है। इसे फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय में भी जाने की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया में कुछ दिन लग जाते हैं। वहीं इसके बाद होने वाला इंप्लांटेशन फर्टिलाइजेशन के पांच से दस दिनों के बाद होता है।जैसा कि हमने ऊपर भी बताया कि सेक्स करने के कुछ मिनटों या लगभग पांच दिनों के बाद फर्टिलाइजेशन हो सकता है। इस हिसाब से सेक्स करने के पांच या ज्यादा से ज्यादा पंद्रह दिनों के बाद इंप्लांटेशन हो सकता है।सेक्स के बाद प्रेग्नेंसी के लक्षण कब दिखते हैं?सेक्स करने के कुछ मिनट या दिनों बाद फर्टिलाइजेशन होते ही आपको प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। जब तक भ्रूण का इंप्लांटेशन नहीं होता, तब तक प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखने शुरू नहीं होते हैं। वहीं इंप्लांटेशन के समय पर भी प्रेग्नेंसी के लक्षण नहीं दिखते हैं। वहीं कुछ महिलाओं को पीरियड्स की तारीख गुजरने के कुछ दिनों बाद तक भी प्रेग्नेंसी के लक्षण महसूस नहीं होते हैं।सेक्स के बाद लगभ्ग सात दिनों के अंदर आपको प्रेग्नेंसी महसूस हो सकता है। आमतौर पर प्रेग्नेंसी के लक्षण सेक्स करने के बाद दो से चार हफ्तों के अंदर दिखाई देते हैं।इस तरह आप समझ सकती हैं कि सेक्स करने के बाद कितनों दिनों में आप गर्भवती हो सकती हैं। (नवभारतटाइम्स) -
सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार किसी जज का विदाई समारोह वर्चुअल तरीके से होने जा रहा है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कोरोना वायरस के चलते पूरा देश लॉकडाउन में चल रहा है. हालांकि 4 मई से इसमें कुछ ढील दी गई है लेकिन अधिकांश कार्यों पर अभी पाबंदी जारी है. इस बीच 6 मई को जस्टिस दीपक गुप्ता का वर्चुअल विदाई समारोह सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) आयोजित करने जा रहा है.
इस वर्चुअल विदाई में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए समारोह की अध्यक्षता करेंगे. SCBA के पदाधिकारी और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही वर्चुअल समारोह में शामिल होंगे. लॉकडाउन के दौरान ही जस्टिस दीपक गुप्ता सेवानिवृत्त हो रहे हैं. जस्टिस गुप्ता इस तरह सेवानिवृत्त होने वाले सुप्रीम कोर्ट के पहले जज होंगे.परंपरा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में हरेक जज जॉइनिंग और रिटायरमेंट यानी अपने पहले और अंतिम कार्य दिवस पर चीफ जस्टिस के साथ उनकी बेंच में बैठते हैं. एक से ज्यादा जज एक ही दिन जॉइन करते हैं तो पहले नंबर पर शपथ लेने वाले जज चीफ जस्टिस के साथ और बाकी जज शपथ ग्रहण के क्रमानुसार वरिष्ठता क्रम में दो तीन या चार नंबर कोर्ट वाली बेंच में बैठते हैं. जज जॉइन भले ही एक दिन करें लेकिन रिटायरमेंट तो जन्मतिथि के हिसाब से अलग-अलग दिन होता है. यानी 65वीं सालगिरह से ठीक एक दिन पहले. जस्टिस गुप्ता की विदाई भले ही इस रीति-रिवाज से नहीं हो लेकिन सभी जज उन्हें शुभकामनाएं जरूर देंगे. -
कोरोना वायरस जैसी ख़तरनाक बीमारी ने दुनिया के लगभग सभी देशों को प्रभावित किया है। इस वायरस का असर एक इंसान की उम्र और पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने पर निर्भर करता है। कोरोना वायरस के लक्षण तीन तरह के दिखे जा रहे हैं- हल्के, मामूली और गंभीर। हालांकि, ये चिकित्सकीय रूप से स्वीकृत शब्द नहीं हैं, इसलिए जब डॉक्टर से सलाह लें तो अपने लक्षणों के बारे में खुल कर बताएं।
आज हम बात करेंगे कोरोना वायरस के हल्के, मामूली और गंभीर लक्षणों के बारे में:हल्के लक्षणआकड़ों को देखें तो कोरोना वायरस के 80 प्रतिशत मामलों में लक्षण हल्के ही देखे गए हैं। कोरोना वायरस के हल्के लक्षणों में बुख़ार, सांस से जुड़ी दिक्कतें, सूखी खांसी और बदन दर्द है। इस दौरान ये भी हो सकता है कि बुख़ार से पहले आपको बाकी लक्षण महसूस हों। हल्के लक्षणों में आपका अस्पताल में भर्ती होना ज़रूरी नहीं है। इस स्टेड के ज़्यादातर मामले आसानी से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, उम्रदराज़ और वो लोग जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उनके लिए यही लक्षण सामान्य क्षेणी के हो जाते हैं।सामान्य लक्षणकोरोना वायरस संक्रमण के सामान्य मामलों में आमतौर पर खांसी, 100 डिग्री तक का बुख़ार, ठंड लगना और सांस की तकलीफ जैसे लक्षण दिखते हैं। इस मामले में भी अस्पताल में भर्ती होना ज़रूरी नहीं है, हां अगर मरीज़ को सांस लेने में तकलीफ हो रही है या डीहाइड्रेट है तो अस्पताल जाना पड़ सकता है। जब मुंह सूख रहा हो, त्वचा सूखी हो या चक्कर आए, तो समझ लीजिए ये डीहाइड्रेशन के लक्षण हैं। कई बार, सामान्य स्टेज वाला इंफेक्शन हल्के निमोनिया में बदल जाता है। ऐसे मामलों में, निमोनिया एक ऐसे स्तर पर पहुंच जाता है, जब मरीज़ को सांस लेने में मदद की ज़रूरत पड़ती है। साथ ही ऐसे मरीज़ों में बैक्टीरियल इंफेक्शन का जोखिम भी बढ़ जाता है।गंभीर लक्षणपांच मरीज़ों में से एक ऐसा मामला आता है जब लक्षण गंभीर दिखाई देते हैं। 14 प्रतिशत मरीज़ों को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन या वेंटीलेटर की ज़रूरत पड़ती है, वहीं 6 प्रतिशत मामलों में मरीज़ सेप्टिक शॉक में चला जाता है। सेप्टिक शॉक में रक्तचाप में गिरावट देखी जाती है, जिसकी वजह से स्ट्रोक्स, हृदय और फेफड़ों का फेल होना देखा जाता है और अंत में मृत्यु का कारण बन जाता है। ये इंफेक्शन कुछ घंटों से लेकर कुछ दिन में बुरी तरह बिगड़ सकता है। कई मामलों में ये लक्षण निमोनिया में बदल जाते हैं। -
काेराेनावायरस से बचाव के लिए जरूरी मास्क और सैनिटाइजर की किल्लत से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके चलते प्रशासन की पहल पर मास्क बनाने का जिम्मा गांव की महिलाओं ने संभाल लिया है। जिले में आठ महिला समूहाें की सदस्याें ने मास्क बनाना शुरू कर दिया है। ये मास्क यहां फूलबाग स्थित हाट बाजार में सरकार द्वारा तय रेट 10 रुपए प्रति नग की दर से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जबकि, बाजार में इन्हें 25 रुपए तक बेचा जा रहा है।
इसी तरह लाेगाें काे उचित मूल्य पर सैनिटाइजर उपलब्ध कराने के लिए डिस्टलरीज से बातचीत हुई है। सैनिटाइजर के लिए अंतिम निर्णय होने पर 10 से ज्यादा सार्वजनिक स्थान तलाशे जाएंगे। यहीं से सैनिटाइजर की बिक्री प्रारंभ होगी।46 महिलाओं ने अब तक 900 से ज्यादा मास्क बनाएकोरोनावायरस के कारण मास्क की डिमांड अचानक बढ़ गई है। स्टैंडर्ड माने जाने वाले एन-95 मास्क तो अब बाजार से गायब हैं। इसी कारण जिला पंचायत सीईओ शिवम वर्मा के निर्देश पर 8 समूहों की 46 महिलाएं अभी तक 900 से ज्यादा मास्क बना चुकी हैं। कॉटन व नोवोवन के ये मास्क सैनिटाइज करके बनाए जा रहे हैं। इनकी सप्लाई सीएमएचओ कार्यालय व अन्य स्वास्थ्य संस्थान में की जा चुकी है। प्रशासन ने कुछ और महिलाओं को इस काम में जोड़कर उन्हें लगभग दो लाख मास्क बनाने का जिम्मा सौंपा है। उल्लेखनीय है कि मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले में 2375 समूह गठित हैं। इनसे जुड़ीं 862 महिलाएं सिलाई का काम करती हैं।