दुर्ग शहर के कांग्रेसी ही बढ़ा रहे अपने लोकसभा प्रत्याशी की मुश्किलें...!
दुर्ग। एक तरफ कांग्रेस यहां अस्तित्व की लड़ाई लड़ने मजबूर है, तो दूसरी ओर पार्टी के स्थानीय प्रमुख निलंबन और बर्खास्तगी का खेल खेलने में मशगूल हैं। ऐसे में कांग्रेस का क्या होगा, सोचना जरूरी है। पार्षद जयश्री ने निलंबन के बाद भाजपा का दामन थाम लिया है। वहीं कांग्रेस के मदन जैन, ऋषभ जैन, बबिता यादव और मासूब अली को पार्टी ने शो काज नोटिस जारी किया। पार्टी के अध्यक्ष ने पूछा है कि क्यों हुआ और कैसे हुआ ?!? पर यह भी खबर आ रही है कि पार्टी अध्यक्ष गया पटेल ने इन्हे कोई लेटर जारी ही नही किया है। उनके नाम पर किसी ने यह कारगुजारी कर दी है। पार्टी का यह अंतर्कलह चीख चीख कर कह रहा कि दुर्ग शहर कांग्रेस में बुनियादी गड़बड़ी चल रही है।यह संगठन के कमजोर होने का द्योतक है। कहना गलत न होगा कि कांग्रेस के दुर्ग लोकसभा प्रत्याशी राजेंद्र साहू की मुश्किल कांग्रेस के लोग बढ़ाने पर तुले हुए हैं। पहली बार वे लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, वह भी विषम हालातों में। ऐसे में अपने गृहनगर में संगठन का पूर्ण साथ नही मिलना अच्छा संकेत कतई नहीं।
सवाल उठता है, एन चुनाव के समय उन्हे कमजोर करने का षडयंत्र क्यूं रचा जा रहा है। क्या, स्थानीय संगठन नही चाहता कि लोकसभा का प्रत्याशी पुरजोर ढंग से चुनाव लड़ें।
सोचने वाली बात यह है, लोकल कांग्रेस लीडर यह सब कर क्या साबित करना चाहते हैं। कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ता कहते हैं कि स्थानीय संगठन का एक धड़ की मंशा है कि पार्टी प्रत्याशी का प्रदर्शन बेहतर न रहे। हाल के विधानसभा चुनाव में दुर्ग शहरी सीट पर 48 हजार वोटो की करारी हार झेलनी पड़ी थी। लोकसभ चुनाव में यह गड्ढा यदि पट जाता है तो कांग्रेस के एक गुट को खुद के कमजोर होने का भय सता रहा है। लिहाजा यह तबका चुनाव में न्यूट्रल रुख अख्तियार कर लिया है।
पाटन और भिलाई नगर सीट पर विधायक चुनाव जीतने वाले नेता इस एमपी चुनाव में स्वयं प्रत्याशी के तौर पर उतरे हैं। वे अपने लाग–लश्कर के साथ अपने चुनावी क्षेत्र में है। ऐसे में दुर्ग लोकसभा सीट पर दुर्ग शहर के कांग्रेसी अपने प्रत्याशी की कठिनाई बढ़ा रहे हैं।